याद उसकी आई फिर बरसों के बाद
हमने फिर छल्काया जाम बरसों के बाद
आँगन में खेलते हैं मेरे बच्चों के बच्चे
लौटा है बचपन मेरा बरसों के बाद
सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद
ग़म का मारा था,कजां को देखकर
मुस्कुराया आज वो बरसों के बाद
मुफलिसी के दिन गए,ओहदा मिला
पहचाना उसने मुझे बरसों के बाद
तुम्हारे लिए
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मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
5 years ago
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