Tuesday, August 25, 2009

हाज़िर हूँ......ब्रेक के बाद

तीन महीने का अच्छा खासा ब्रेक हो गया ब्लोगिंग से! मुझे याद आता है वो दिन जब डेढ़ साल पहले ब्लॉग लिखना शुरू किया था...एकदिन में दो दो पोस्ट लिख लेती थी! भले ही पोस्ट तीन दिन बाद करती थी! दिमाग में तूफ़ान मेल की तरह विचार आते थे! मुझे लगता था...ये एक ऐसी चीज़ मिल गयी जिससे मैं कभी बोर नहीं हो सकती! हांलाकि मेरी बहन ने मुझे कहा था की तू कुछ दिनों में इससे भी बोर हो जायेगी! तब मैंने बड़े विश्वास से कहा था की नहीं लिखना तो मेरे पसंद का काम है....इससे बोर होने का सवाल ही नहीं उठता! उसने कंधे उचकाये थे और वहाँ से चली गयी थी! लगभग एक साल तक लिखने का जोश पहले दिन जैसा ही बना रहा! फिर विचारों की गति भी मंद पड़ी और लिखने का अन्तराल भी बढ़ गया! मैंने सोचा....व्यस्तता के कारण इतना लिखना नहीं हो पा रहा है! मैंने अपनी लास्ट पोस्ट मई के किसी दिन लिखी थी! उसके बाद कुछ नहीं लिख सकी!खुद भी यही समझती रही और दूसरों को भी यही बताती रही की आजकल बहुत व्यस्त चल रही हूँ इसलिए नहीं लिख पा रही हूँ.....फिर एक दिन मैंने महसूस किया की दो दिन की छुट्टी पूरी निकल गयी और मेरे मन में ब्लॉग खोलने का विचार तक नहीं आया!


ऐसा क्यों हुआ...पता नहीं! उसके बाद व्यस्तता कम हुई...फिर भी कुछ लिखने का मन ही नहीं हुआ! और विचारों ने तो शायद अब दिमाग का रास्ता ही भुला दिया है! शायद मैं बोर हो चुकी थी! पिछले एक हफ्ते से मन बना रही हूँ लिखने का...तब जाकर आज लिख रही हूँ!


कई लोगों को नियमित ब्लॉग लिखते देखती हूँ तो अब बड़ा सुखद आश्चर्य होता है! भगवान ने ऐसा जूनून मुझे क्यों नहीं दिया! किसी भी चीज़ से जल्दी उकता जाती हूँ मैं...मन हमेशा कुछ नया करना चाहता है! शायद इसीलिए मैं किसी चीज़ में परफेक्ट नहीं बन पायी! बहुत कुछ सीखा ...पर सब थोडा थोडा! उसके बाद फिर एक नयी चीज़ की तलाश! मेरी एक दोस्त कहती है....खुदा का शुक्र है की तू रिश्तों से बोर नहीं होती वरना मेरा तो पत्ता कट चूका होता! सचमुच इश्वर का शुक्र है आज भी सेवेन्थ क्लास की सहेली मेरी उतनी ही पक्की सहेली है....हाँ अब संख्या में इजाफा हो चूका है!
आज फिर से लिखने की इच्छा वैसे ही जोर पकड़ रही है...जैसे डेढ़ साल पहले पकड़ती थी! सोचती हूँ ब्रेक लेना एक अच्छा तरीका है मेरे जैसे लोगों के लिए! जिससे बोर हो गए हो, उसे हमेशा के लिए बाय बाय कह देने से अच्छा है कुछ दिनों के लिए उससे दूर हो जाना! एक अन्तराल के बाद दोबारा शुरू करना भी नयापन ला देता है! मेरी एक कुलीग ने मुझे बताया था की उसके अपने पति से झगडे बढ़ने लगे थे! दोनों को एक दूसरे का चेहरा देखकर खीज आती थी! उकताकर उसने अपना ट्रांसफर किसी दूसरी जगह करवा लिया ! अब दोनों हफ्ते में एक बार मिल पाते थे! एक साल बाद उसी कुलीग ने सारा जोर लगाकर अपना ट्रांसफर वापस पति के शहर में करा लिया! अब दोनों बहुत खुश थे! तो ब्रेक ने यहाँ भी अपना काम बखूबी किया! खैर मैं भी हाज़िर हूँ ब्रेक के बाद....अगले ब्रेक तक के लिए!


चलते चलते एक बात और....बचपन से बड़ा शौक था की एक सुन्दर सी साइकल होती मेरे पास....पर महंगी होने के कारण हमेशा कम सुन्दर साइकल से काम चलाना पड़ा! पुराना शौक फिर से जगा और हमने लेडी बर्ड खरीद ली...आगे बास्केट वाली! आजकल सुबह सुबह गाना सुनते हुए चलाना बड़ा अच्छा लगरहा है! इसीलिए साइकल की ही फोटो डाल दी! आप भी देखो हमारी सुन्दर साइकल...