Saturday, December 4, 2010

अबरा का डबरा ..छुटकी का जादू


ए.सी. सेकण्ड कोच....बर्थ नंबर ११,१२,१३,१४! एक पापा,मम्मी, पांच साल का बड़का और तीन साल की छुटकी! ट्रेन चलते चलते रात पार कर चुकी है! परदे हटाते ही सूरज की रौशनी सबको जगा चुकी है....सब जाग चुके हैं सिवा छुटकी के! थोड़ी देर में छुटकी भी जाग जाती है और अपनी नहीं नहीं हथेलियों से आँखें मलती है! आँखें बड़ी बड़ी करके हैरानी से सूरज को देखती है...." मम्मी...अभी मैं सोयी थी तो अँधेरा था न?" मम्मी कुछ बोले इससे पहले ही बड़का कहता है " मैंने जादू से अँधेरा भगाया है ,,,,अब तू जादू से वापस लेकर आ अँधेरा!" छुटकी दो मिनिट सोचती है...." मैं भी जादू करुँगी पापा...."

बड़का शरारत से मुस्कुरा रहा है....छुटकी के माथे पर बल आ गए हैं! कहाँ से लाये वापस अँधेरा.?
अंत में हारकर छुटकी मम्मी पापा की शरण में आ गयी है...." मम्मी अब आप ही जादू से अँधेरा वापस लाओ.." मम्मी ,पापा के साथ हम सब भी हंस रहे हैं! छुटकी का मुंह बिगड़ना शुरू हुआ और छुटकी जोर से रो पड़ी! स्थिति अब गंभीर हो गयी! बड़का अभी भी मुंह चिढ़ा रहा है ! छुटकी ने ज़मीन पर लोट लगा दी है! अब मम्मी पापा समेत सब परेशान है....पापा ने छुटकी से आँखें बंद करने को कहा और झट से सारे परदे बंद कर दिए! अँधेरा जैसा हो गया है! छुटकी आँखें खोलते ही मुस्कुरा दी है और हाथ नचाकर बड़के को अंगूठा दिखा रही है! बड़का होशियार ....झट से परदे हटा दिए! छुटकी का रोना दोबारा चालू हुआ और इस बार तो रोते रोते हिचकी बंध गयी! ट्रेन होशंगा बाद के पास पहुँचने वाली है.....एक बन्दा उठकर पापा के कान में कुछ कहता है! पापा छुटकी से कहते हैं " अच्छा ...मैं जादू से अँधेरा वापस लाऊंगा पर बस एक मिनिट के लिए! उसके बाद फिर सूरज को निकलने देना! छुटकी और बड़का दोनों राजी हैं! पापा दस मिनिट बाद अबरा का डबरा टाइप कुछ बोलते हैं! और एक मिनिट के लिए घुप्प अँधेरा छा जाता है!छुटकी ताली बजा कर हंस रही है! बड़का परदे हटा हटा कट बाहर झाँक रहा है! ये जादू कैसे हो गया.....! ट्रेन कुछ पलों में टनल से बाहर आ गयी ! छुटकी का चेहरा और आँखें चमक रही हैं और होंठों पर खिलखिलाहट गूँज रही है! और बेचारा बड़का अभी भी हैरान परेशान सा इधर उधर देख रहा है!

20 comments:

अमिताभ मीत said...

क्या बात है !! अबरा का डबरा !!

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब! प्यारी पोस्ट!

Gyan Dutt Pandey said...

सुरंग से गुजरती रेल तो बच्चों क्या, रेल अफसरों के लिये भी जादू है। :)

प्रवीण पाण्डेय said...

अरे वाह, यह तो जादू है।

समीर यादव said...

छुटकी के मन की तरह निर्मल और सहज पोस्ट.

luccky said...

अच्छा लगा पर बहुत दिनों बाद जादू हुआ.......

PD said...

हा हा हा.. सब कि सब छुटकी सच्ची में बहुत प्यारी होती है.. :)
अभी चेन्नई पटना यात्रा के समय मुझे छुटकी से भी छोटी बिटिया मिली थी.. नागपुर उतरते समय मेरे बाय का जवाब फ्लाइंग किस से दी.. :)

कुश said...

चलो अच्छा है कि इस ब्लॉग पर से तो परदे हटे.. यहाँ पर तो टनल बड़ी लम्बी लम्बी होती है..

सागर said...

कुश ने कह दिया नहीं तो मैं भी वही कहता ... यहाँ भी जादू थोड़ी देर का ही था अबकी... रोमांच अभी भी है लेकिन.. फिर टनल से निकलना कब होगा...

Unknown said...

bahut majedaar hai. I like it.

Puja Upadhyay said...

cute...supercute :)

pallavi trivedi said...

@ kush, sagar....mujhe bhi lambi tunnel pasand nahi hai. koshish karungi ki ab tunnel chhoti hi rahe. :)

Puja Upadhyay said...

पल्लवी...अब पुलिसवाली को कोई हड़का भी तो नहीं सकता न ;) देखो कितने विनम्र होके सब कह रहे हैं कि थोड़ा ज्यादा लिखा करो :)
सबको डरा धमका के रखा है कि शिकायत तक डर-डर के कर रहे हैं कि कहीं हंटर न पड़ जाए...थोड़ा ज्यादा टाइम निकालो न, प्लीज.

PD said...

पूजा भी प्लीज के साथ ही आयी थी.. शायद वो भी डर रही थी.. :)

डॉ .अनुराग said...

कागजो में आमद तो हुई...


वर्ना जिंदगी की टनल.....तो आगे लम्बी ही मिलनी है साहब !!

a cute post .....

Anonymous said...

hihihi.....bohot bohot pyaari post...kya kahoon, bachpan mein mummy papa ke saath train ke safar yaad aagaye....

pleasure reading u...tooooooo good!!

pallavi trivedi said...

@ pooja and p.d..... tum log khamkha mujhe daravna bana rahe ho...tum hi batao aaj tak maine kisi ko hadkaya kya?

PD said...

हम नहीं बोलेंगे कुछ, हमको डर लगता है.. पूजा टू कुछ बोल ना!! :)

Unknown said...

nice one :)

Ravi Rajbhar said...

hahahhahaahha,
mujhe isase achcha jadu nahi mila.
very nice.