Saturday, April 23, 2011

एक मुलाकात दस साल बाद...


कैसा लगेगा पूरे दस साल बाद मिलना... क्या सब कुछ वैसा ही होगा जैसा दस साल पहले था? वो कितना बदला होगा..शायद थोडा मोटा हुआ होगा और हाँ थोड़े बाल भी उड़ गए होंगे...पहले ही कम थे बाल! उफ़ एक सेकण्ड में न जाने कितने ख़याल...सोच का दायरा दिमाग की सीमाओं से बाहर फैलने लग जाता है कभी कभी! आज शाम ६ बजे सी.सी.डी. में हम फिर से एक दूसरे के साथ होंगे...वो सोचती जा रही है है और अलमारी में से कपडे निकाल कर बिस्तर पर गिराती जा रही है... अचानक उसके हाथ में हलकी पीली शिफौन आ गयी है...
हलकी पीली शिफौन की साड़ी.... उसके जन्मदिन पर उसने लाकर दी थी!
" लगता है... चांदनी की श्रीदेवी का असर अब तक है?" उसने चुटकी ली थी..
पीली साड़ी उसने छांट कर अलग निकाल ली है... मैचिंग की पतली पतली एक दर्जन चूड़ियाँ भी और पीले इयर रिंग भी! पर अचानक न जाने क्या दिमाग में आया..साडी वापस अलमारी में रख डी है! नहीं नहीं... इसे देखकर खामखा सोचेगा कि मैं अभी तक..! उसने एक लखनवी पिंक कुर्ती और सफ़ेद चूड़ीदार निकाल लिया है!
वह भी शाम की तैयारी कर रहा है!उसके पास मिकी की दी हुई कोई शर्ट नहीं है!
मिकी... अरसे बाद ये नाम कौंधा है जेहन में! वो मिकी माउस और खुद डोनाल्ड डक! वो जोर से हंस पड़ा है.. शाम की तैयारी में और उत्साह आ गया है! उसने दराज खोली है और टाइटन की एक गोल्डन घडी निकाली है! अपनी पहली तनख्वाह से मिकी घडी लायी थी! बस यही चीज़ बाकी रह गयी है... घडी थोड़ी बदरंग हो गयी है...चलेगा! मगर ये तो टिक टिक भी नहीं कर रही है... वो थोड़ी देर सोचता है ... चलेगा! उसे मालूम होना चाहिए की मैं आज भी....!

उसने तय किया है कि वो थोडा लेट ही जाएगी... बिलकुल टाइम पर पहुँचने से लगेगा मानो मरी जा रही हूँ मिलने के लिए... ठीक छै बजे घर से निकलूंगी... छै बीस पर वहाँ पहुँच जाउंगी! कोई गिफ्ट ले जाना ठीक रहेगा या नहीं? ठीक है...एक किताब रख लेती हूँ ..माहौल देखकर सोचूंगी! पर कौन सी किताब... नज़्म या कहानियाँ या फिर कोई नोवेल..? बुक स्टोर पर जाकर वो अम्रता प्रीतम की कोई नज्में उठाती है फिर वापस रख देती है! इसके बाद उषा प्रियंवदा का कोई उपन्यास चुनती है...न जाने क्या सोचकर वापस रख देती है! आखिर में सोच विचार कर रौंडा बर्न की " सीक्रेट " उठा लेती है और जल्दी से बुक स्टोर से वापस निकल आती है!
" मिकी..तुम मेरे लिए सिर्फ रोमांटिक नोवेल ही लाया करो यार...मालूम है क्यों.. क्योकी इन कहानियों में कई जगह पर मैं तुम्हारी और मेरी झलक पा लेता हूँ" उसका दिमाग उसकी ऊँगली पकड़कर उसे दस साल पीछे खींचे ले जा रहा है!

शाम छै बजे...सी.सी.डी.- वो दस मिनिट पहले से आकर बैठा हुआ है! उसे पता है मिकी साड़े छै से पहले नहीं आएगी!मिकी कैसी दिखने लगी होगी? ज्यादा मोटी नहीं हुई होगी...बाल कुछ सफ़ेद हुए होंगे पर ज़रूर कलर करती होगी..बाल अभी भी एक पोनीटेल में बंधे होंगे..
सामने से मिकी आती हुई दिख गयी है! वो अपने दिल को ज्यादा तेज़ न भागने की सलाह देता है!
" हाय...कैसे हो?
ठीक..तुम कैसी हो
अच्छी हूँ...
घर में सब कैसे हैं..मतलब तुम्हारे हसबैंड वगेरह..." इस प्रश्न को पूछना नहीं चाहता था वो!
" सब ठीक है.. मेरी एक बेटी भी है चार साल की...इशिता , बहुत शरारती है! फोटो दिखाऊं? " कहते कहते मिकी ने अपना मोबाइल निकाल लिया है! वो बेहद अनिच्छा से फोटो देखता है! इशिता अकेली नहीं है..अपने पापा की गोद में है! मिकी का चेहरा भी फक हो गया है...उसे ये फोटो नहीं दिखानी चाहिए थी!
वो कॉफ़ी का ऑर्डर देने उठ खड़ा हुआ है...! मिकी नज़र बचाकर देखती है! अभी भी हैंडसम है...न मोटा हुआ है और न गंजा! उसके बिखरे बिखरे बाल हमेशा से उसे बहुत अच्छे लगते हैं! वही उन्हें संवारती रहती थी और थोड़ी देर बाद खुद बिखेर देती थी!
' तुम्हारे घर में सब कैसे हैं.." मिकी ने सिर्फ औपचारिकता अदा की है!
" अच्छे हैं... नेहा है और सात साल का बेटा अंकुर"
न जाने क्यों अचानक मिकी के दिमाग में आया है कि वह नेहा के बारे में जाने... खासकर ये जाने कि वो उसके साथ ज्यादा खुश था या नेहा के साथ?" चलो छोडो..और बताओ जिंदगी कैसी चल रही है?" मिकी का ध्यान टूटा है
कॉफ़ी आ गयी है...दोनों खामोश बैठे कॉफ़ी के सिप ले रहे हैं! कितना कुछ सोचकर आये थे..ये बात करेंगे, वो बात करेंगे! मगर इतना असहज ..इतना औपचारिक सा लग रहा है सब!
दोनों को महसूस हो रहा है कि दस साल पहले वाला रिश्ता दिल के किसी कोने में आज भी महफूज़ है पर शायद वक्त के साथ दोनों बदल गए हैं!
मिकी की नज़र उसकी घडी पर पड़ी है..." ये वही घडी है न?"
" हाँ..." वो थोडा संकोच से भर गया है बताते हुए!
" अब तक चल रही है...?" मिकी हैरत से पूछ रही है जिसमे हैरत कम और ख़ुशी ज्यादा है!
" हाँ..हाँ..घड़ियों का क्या बिगड़ता है..." उसने जल्दी से घडी को शर्ट की स्लीव के नीचे कर लिया है! कहीं झूठ न पकड़ा जाए!
मिकी सोच रही है ...घडी अब तक संभाल कर रखी है!क्या जाने और भी चीज़ें अब तक सहेज कर रखी होंगी...उसे एक संतुष्टि का एहसास हुआ!
" देखना हम अगर कभी अलग भी हो गए तो मैं तुम्हारी एक एक चीज़ को संभल कर रखूंगी..बैंक के लॉकर में" मिकी अक्सर उससे कहती थी! याद करके उसे हलकी सी हंसी आ गयी! आज उसके पास एक भी चीज़ नहीं है..शादी के पहले सब कुछ जला दिया था!और फिर घंटों रोई थी!

दोनों के बीच ख़ामोशी का एक पुल बना हुआ है जिससे दोनों जुड़े हुए हैं!

" अरे ये हर ऊँगली के नेल्स में अलग अलग रंग की नेल पॉलिश क्यों लगा रखी है..." वह गौर से उसकी रंग बिरंगी उंगलियाँ देखते हुए मुस्कुरा उठा है!
" आजकल यही फैशन है..." मिकी कुछ झेंप गयी है!
वो अभी भी मुस्कुरा रहा है...अब वो भी मुस्कुराने लगी है! माहौल कुछ हल्का हो गया है!

" " तुम अब भी सुन्दर लगती हो...बिलकुल नहीं बदली हो"
मिकी सुनकर फिर से झेंपी है! फिर संभलकर कहती है!" तुम भी नहीं बदले हो..."

मिकी का ध्यान टूटा है मोबाइल की घंटी से... शायद नेहा का फोन है! वो उठकर दूर चला गया है!मिकी को भी इशिता की याद आने लगी है! स्कूल से आकर डांस क्लास गयी होगी..और अब लौटकर दादी के हाथ से नाश्ता खा रही होगी!कॉफ़ी भी ख़तम हो चुकी है और उसने घडी पर निगाह डाली है...साड़े सात बज रहे हैं!वो बात करके लौट आया है...
" अब चलती हूँ मैं...देर हो रही है"
' हाँ..चलना चाहिए" उसने और रुकने को नहीं बोला है!
मिकी चाहती है कि वह थोड़ी देर रुकने को कहे.. हांलाकि वह कहता भी तो वह नहीं रूकती!
" अपना ख़याल रखना..." कहते हुए उसने मिकी की तरफ हाथ बढाया है!
मिकी उससे हाथ मिलाती है... दो पल को दोनों दस साल पहले कि दुनिया में पहुँच गए हैं!
" फिर कब मुलाकात होगी.." वह पूछ रहा है
' पता नहीं..." कहकर मिकी सीढियां उतरने लगी है!आते समय एक उत्साह था जिसे वह अपने पीछे टेबल पर ही छोड़ आई है!
वो उसे जाते हुए देखता है..फिर एक सिगरेट सुलगा कर कोई फोन करने लगा है! दस साल पुरानी
फिल्म ख़तम हो गयी है! दोनों वापस अपनी दुनिया में जीने लगे हैं!
वो रास्ते में अपने पर्स से " सीक्रेट ' निकलकर देखती है! " आज जाकर निखिल को दे दूंगी..उसे वैसे भी मोटिवेशनल बुक्स बहुत पसंद हैं"