tag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post1320249643384760625..comments2023-12-08T05:07:04.783-08:00Comments on कुछ एहसास: रे तुम "मैं" ही तो हो .pallavi trivedihttp://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-54114509592435146072012-07-17T23:54:15.252-07:002012-07-17T23:54:15.252-07:00बहुत बढ़िया विचारणीय अभिव्यक्ति ... आत्मचिंतन भी ...बहुत बढ़िया विचारणीय अभिव्यक्ति ... आत्मचिंतन भी जरुरी है ... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-63711801136273169422012-07-15T03:36:00.420-07:002012-07-15T03:36:00.420-07:00गहन वार्तालाप, परिचय के सारे बन्ध खोलता हुआ।गहन वार्तालाप, परिचय के सारे बन्ध खोलता हुआ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-91645953920562410522012-07-15T00:06:26.639-07:002012-07-15T00:06:26.639-07:00किसी कवि ने कहा आपका "आत्म" भी दूसरा...किसी कवि ने कहा आपका "आत्म" भी दूसरा ही है जिसे आप संबोधित कर रह होते है. हम सब "दूसरो" के बिना सभव नहीं है. मेरा निजी सामाजिक के बगैर "निजी "नहीं है कुछ" मै" मेरे भीतर ही रहते है बिना दूषित हुए .<br />love your post ......<br /><br />लेखक को कुछ चले आ रहे दायरों से बाहर निकल कर देखना सुखद है .आखिर हर लेखक से से हम कुछ लेते है कुछ छोड़ते हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-91189983360941100532012-07-14T23:31:25.805-07:002012-07-14T23:31:25.805-07:00@दर्शन... "रे तुम "मैं ही तो हो ." ...@दर्शन... "रे तुम "मैं ही तो हो ." इतना सुन्दर कहा तुमने! तुम्हारी इजाज़त से इसे पोस्ट का टाइटल बना रही हूँ!pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-78476538156929222202012-07-14T23:12:21.481-07:002012-07-14T23:12:21.481-07:00bahut sahii margdarshan ....saarthak post ..
aabha...bahut sahii margdarshan ....saarthak post ..<br />aabhar .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-21920580908201722152012-07-14T22:55:36.917-07:002012-07-14T22:55:36.917-07:00जब भी मैं अपनी देह को खुरचती हूँ, तुम झड़ते हो ,
...जब भी मैं अपनी देह को खुरचती हूँ, तुम झड़ते हो , <br /><br />और जब भी आत्मा ईश्वर से वार्तालाप करती है मेरा केवल ह्रदय शामिल होता है जबकि ध्वनी तुम्हारी ही गूंज रही होती है ...<br /><br />रे तुम "मैं ही " तो हो ..दर्शनhttps://www.blogger.com/profile/10062999962877720229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7364482593495684082.post-14753776897996252282012-07-14T22:52:34.370-07:002012-07-14T22:52:34.370-07:00जिंदगी बदलने के लिए महज़ एक नज़र भर काफ़ी है, लेकिन क...जिंदगी बदलने के लिए महज़ एक नज़र भर काफ़ी है, लेकिन क्या 'उस ' नज़र के इंतज़ार के लिए ये जिंदगी काफ़ी है ...........'जब भी मैं अपनी देह को खुरचती हूँ, तुम झड़ते हो' वल्लाह| श्रीमान ,रविवार की सुबह को अध्यात्म और कुछ अनिर्वचनीय भावनाओं से लबरेज़ करने का धन्यवाद|Himanshuhttps://www.blogger.com/profile/07670318810116050722noreply@blogger.com