Thursday, September 3, 2009

गलत टाइम पे हँसे तो फंसे.....

मुझे लगता है हम हिन्दुस्तानी कुछ अलग ही मिट्टी के बने होते हैं! हर हाल में मस्त....स्कूल के दिन याद आते हैं!एक छात्र की ठुकाई चल रही है! छात्र दो सेकंड को बुरा सा मुंह बनाता है अगले ही पल अपने साथी को देखकर चेहरे पर ढाई इंच की मुस्कान फ़ैल जाती है! वो जानता है की इस मुस्कान के एवज़ में दो डंडों का प्रसाद और मिलेगा मगर पट्ठा हंसने से बाज नहीं आएगा!

अभी कुछ दिन पहले की बात है थाने में एक क्रिमिनल आया! रिवाज है की थाने में आने वाले हर अपराधी का फोटो खींचा जाता है व एल्बम में नत्थी कर दिया जाता है! इन महाशय को भी फोटो खिंचवाने के लिए खडा किया गया!एक कॉन्स्टेबल हाथ में कैमरा लेकर खडा हुआ चोर महाशय को भी सामने खडा किया गया! जैसे ही कॉन्स्टेबल क्लिक करने को हुआ चोर मुस्कुरा दिया! मुस्कुराती हुई फोटो कैमरे में कैद हो गयी!
" अबे..हँस मत , सीधा खडा रह! बिना दांत दिखाए" कॉन्स्टेबल ने घुड़का!
चोर ने हाँ में सर हिलाया ! फिर से कॉन्स्टेबल ने कैमरा उठाया क्लिक किया पर चोर की बत्तीसी इस बार भी फोटो की शोभा बढा रही थी!
" साले ...तेरी शादी के लिए फोटो खींच रहा हूँ क्या? बिना हँसे खडा रह चुपचाप नहीं तो दूंगा एक कनपटी के नीचे , हँसना भूल जाएगा!" कॉन्स्टेबल को इस बार जोर से गुस्सा आया!
साहब ...अब के नहीं हसूंगा " चोर ने उसे आश्वस्त किया! मैं और टी.आई बैठे बैठे फोटो खींचने का इंतज़ार कर रहे थे! फिर से चोर खडा हुआ...कॉन्स्टेबल ने कैमरा उठाया , और ये क्या.....चोर खुद को रोकते रोकते फिर से मुस्कुरा दिया! कॉन्स्टेबल आगे बढा....एक चांटा रसीद किया उसके गाल पर!
" साले...तेरी प्रॉब्लम क्या है? क्यों इतना खुश हो रहा है...दांत तोड़ दूंगा सामने के!" कॉन्स्टेबल बुरी तरह गुर्राया!
" सौरी साब....वो क्या है की जैसे ही फोटो खिंचने को होता है , मुझे अपने आप हंसी आ जाती है"
" क्यों आ जाती है तेरेको हंसी....किसी फिलिम का हीरो है क्या तू "
" पक्का साब...इस बार नहीं हसूंगा, मारना मत" चोर ने वादा किया
ठीक है...आखिरी मौका दे रहा हूँ...अब के हंसा तो इत्ती ठुकाई करूँगा की ...." कॉन्स्टेबल ने वाक्य अधुरा छोड़ कर कैमरा थाम लिया! फिर से फोटो खींचने की कवायद शुरू हुई.....मुझे भी उत्सुकता थी...अब क्या होगा? तीन ,दो, एक....क्लिक और अगले ही पल एक झन्नाटेदार चांटा फिर से चोर के गाल पर पड़ा और कुछ उच्च कोटि की गालियाँ भी हवा में तैर गयी! इतने में मेरे मोबाइल पर मैसेज टोन आई और मैसेज था " smile is the language of love...smile is way to get success.smile improves your personality....keep smiling even u are going thru your worst phase. never leave smiling" मुझे हंसी आ गयी...किसी ने दो घंटे पहले मैसेज किया था जो अब मेरे पास पहुँच रहा था....वाह रे ऊपर वाले तेरा सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी कमाल का है! क्या सही टाइमिंग है! एक बार फिर मैंने मैसेज पढ़ा ..फिर चोर को देखा जो चांटा खाकर गाल पे हाथ धरे खडा था! खैर दो तीन रीटेक के बाद सीन ओके हो ही गया!

हमें याद है ऐसे ही कई बार गलत जगह, गलत टाइम पर इस कमबख्त हंसी ने हमें भी बहुत हलकान किया है! एक बार हमारे मकानमालिक अंकल सीढियों से नीचे गिर गए...आंटी जी भी हंसमुख टाइप की थीं! उनके मुंह से निकला..." अरे देखो तो सही...ये कैसे गोल गोल लुढ़क कर गिर गए" आंटी भी हंसी...हम और जोर से हँसे! आंटी बड़ी थीं उनसे किसी ने कुछ न कहा...पर हमें डांटने में किसी ने कोई कसर न छोड़ी! पहले मम्मी हर साल गर्मियों की छुट्टियों में नानी के गाँव ले जाती थीं! जब छुट्टियां बिताने के बाद हम विदा होते थे तो सीढियों से नीचे उतरने तक सब हँस रहे होते थे लेकिन जैसे ही बस स्टैंड की तरफ चलना शुरू होते वैसे ही मम्मी , मौसी और नानी चिपट चिपट कर रोने लगतीं! बिना किसी पूर्व भूमिका के इस तरह सुबक सुबक कर रोना देखकर हम खी खी कर के हँस देते! मम्मी मौसी के गले लगे लगे ही हमें घूरतीं....रोने तब भी जारी रहता! एक पल को सहम कर हम चुप हो जाते...फिर दुसरे ही पल मुंह फेर कर आवाज़ दबाकर हम सब भाई बहन हंसते! जब हंसी आती है तो किसी के रोके नहीं रूकती...बेचारा चोर भी क्या करता! खैर अब वक्त की मांग है की कई जगह पर हंसी कंट्रोल करना बहुत जरुरी हो जाता है...अब इसमें थोडी बहुत निपुणता हासिल कर ली है! कम से कम इतना तो हो ही गया है कि उस वक्त कैसे भी रोक लेते हैं बाद में भले ही अकेले ही हँस लें! चलते चलते ईश्वर से एक प्रार्थना...." हे प्रभु, कभी किसी को यूं नीचा न दिखाना
गलत टाइम पर हंसने से हमेशा बचाना"
!

36 comments:

शायदा said...

badhiya post. lekin maine kafi din se aapko dekha nahi blogs par. meri ghalati hai ya aapki?

Anonymous said...

" हे प्रभु, कभी किसी को यूं नीचा न दिखाना
गलत टाइम पर हंसने से हमेशा बचाना"

प्राथना तो बहुत सुन्दर है मन को छू गई सही है गलत समय पर हँसना मना है . बढ़िया बात .

Anonymous said...

भाई बहुत सही आजकल त्यौहार मनाने के तरीके और माइने बदल गए है . धार्मिकता की आड़ में भौडापन अधिक देखने को मिलता है .

प्रेमलता पांडे said...

दिल्ली में डीटीसी की बसों में लिखा रहता था-’मुस्कराहट वो दे सकती है जो मुष्टी-प्रहार नहीं।’
(मुस्कराहट से शांति मिलती है, लड़ने से नहीं)

दिनेशराय द्विवेदी said...

टाइमिंग तो हंसने की हो या रोने की या किसी और चीज की गलत हो गई तो फिर चांटे से बचाव तो तलाश ही लेना चाहिए। वैसे एक रिसर्च का स्कोप है, कि जिस बंदी को बार बार हंसी आ रही थी उस का कारण क्या था?

अनूप शुक्ल said...

शुरू में ही हंस लिये थे सो बाद में प्रार्थना के टाइम सीरियस हो लिये। मजेदार पोस्ट!

विजय गौड़ said...

लम्बे समय बाद आपको पढना हुआ।

Abhishek Ojha said...

बेचारा क्रिमिनल :) बुरा पिटा.

Kulwant Happy said...

आपकी पोस्ट..सब टीवी के सीरियल से कम रोचक नहीं थी। हँस हँस दूहरा हो गया। सचमुच...हँसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

Anonymous said...

..ये कैसे गोल गोल लुढ़क कर गिर गए

मैं कल्पना कर हँसे जा रहा हूँ, जिसने देखा होगा वह तो ...

विदा लेते हुए स्विचओवर होना भी कई बार हँसी का कारण हुआ है

मजेदार पोस्ट

राज भाटिय़ा said...

बहुत मजे दार मसाले लेख मजा आ गया, लेकिन डर के मारे हंसे नही... बेचारा केदी.

Khushdeep Sehgal said...

पल्लवीजी, लोग पुलिस वालों को नाहक बदनाम करते हैं. कोई झूठ समझे तो एक बार आपके ब्लॉग पर आए, खुद पता चल जाएगा कि पुलिसवालों के पास भी ऐसा दिल होता है जो ज़माने का दर्द देख मोम की तरह पिघल जाता है. दूसरों की खुशियों में खुश होता है.

अपूर्व said...

कम्बख्त हंसी दुनिया की सबसे बेशर्म चीजॊं मे से होती है..मगर क्या करें..अपनी स्मृतियों को पकड़ने के लिये अगर अतीत मे कोई जाल फेंको तो ऐसी बेवक्त की हसी ही पकड़ मे आती है..आपकी प्रार्थना कबूल होने की कामना के साथ...आभार.

Udan Tashtari said...

" हे प्रभु, कभी किसी को यूं नीचा न दिखाना
गलत टाइम पर हंसने से हमेशा बचाना"

-किसी दिन लम्बे चक्कर में अटक जाओगी..तब याद करना!!

अच्छा लगता है जब तुम्हारी पोस्ट आती है. दो चार जगह कमेंट करती भी दिख जाती हो..:)

Dr. Amarjeet Kaunke said...

bahut khubsurat likhte hain aap...aise palon ko pakdna aur unhe shabdon me pirona har kisi ke hisse me nahi aata...mujhe lagta hai us chor ko us ke halaaton ne chori karne par majboor kia hoga...aise muskraane vala manushya peshawar muzrim nahin ho sakta....mubark.....amarjeetkaunke@yahoo.co.in

डा० अमर कुमार said...


सत्यवचन बालिके,
द्रोपदी का गलत समय पर हँसना ही तो
महाभारत का कारण बना ।

वकील साहब जी, चोर जी कुछ दार्शनिक मिज़ाज़ के रहे होंगे ।
काँस्टेबुल के हाथ में कैमरा देख उसे लगा होगा कि कितने रौब से
ई बड़का चोर उस जैसे छोटके चोर का फोटो खींच रैया है ।

मीत said...

सही कह रही हैं आप, गलत वक्त की हंसी कभी कभी खुद के लिए ही मुसीबत बन जाती है.
मेरे साथ भी एक बार स्कूल में ऐसा हो चुका है लेकिन ये और बात है की मेरे टीचर ने मुझे मारा नहीं था बस किलस कर रह गए थे..
मैंने कुछ गलत लिख दिया था, जिस पर हंसी आणि स्वाभाविक थी.. नोवीं क्लास में मैंने लिखा था की बैलगाडी के पहिये में चक्रीय बल उर्जा होती है, जबकि लिखना था स्थतीजऊर्जा बस टीचर ने ऐसे वाक्य कहे की मुझे हंसी आ गयी.......और साथ मेरिन पूरी क्लास को
मीत

अनिल कान्त said...

हमारे चेहरे पर भी मुस्कान बिखर गयी

डॉ .अनुराग said...

मत पूछिए .
एक बार हमारे कॉलेज के एक दोस्त को गाने का शौंक उठा ....हमारे साथ उन दिनों दो खूबसूरत लड़किया थी .जिनमे से एक पे वो सेंटी थे ...शाम को घुमते घुमते मिल गए ...बोले गाना सुनोगे .....उन्होंने म्युझिकल इवनिंग के लिए तैयार किया था ....शुरू हुए "हम तो मोहब्बत करेगा ".....कुछ देर हम हंसी दाबे रहे .फिर दुसरे दोस्त से निगाह मिलते ही ऐसे हँसे .....वे बड़े नाराज हुए ....अरसा लगा उन्हें मनाने में ...अलबत्ता वे आज भी मानते है की वे किशोर की दूसरी औलाद है...

hindustani said...

बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे

विनोद कुमार पांडेय said...

बात सही है पर पता नही क्यों हँसी ग़लत टाइम पर ही आती है और ऐसे की रुकते ही नही रुकती.
मजेदार पहलू दर्शाया आपने..बधाई..

कुश said...

बहूत ज्यादा अच्छी रचना.. कृपया मेरे भी ब्लॉग पर पधारे

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

रोचक पोस्ट्!! जरूर वो कैदी अपने मुक्कद्दर पर हँस रहा होगा कि देखो कैसे एक चोर दूसरे चोर की फोटू खीँच रहा है:)

मुकेश कुमार तिवारी said...

पल्लवी जी,

बिल्कुल ठीक कहा है कि गलत समय या समयानुकूल कार्य नही होने पर हम खुद विसंगति के शिकार हो जाते हैं। चोर के चाँटे, एस.एम.एस. और ऊपर वाले का सेंस ह्यूमर बड़ा ही रोचक प्रसंग था।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

"कवितायन" पर आने का और आपकी प्रतिक्रिया का शुक्रिया।

Gyan Dutt Pandey said...

ओह, मेरी बिटिया क्या हंसती है। कभी कभी तो मन में ही कुछ सोच इतना हंसती है कि पेट दुहरा हो जाये।
हंसने का वरदान कहां से मिलता है! :)

रंजू भाटिया said...

अब हंसी का क्या भरोसा कब फुट पड़े :) मजेदार प्रसंग है ..कई बार हमारी भी हंसी फूटने की गलत टाइमिंग सेट हो गयी है वो तो दुप्पटा काम आ जाता है आडे वक़्त में :)

सुशील छौक्कर said...

सच पूछिए तो सुबह से अब जाकर कुछ हँसी आई।

nandan kumar said...

bachpan me babuji jab meri pitapat kerte the to kabhi kabhi mera saath bhi aisa jo jata tha.

अनूप शुक्ल said...

समीरलाल की बात(अच्छा लगता है जब तुम्हारी पोस्ट आती है. दो चार जगह कमेंट करती भी दिख जाती हो ) मात्र अफ़वाह के रूप में ली जाये। सच से इसका उतना ही संबंध है जितना .....रिक्त स्थान की पूर्ति समीरलाल भी कर सकते हैं। :)

Manish Kumar said...

mazedaar :)

शरद कोकास said...

मुझे तो उस कैदी का द्रश्य याद करके ही हँसी आ रही है .. यह गलत टाइम तो नही ? -शरद कोकास

अजित वडनेरकर said...

क्या कहूं....ये वही मामला है न जिसके बारे में बात हो रही थी। नायाब पोस्ट

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

साले...तेरी प्रॉब्लम क्या है? क्यों इतना खुश हो रहा है...दांत तोड़ दूंगा सामने के!" कॉन्स्टेबल बुरी तरह गुर्राया!


heheheheehehe......... experience ki huyi cheezon ko likhne ka mazaa hi alag hai........

हे प्रभु, कभी किसी को यूं नीचा न दिखाना
गलत टाइम पर हंसने से हमेशा बचाना"


mazaa aa gaya........

कंचन सिंह चौहान said...

ये पोस्ट एक पोस्ट लिखनेका मसाला दे गई...!

हँसी कभी कभी बड़ा फँसाती है....!

बिंदास....!

Savita Rana said...

bahut aacha lika hai aapne, pahli bar aapke blog dekha hai, aapki post padhte hi tabiyat khush ho gyi, main aaj subh se bhahut udas thi lekin ye padh ker main apni hansi rok nhi pa rhi hun, mere sath bhi bahut bar huya hai, galt time per hansi aa jati hai,...........good likhte rhiye....

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

:-) ab kya kiya jaye ..kabhee kabhaar Hansee aatee hai aur galat mauke per bhee aatee hai aur chup bhee nahee reh pate ..
aapka aalekh padh ker hum bhee muskura rahe hain Pallavi ji