कितने रिश्ते खोये मैंने एक खता के बदले
कितने लम्हे भिगोए मैंने एक खता के बदले
आरजू नहीं,जुस्तजू नहीं,हसरतें भी अब कहाँ
सपने लुटाये मैंने बस एक खता के बदले
पछताया,रोया मगर पिघला नहीं वो संग
दर्द का दरिया दे गया बस एक खता के बदले
हँस के हर एक सजा मैं करता गया कुबूल
जीने की सजा सुना गया बस एक खता के बदले
बस झूठ का पुलिंदा सा बन के रह गया
कितनी खतायें कर गया बस एक खता के बदले
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
कितना रुलाएगा मुझे बस एक खता के बदले
तुम्हारे लिए
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मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
5 years ago
2 comments:
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
इस लाइन मैं बड़प्पन की जगह अगर आप कुछ और शब्द लिखती शायद और ज्यादा सुन्दर लगता
जैसे दिलदारी
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
इस लाइन मैं बड़प्पन की जगह अगर आप कुछ और शब्द लिखती शायद और ज्यादा सुन्दर लगता
जैसे दिलदारी
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