![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHpj0UJQU8vbH96TKW1a68xDwl2pV_aH7M3rYbFa_Q3mkOxeKQVp88ZMS1xcOvk7z9q9LAeaghpVm601gvMbxZdsq0BwtSlr_CzOtwt8cKLwN_4ZpDhmtmcCj15MchhtLL3gAR3UrbMMqp/s320/roses.jpg)
अपने दिल के गुलशन में मैंने
रोपा था तेरी याद का एक पौधा
मोहब्बत की खाद
अश्कों के पानी से
सींच सींच कर पाला बड़े प्यार से
आज बड़ा हो गया है मेरा ये पौधा
देख,कितने फूल आये हैं इसमें
और तू बिखर गयी है
फिजा में खुशबू बन के.....
जाते जाते समेट ली थी
तुम्हारी आहट मैने
अपने आगोश में,
हर शब बाहें खोल के
ज़मीन पे डाल देती हूँ इस आहट को
तुम्हे पता है न..
.मुझे अँधेरे में अकेले डर लगता है!