" दिन भर ऊधम पट्टी...कोई काम धाम नहीं! कभी तो खुद से पढने बैठ जाया करो...." पापा की डांट रोज़ शाम सात बजे शुरू हो जाती! हम दोनों भाई बहन कूद कर अपने कमरे में जाकर किताबें खोल लेते! पर पापा और डांटने के मूड में रहते और इस डांट का अंत होता दादी की शरारती आवाज़ से " अरे मुझसे पूछो....तुम लोग तो फिर भी पढने बैठ जाते हो...तुम्हारे पापा को तो कितना भी डांट लो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था...है न किशन ?"
अम्मा तुम भी...बच्चों के सामने कुछ भी बोलती रहती हो" पापा चले जाते और दादी हमें देखकर आँख मारने की स्टाइल में एक आँख दबाने की कोशिश करतीं...पर हमेशा दोनों आँखें ही झपकती! दादी..क्यूट दादी.. मेरी बहत्तर साल की दादी! छोटी सी, सांवली सी, सफ़ेद बालो की एक पतली सी चोटी बांधे, बात बेबात हँसती हुई पूरे घर की रौनक बनकर घूमा करती! हमारे साथ हमारे सभी दोस्तों की भी फेवरिट! प्रिया को उनके हाथ की लहसुन की चटनी पसंद थी...लता को गुड और मक्के की रोटी और रजनीश को मलाई वाला फेंटकर दिया हुआ दूध! रात को दादी के साथ एक रजाई में चिपक कर सोने के लिए हम दोनों लड़ते! दादी दोनों के बालो में हाथ फिराती और जाने किस ज़माने की किसी भुलक्कड़ रानी की कहानी सुनाती! दादी की फटी एडियाँ पैर खुजाने के काम आती थी! दादी जोर जोर से हंसती तो उनका गुलगुला पेट खूब हिलता!
जिस दिन दादी का मुंह फूला रहता उस दिन अकेली सुबह से उठकर घर के काम में लग जाती...किसी को हाथ न लगाने देती! ये उनका तरीका था गुस्सा दिखाने का! साथ में बड़बडाती भी जाती...उस समय उन्हें छेड़ने की हिम्मत न होती किसी की! गुस्से में उन्हें किसी का बोलना पसंद नहीं आता..यहाँ तक की रेडियो पे गाने बजते उनमे भी नुक्स निकालना शुरू कर देती! एक बार मैंने सुना किशोर कुमार को कह रही थीं " जब गाना नहीं आता तो काहे गाते हो जी " शाम होते होते दादी का गुस्सा छूमंतर हो जाता और झुर्री भरे गालों पर मुस्कान की रेखा खिंच जाती!
उस दिन स्कूल से घर आकर मैंने दादी को प्रेमचंद की " बूढी काकी " कहानी सुनाई! कहानी ख़तम होने पर दादी चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी! और फिर कई घंटों तक खामोश रही! पहली बार उनकी आँखों में एक गहरी उदासी मैंने देखी! दो तीन दिन बाद किसी बात पर धीरे से दादी बुदबुदाई थी " अच्छा है...मुझे हर महीने पेंशन मिलती है " शायद दादी ने कहानी सुनने के बाद अपनी किस्मत की तुलना काकी से की होगी!
भाई ने दादी को जाने कैसे पटा रखा था! रोज़ शाम को छत पर वह पतंग उडाता और दादी मज़े से कुर्सी पर उसकी चरखी थामे बैठी रहती! घर में दादी के इस कार्य के बारे में किसी को पता नहीं था! एक दिन मम्मी छत पर पहुंची तब हँसते हुए उन्होंने पापा को छत पर ले जाकर दिखाया! बाद में भाई ने बताया...चरखी पकड़ने के बदले लास्ट में दादी पांच मिनिट पतंग उड़ाती थी और रोज़ एक पतंग कटवा देती थी!
दादी हमेशा किसी न किसी बात पर हम सबको चौंका देती थीं! एक दिन मेरे पास दादी का एक मेल आया...एक्जाम में अच्छे नम्बर लाने पर उन्होंने एक ई कार्ड भेजा था! दादी का मेल.....मेरे हैरत का ठिकाना नहीं था! इसका राज़ भी बाद में खुला! रोज़ शाम को दादी मंदिर जाती थीं लेकिन पिछले एक हफ्ते से मंदिर की जगह वो प्रिया के घर जा रही थीं! सात दिन में उन्होंने प्रिया से मेल आई डी खोलकर मेल करना सीख लिया...सिर्फ मुझे सरप्राइज़ कार्ड भेजने के लिए! मुझे अपनी दादी पर बड़ा फक्र हो रहा था! किसी की दादी को कंप्यूटर नहीं आता था...सिवा मेरी लाडली दादी के!
दादाजी को गुज़रे कई साल हो गए थे! मेरी समझ से शायद दादा दादी ने एक साथ बहुत अच्छा जीवन जिया था इसलिए दादाजी का ज़िक्र आते ही उनकी आँखों में एक चमक आ जाती थी और होंठों पे अनगिनत किस्से! पर दादाजी को याद करके मैंने उन्हें कभी रोते या उदास होते नहीं देखा ! मैं सोचती थी कि शायद पुराने लोग ज्यादा रोमांटिक नहीं होते होंगे इसलिए उनकी मोहब्बत में वो तड़प नहीं आ पाती होगी! जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया तब दादी आहिस्ता आहिस्ता मेरी दोस्त बनने लगीं! मुझे याद है एक दिन बेवजह उन्होंने मुझे मुस्कुराते हुए देखा था तो जान गयी थीं कि मैं अपने पहले प्यार वाले दौर से गुज़र रही हूँ! और फिर एक दिन दादी के जन्मदिन वाले दिन...मैंने दादी के साथ सोने की जिद की! दादी जन्मदिन के दिन खूब खुश रहती थीं! दिन भर घर के सभी लोगों के साथ रहतीं...पर रात को हमेशा जल्दी सोने चली जातीं! शायद थक गयी होंगी...हम सब यही सोचते! लेकिन उस दिन मैं दादी से ढेर सारी बातें करना चाहती थी! दादी ने थोड़ी देर सोचने के बाद मुझे अपने कमरे में सोने की इजाज़त दे दी! वो रात मैं कभी नहीं भूल पाउंगी...उस रात ने चंद घंटो में मुझे न जाने क्या क्या दे दिया! दादी और हम रात को जल्दी कमरे में चले गए! दादी ने मुझे बताया कि दादाजी हमेशा दादी का जन्मदिन पर उन्हें अपने हाथों से सजाते थे...बताते बताते दादी की आँखों में पानी तैर आया था! दादी एक बार फिर दादाजी के लिए तैयार हो रही थीं! और मैं उन्हें दादाजी की फेवरिट साडी पहना रही थी! सचमुच उस पर्पल कलर की साड़ी में दादी बहुत खूबसूरत लग रही थीं!मैंने उन्हें इस तरह पहली बार देखा था! लग रहा था दादी एक पूरा ज़माना पार करके कहीं बहुत पीछे लौट रही थीं! वो हर साल ये सफ़र तय करती थीं! इस बार में इस सफ़र में साथ थी! मैं बहुत खुश थी! फिर दादी ने अपने संदूक खोला ...उसमे से एक पुरानी कैसेट निकाली....और मुझे उसे टेप में लगाने को कहा! दो पल बाद ही गाना बज उठा " हंसिनी...ओ मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली " दादी की आँखें बंद थीं और मुझे पता था इस वक्त वो दादाजी के साथ थीं ! गाना ख़तम होने के साथ ही दादी ने आँखें खोली! दादी की पनीली आँखों के साथ मुस्कुराते होंठ....दादी इस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लग रही थीं! ' तेरे दादाजी को ये गाना बहुत पसंद था...हमेशा मेरे लिए गाया करते थे " दादी बताते हुए शरमा गयी थीं! फिर दादी ने जाने कहाँ से एक डेयरी मिल्क निकाली! हम्म...ज़रूर भैया के किसी दोस्त से चुपके से मंगवाई होगी! दादी के सरप्राइजो की अब तक आदत पड़ चुकी थी.... लेकिन दादी ने उनके सबसे ख़ास पल जो मेरे साथ बांटे थे...वो मेरे लिए अब तक का सबसे बड़ा सरप्राइज़ था! मैंने कैसे दादी को अनरोमांटिक समझ लिया था...मैं उस पल सोच रही थी काश मेरी जिंदगी में भी कोई इतना ही प्यार करने वाला आये!
दादी आज अस्पताल में हैं....डॉक्टर नाउम्मीद दिखाई दे रहा है! डॉक्टर के बाहर आते ही मैं दौड़कर आई.सी.यू. में पहुंची! दादी हड्डी का ढांचा भर दिखाई दे रही हैं! मुझे देखकर दादी ने आँखें खोली हैं और दर्द में भी एक मुस्कान होंठों पर आ गयी है! मेरे लाख कोशिश करने पर भी करने पर भी अपने आंसू नहीं छिपा पा रही हूँ! मुझे रोते देखकर दादी ने एक आँख दबाने की कोशिश की मगर हमेशा की तरह दोनों ही झपक गयी! मैं हंस पड़ी ! अब मुझे यकीन हो गया है दादी फिर से बहुत बड़ा सरप्राइज़ देने वाली हैं ...डॉक्टर को और हम सभी को!
दादी की आँखों में एक ज़माना रहा करता है
एक एक झुर्री गुज़रे सालों का हिसाब है....i love u dadi.
33 comments:
ओह पल्लवी.. आपकी इस पोस्ट ने जाने कितने गुज़रे हुए लम्हें एकाएक आँखों के सामने ला के खड़े कर दिये... पलकें उन मीठी यादों से नम है और दिल ख़ुशी से... आज से आपकी दादी हमारी भी फ़ेवरेट हैं :) वो ज़रूर सरप्राइज़ करेंगी सबको इस बार भी... दुआ करुँगी की वो जल्द ही स्वस्थ हो के वापस घर आ जाएँ... और आप दादी के नये सरप्राइज़िज़ पर एक और पोस्ट लिखें जल्द ही...
इतनी प्यारी दादी ....आज से आपकी दादी हमारी भी दादी हुई ...हमारी दुआ है ......आपकी दादी जल्दी से अच्छी हो जाए और फिर पतंग उड़ायें...रही बात झुर्रियों की ....तो ओले और पोंड्स एज मिरकल किस दिन काम आयेंगे....वापस आये तो ... यंग बना दिया जाएगा
God bless you
भगवान करे दादी शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ करें।
कुछ कहते नहीं बन रहा है.. बस ये जताने के लिए कमेंट कर रहा हूँ कि मैंने इसे पढ़ा है.
My God!
कितना खूबसूरत लिखती हो यार पल्लवी...आँखें भर आयीं इस प्यार पर. दिल भर आया. प्यारी दादी को दिल से ढेर सी प्यारी दुआएं...वो जल्दी ठीक हो जाएँ.
एक सक्षम पोस्ट , जो हर पढने वाले को अतीत के गलियारे में ले जाने का सामर्थ्य रखती है ..जानती हु कि यह आपकी कल्पना की एक उड़न है पर बहुत से लोग इसे वास्तविकता समझ रहे है ...एक अच्छी पोस्ट ...
kya bolu...ankhe nam hai...meri dadi bhi bahut kuch aisi hi thi...mere sabse karib...meri saheli...dua hai aapki dadi jaldi sawsth ho jaye...
यह पोस्ट पढते हुए न जाने कितने दृश्य आँखों में उतर आये ....बहुत प्यारी पोस्ट ....
इसीलिए कहता हूँ कि आप लिखते रहें. निश्छल बहती पानी की तरह दादी और आपकी लेखनी.
मेरी दादी को गुज़रे हुए सात साल हो गए हैं....ये पोस्ट मेरी वास्तविक कहानी नहीं है! लेकिन इसमें मेरी दादी और शायद सभी की दादी मौजूद हैं!
सभी दादियां गुस्सा होने पर अपने सभी काम खुद क्यों करने लगती हैं!
सचमुच दादी और नानीयां इतनी सुन्दर होती हैं, शायद छलकते ममता और प्रेम का कारण
दादी जी जल्द से जल्द स्वस्थ हो जायें, यही दुआ है।
प्रणाम
दोबारा फिर पढी पोस्ट
बहुत अच्छी लगी
हार्दिक धन्यवाद इस पोस्ट के लिये
प्रणाम
क्यों अपने फैन्स को सफाई देती हैं... यह आपके लेखन की सफलता है कि सबने उसे वास्तविकता सा रीलेट कर लेते हैं... बहरहाल
दादी तो सच में याद आई. मुझे और पढने का दिल कर रहा था... आप रेगुलर रहा करें... कई जगह तो जैसा समां बाँध दिया है. मज़ा आ गया... दादी मेरे लिए एक रूहानी प्रेमिका जैसी थी, मीठी, गुनगुनी, गुड जैसी... मेरी सबसे गरिमायी और ज़मीनी दोस्त... बहुत खोजा लेकिन उस जैसा फिर कोई नहीं मिला...
कभी मंटो कि "नीली रगें" पढियेगा.
यादों को खूबसूरती से शब्दों का जामा पहनाया आपने पल्लवी जी , बहुतों के पास यादें नहीं होतीं , बहुतों के पास शब्द नहीं होते ...जिनके पास दोनों होते हैं वे विरले ही होते हैं । शुभकामनाएं आपको
मेरा नया ठिकाना
चलो अच्छा हुआ कि हमें बक़लमखुद की पल्लवी की कहानी याद थी और ये भी याद था कि पल्लवी चार शैतान बहनों में एक बहन हैं और उनके पिता जी का नाम किशन तो बिलकुल नही है। तो इस कहानी को कहानी ही समझे यद्यपि मैं यादों के किसी झरोखे में नही गई क्योंकि ना तो मेरी दादी ऐसी थी जो चुपके से चॉकलेट दें या मेल कर के सरप्राइज़ करे और ना ही ७७ साल की मेरे भतीजों की दादी (मेरी माँ) ऐसी है।
हाँ दो चीजें याद आ गयी, इससे ना मैच करने के बावज़ूद एक तो ये कि मेरी दादी चॉकलेट की जगह ताखे से चिउटहा गुण ज़रूर देती थीं, जो उनकी एक मात्र सम्पत्ति थी और दूसरा ये कि मेरी नानी गुस्से में किशोर कुमार को तो नही मगर चिड़िया को बहुत डाँटती थी " काव तू च्यौं च्यौ किये हयू मूड़ै पे"
खैर कहानी वास्तव में अच्छी थी हक़ीकत को टक्कर देती हुई....!
एक शेर याद आ गया--
'हमेशा अपने बुजुर्गों से राब्ता रखना
हमेशा दुआओं में याद किए जाओगे'
भावपूर्ण!
मुझे भी वास्तविक ही लगी...
My daadi too was quite identical to the "daadi" just now I have gone through. She narrated the stories of my family heritage, which I am reproducing now at the age of 67. The blog can be viewed
aaap waakai me bahut achhhaa likhti hainnnnn.....padhte padhte log kalpnaon me khone lagte hain or apni zindagi se relate karne lagte hain....khair thankss mujhe bhi aaj apni daadi ko yaad karne ka mauka mila....aapki wajah se..:)
Regards:PREMANSH SHARMA
कहते है बुजुर्ग भी बच्चे की तरह साझा होता है .पूरे मोहल्ले का .....दादी भी......ऐसी ही एक दादी मोहल्ले की है.....निक नेम से बुलाती है ...दस पंद्रह साल से जिस घर में शादी होती थी..रात वही बिताती थी ... अब मजाक में कहती है .....कोई शादी वाला बच्चा बचा नहीं ..तुम ही आपस में दूसरी कर लो भाई....अब तो परिवार ओर मोहल्ला इकठा ऐसे ही किसी फंक्शन में होता है.......
अक्सर रात में उनके सिरहाने बैठ मैंने कई चेहरों के सफ्हे पलटे है
सचमुच सब दादियां एक सी होती हैं। मुझे भी अपनी दादी नजर आने लगीं।
कब से इस पोस्ट को पढ़ना चाह रहा था....आज एकदम की फुरसत ने इस प्यारी सी दादी से मुलाकात करवा ही दी। अब समझ में नहीं आ रहा कि लेखनी ज्यादा प्यारी है कि दादी.. :-)
Pallavi, is rachna mein na sirf aapki lekhani ka kaushal dikh raha hai, balki aapka aapki dadi ke prati pyar bhi. Hamari shubhkamna hai ki dadi atishighra swasth ho.
Dobara likhne ko majboor hoon. Aapki dadi ko gujare bhale hi saat saal ho gaye, par aaj wo puna jivit ho gayi hain. Dhanyawad is prayatna ke liye.
mujhe apki rachna bahut achhi lagi, abhi kuchh mahine pahle meri dadi is duniya se ja chuki hain bas mujhe unki yad ayi ....I miss my dadi
Sach me aapki daadi bahut cute hain... meri daadi bhi unhi ki tereh thi magar unhe mail karna nahi aata tha...unhe to mobel oil (She means mobile) se bhi chidh thi magar fir bhi...khair... may she stay wid u forevr :)
kash daadi ka esa payaar hame bhi mil paata
Wonderful blog , I must say.
I will take time out to read the contents.
The "Dadi" wala post is really touching. You are a wonderful writer.
Congratulations.
Mare ਸਾਥ ਸੈਕਸ ਕਰੀ ਗਿਐ ਅਪ ਮੀ watsapp number 8196882961
Hi Priya ji
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