नए साल का पहला दिन....मिले जुले से एहसासों का एक अनोखा पैकेज लेकर आया ! शुक्र है इस बार मैंने नहीं सोचा था की साल के पहले दिन जल्दी उठकर घूमने जाउंगी...इसलिए " shit...शुरुआत ही संकल्प टूटने से हुई" वाला गिल्ट फील नहीं हुआ! ऑफिस पहुँचने तक सब कुछ एकदम रूटीन ही था....कुछ नया नहीं! ऑफिस पहुंचकर बैठी...सारा स्टाफ आकर बधाई दे रहा है....ये भी तो नॉर्मल सा ही है...ऐसा ही तो होता है हर बार!नया क्या है इसमें.....रोज़ की तरह कागजों पर साइन करना....कभी कभी सोचती हूँ अगर एक साइन करने का एक रुपया मिलता तो दिन भर में कितने हो जाते.....फ़िज़ूल बातों में दिमाग को उलझाना भी कभी कभी भला लगता है! पर हाँ...एक बात अलग हो रही है.... एक बाबू मुझे याद दिलाता है " मैडम ...आप तारीख में २००९ ही लिख रही हैं" ओह हाँ...पुरानी आदतें कहाँ इतनी आसानी से पीछा छोडती हैं .हाथ automatically अभ्यस्त है , अब ध्यान रखकर लिखना पड़ेगा! " अब ध्यान रखूंगी..." मैं बाबू से कहती हूँ! बाबू समझाता है.." ऐसा होता है मैडम...३-४ दिन लगेंगे अभी "
नहीं नहीं...अब गलती नहीं होगी....तुम अपनी फाइलें यहाँ रख जाओ, मैं साइन कर दूंगी" बाबू फ़ाइल रखकर जा चूका है! मैं पूरा ध्यान रखकर तारीख लिख रही हूँ " 1-1-2010 "
मैं खुश हूँ....मैंने सही तारीख लिखी हैं...बाबू को बुलाकर फाइलें सौंप दी हैं! मैं जताना नहीं भूलती की अब मैंने गलती नहीं की है! वो जाता है....दो मिनिट बाद ही लौटकर आता है...हाथ में वही फाइलें हैं! लगता है गलती हो ही गयी! " क्या फिर तारीख गलत हो गयी गुप्ता जी...."
गुप्ता जी मुस्कुराते हैं....." नहीं मैडम तारीख तो सही हैं ..पर आपने सारे कागजों पर केवल तारीख ही डाली है ...साइन कहीं नहीं किये!" आसपास गौर बाबू और सुमित्रा मैडम भी खड़े हैं....तीनों अपनी हंसी छुपाने के चक्कर में होंठ दबाते हैं! मैं कागज़ लेती हूँ....सचमुच साला होशियारी दिखाने के चक्कर में बेवकूफी कर बैठी! मुझे हंसी रोकने के लिए होंठ दबाने की ज़रूरत नहीं.....बहुत जोर से हंस पड़ती हूँ....उन तीनों के भी दबे होंठ खुल गए हैं! हम सब ठहाका लगाते हैं! मैं सोचती हूँ....नए साल के पहले दिन ये बेवकूफी भी बुरी नहीं....कुछ तो अलग हुआ है रूटीन से!
दोपहर एक बजे.....मोबाइल की घंटी बजती है! मेरी एक जूनियर का फोन है जबलपुर से......न्यू इयर विश कर रही है....इसमें क्या ख़ास है...सभी तो यही करते हैं! लेकिन न्यू इयर विश करने के बाद वो जो कह रही है...वो बहुत बहुत ख़ास है! उसने मुझे मेरी अठारह साल पुरानी दोस्त ऋचा नेमा का फोन नंबर दिया है...और बताया है की ऋचा मुझे बहुत याद करती है! उसने फोन रखा है और ऋचा का फोन आ गया है.....मैं उसे बताती हूँ की दो पोस्ट पहले ही मैंने अपने खोये हुए दोस्तों के बारे में एक पोस्ट लिखी थी और उसमे ऋचा नेमा का भी ज़िक्र था! इतनी जल्दी वो मुझे मिल जायेगी...सोचा नहीं था! अब मैं बहुत बहुत खुश हूँ..... इससे खूबसूरत नए साल की शुरुआत नहीं हो सकती थी!
शाम सात बजे....शीला मुझे फोन करती है! हमने तय किया था की एक तारीख को अनाथाश्रम जायेंगे! पहली बार जा रहे हैं वहाँ...पता नहीं कितने बच्चे हैं...किस उम्र के हैं? क्या लेकर जाएँ...थोड़ी दुविधा है..फिर हम चौकलेट्स खरीदते हैं! आश्रम पहुंचकर बच्चों को देखते हैं! एक मकान में २६ बच्चे हैं....एक दिन के बच्चे से लेकर पांच साल तक के बच्चे हैं! दस पालनों में दो महीने तक के बच्चे हैं...सभी सो रहे हैं! हम सिर्फ उनका पालना हिलाते हैं! वहाँ की केयर टेकर बताती है " ये बच्चा कोई एक बैग में भरकर कोई दरवाजे पर छोड़ गया था" हमारा दिल धक् से रह जाता है....कहीं मर जाता तो? उसी कमरे में एक डबल बैड पर पांच छै बच्चे खेल रहे हैं...करीब एक सवा साल के! शीला वहाँ मैडम से बात कर रही है..मैं कूदकर बच्चों के पास पहुँच जाती हूँ! इनके साथ खेलने ही तो आई हूँ मैं यहाँ पर! बच्चे बहुत फ्रेंडली हैं....एक बच्चे को गोद में उठाकर उछालती हूँ! वो खिलखिला उठता है! अब सारे बच्चे गोद में आने के लिए मचल रहे हैं...उन्हें भी ये उछालने वाला खेल भा गया है! मुझे विश्वास नहीं होता ...मेरी गोद में तीन बच्चे चढ़े हुए हैं...सारे के सारे हलके फुल्के हैं!मैं बहुत बहुत बहुत खुश हूँ! पहले कभी क्यों नहीं आई यहाँ पर.....? आठ बज गए हैं..बच्चों के सोने का टाइम हो गया है! " आपको कभी आना हो तो दोपहर चार बजे आइये...बच्चों का खेलने का समय होता है" केयर टेकर हमें बताती है! बच्चों को बाय करके हम निकलते हैं! " चटाक....एक आवाज़ सुनकर हम पीछे पलटते हैं! " अब सो जाओ चुपचाप...कुछ देर पहले का खिलखिलाता बच्चा गाल सहलाता हुआ बिस्तर के तरफ जा रहा था! मन में कहीं कुछ गहरे तक चटक गया है! मन से दुआ निकलती है...." काश जल्दी से कोई इस बच्चों को यहाँ से गोद लेकर चला जाए!"
दिन ख़त्म हो रहा है....एक दिन जी लिया है.. एक पूरे जीवन की तरह! ऐसा ही तो जीवन होता है...! पपड़ी चाट की तरह........थोडा खट्टा , थोडा मीठा but always yummy....देखकर मुंह में पानी आ ही जाता है! ! और क्या चाहिए आज के दिन इससे ज्यादा! happy new year to all.....enjoy like anything.
नहीं नहीं...अब गलती नहीं होगी....तुम अपनी फाइलें यहाँ रख जाओ, मैं साइन कर दूंगी" बाबू फ़ाइल रखकर जा चूका है! मैं पूरा ध्यान रखकर तारीख लिख रही हूँ " 1-1-2010 "
मैं खुश हूँ....मैंने सही तारीख लिखी हैं...बाबू को बुलाकर फाइलें सौंप दी हैं! मैं जताना नहीं भूलती की अब मैंने गलती नहीं की है! वो जाता है....दो मिनिट बाद ही लौटकर आता है...हाथ में वही फाइलें हैं! लगता है गलती हो ही गयी! " क्या फिर तारीख गलत हो गयी गुप्ता जी...."
गुप्ता जी मुस्कुराते हैं....." नहीं मैडम तारीख तो सही हैं ..पर आपने सारे कागजों पर केवल तारीख ही डाली है ...साइन कहीं नहीं किये!" आसपास गौर बाबू और सुमित्रा मैडम भी खड़े हैं....तीनों अपनी हंसी छुपाने के चक्कर में होंठ दबाते हैं! मैं कागज़ लेती हूँ....सचमुच साला होशियारी दिखाने के चक्कर में बेवकूफी कर बैठी! मुझे हंसी रोकने के लिए होंठ दबाने की ज़रूरत नहीं.....बहुत जोर से हंस पड़ती हूँ....उन तीनों के भी दबे होंठ खुल गए हैं! हम सब ठहाका लगाते हैं! मैं सोचती हूँ....नए साल के पहले दिन ये बेवकूफी भी बुरी नहीं....कुछ तो अलग हुआ है रूटीन से!
दोपहर एक बजे.....मोबाइल की घंटी बजती है! मेरी एक जूनियर का फोन है जबलपुर से......न्यू इयर विश कर रही है....इसमें क्या ख़ास है...सभी तो यही करते हैं! लेकिन न्यू इयर विश करने के बाद वो जो कह रही है...वो बहुत बहुत ख़ास है! उसने मुझे मेरी अठारह साल पुरानी दोस्त ऋचा नेमा का फोन नंबर दिया है...और बताया है की ऋचा मुझे बहुत याद करती है! उसने फोन रखा है और ऋचा का फोन आ गया है.....मैं उसे बताती हूँ की दो पोस्ट पहले ही मैंने अपने खोये हुए दोस्तों के बारे में एक पोस्ट लिखी थी और उसमे ऋचा नेमा का भी ज़िक्र था! इतनी जल्दी वो मुझे मिल जायेगी...सोचा नहीं था! अब मैं बहुत बहुत खुश हूँ..... इससे खूबसूरत नए साल की शुरुआत नहीं हो सकती थी!
शाम सात बजे....शीला मुझे फोन करती है! हमने तय किया था की एक तारीख को अनाथाश्रम जायेंगे! पहली बार जा रहे हैं वहाँ...पता नहीं कितने बच्चे हैं...किस उम्र के हैं? क्या लेकर जाएँ...थोड़ी दुविधा है..फिर हम चौकलेट्स खरीदते हैं! आश्रम पहुंचकर बच्चों को देखते हैं! एक मकान में २६ बच्चे हैं....एक दिन के बच्चे से लेकर पांच साल तक के बच्चे हैं! दस पालनों में दो महीने तक के बच्चे हैं...सभी सो रहे हैं! हम सिर्फ उनका पालना हिलाते हैं! वहाँ की केयर टेकर बताती है " ये बच्चा कोई एक बैग में भरकर कोई दरवाजे पर छोड़ गया था" हमारा दिल धक् से रह जाता है....कहीं मर जाता तो? उसी कमरे में एक डबल बैड पर पांच छै बच्चे खेल रहे हैं...करीब एक सवा साल के! शीला वहाँ मैडम से बात कर रही है..मैं कूदकर बच्चों के पास पहुँच जाती हूँ! इनके साथ खेलने ही तो आई हूँ मैं यहाँ पर! बच्चे बहुत फ्रेंडली हैं....एक बच्चे को गोद में उठाकर उछालती हूँ! वो खिलखिला उठता है! अब सारे बच्चे गोद में आने के लिए मचल रहे हैं...उन्हें भी ये उछालने वाला खेल भा गया है! मुझे विश्वास नहीं होता ...मेरी गोद में तीन बच्चे चढ़े हुए हैं...सारे के सारे हलके फुल्के हैं!मैं बहुत बहुत बहुत खुश हूँ! पहले कभी क्यों नहीं आई यहाँ पर.....? आठ बज गए हैं..बच्चों के सोने का टाइम हो गया है! " आपको कभी आना हो तो दोपहर चार बजे आइये...बच्चों का खेलने का समय होता है" केयर टेकर हमें बताती है! बच्चों को बाय करके हम निकलते हैं! " चटाक....एक आवाज़ सुनकर हम पीछे पलटते हैं! " अब सो जाओ चुपचाप...कुछ देर पहले का खिलखिलाता बच्चा गाल सहलाता हुआ बिस्तर के तरफ जा रहा था! मन में कहीं कुछ गहरे तक चटक गया है! मन से दुआ निकलती है...." काश जल्दी से कोई इस बच्चों को यहाँ से गोद लेकर चला जाए!"
दिन ख़त्म हो रहा है....एक दिन जी लिया है.. एक पूरे जीवन की तरह! ऐसा ही तो जीवन होता है...! पपड़ी चाट की तरह........थोडा खट्टा , थोडा मीठा but always yummy....देखकर मुंह में पानी आ ही जाता है! ! और क्या चाहिए आज के दिन इससे ज्यादा! happy new year to all.....enjoy like anything.