इस कदर वो शख्स ग़म-ए- दौरां का शिकार है
शमा-ए-बज्म था वो अब चरागे मजार है
जी भर के ज़ख्म दीजिये अब आपकी मर्ज़ी
वक़्त की चारागरी पे हमको ऐतबार है
आओ फरिश्तों,आलमे फानी से ले चलो
शबे वस्ल के लिए ये दिल बेकरार है
आबे हयात से तेरे अश्कों से भिगो दे
दामन मेरा ज़रा ज़रा सा दागदार है
और किसी इश्क की ख्वाहिश वो क्या करे
इश्के हकीकी में जो दिल गिरफ्तार है
तुम्हारे लिए
-
मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
5 years ago
2 comments:
waah..kya baat hai....bahut khuub
waah..maje la diye..bahut umda..len den ki sadi wala vyang bhi kamaal hai
Post a Comment