पहाड़ के परले तरफ गाँव में एक लड़की रहती है! उसी गाँव में लड़की के मकान से चार मकान छोड़कर एक लड़का भी रहता है!दोनों बड़ा प्यार करते हैं आपस में!लड़की खेत में माँ बापू का हाथ बंटाती है और ज़रा सा मौका मिलते ही दौड़ पड़ती है तालाब के पास वाले मंदिर की ओर!जहां लड़का हाथ में ढेर सारे बेर और मूंगफली लिए उसका इंतज़ार करता मिलता है!मंदिर के पिछवाड़े की सीढियों पर दोनों बैठते हैं!
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
बहुत बहुत ज्यादा
हम्मेशा करोगे?
हाँ...
सच्ची...जिन्दगी भर?
और नहीं तो क्या
हम शादी के बाद एक गाय पालेंगे...उसके बछड़े का नाम ...
अरे तू भी क्या सोचने लग जाती है ..पगली! मैं तुझसे शादी न कर पाऊंगा!
लड़की सूखे पत्ते की तरह कांप उठती है...क्यों भला?
मेरे घरवाले तुझसे शादी के लिए नहीं मानेंगे...तेरी मेरी जात अलग है न!
तो क्या हुआ...
ब्याह तो मैं घरवालो की मर्जी से करूँगा...
और मैं?
तू भी अपने माँ बापू की मर्जी से कर लेना!
लड़की के साथ मंदिर..तालाब ..सीढियां सभी हैरत से एक दूसरे को देख रहे हैं!
तू तो मेरी राधा है न...बता राधा किशन का ब्याह हुआ था क्या?
लड़की चुप हो गयी है... धीरे से न में सर हिलाती है!
तो फिर...अब बोल तू भी मुझसे जिन्दगी भर प्यार करेगी न..?
हाँ...लड़की का सर फिर से हिला है!लड़की के साथ पेड़ पर बैठी गौरैया भी खामोश हो गयी है...उसके बच्चे भूख से चिल्ला रहे हैं पर वो उनकी ओर नहीं देखती है! लड़की उठकर घर की तरफ चल दी है!लड़का चिल्लाता है...कल आएगी न? लड़की हाँ में सर हिलाती है!लड़का पीछे से उसे जाते हुए देखता है और बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
लड़की घर जाते जाते बारिश का मौसम बन गयी है....पूरा पहाड़ इतना गीला हो गया है कि बरसों तक न सूखेगा!गाँव कि एक झोपडी में लालटेन के तले बूढा बाबा कहता है... " इतनी बारिश तो सालों में नहीं हुई है!"
लड़के का ब्याह हुए दो साल हो गए हैं!लड़की अपनी सहेली से बातें कर रही है!
" तुझे कुछ खबर है उसकी?"
हाँ...शहर में रहने लगा है...
अच्छा
वो अब भी मुझे प्यार करता है
अच्छा...तुझसे कहा उसने
नहीं...मगर उसने एक बार मुझसे वादा किया था ..शराब को कभी हाथ नहीं लगाएगा! जब तक वो शराब नहीं पीता है....मुझसे प्यार करता है
सहेली जोर से हंस पड़ी है...हँसते हँसते पेट पकड़ लेती है!
क्या हुआ...?
तू कितनी भोली है...वो रोज़ शराब पीता है...उसने एक दिन भी नहीं छोड़ी! कहते कहते सहेली के चेहरे पर भी दर्द उभर आया है!
लड़की का चेहरा ज़र्द पड़ गया है.... अब लड़की बारिश नहीं बनती है! अब वह जाड़े के मौसम में तब्दील होती है... पहाड़ों पर बर्फ की मोटी चादर जम गयी है....पत्ते सिकुड़ कर बेरंग हो गए हैं! लालटेन वाला बूढा जी भर कर जाड़े को कोसता है!लड़की उठकर घर को चल दी है...सहेली पीछे से बुदबुदाती है " बेवकूफ लड़की "
साल बीतते हैं! एक दिन लड़का गाँव आकर लड़की का दरवाजा खटखटाता है! लड़की दरवाजा खोलती है....बिन पलक झपकाए हैरानी से लड़के को देखती है!
" ऐसे क्या देख रही है? तेरे घर आया हूँ! खाना बनाकर नहीं खिलाएगी?
हाँ हाँ...क्यों नहीं! लड़की का दिल उछल उछल कर छत छू रहा है! घबराहट में मेज से टकराते..मिटटी का घड़ा फोड़ते बावली सी रसोई में जाकर खाना पकाती है! ....लड़की मसाला पीस रही है...आज वह अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा खाना बना रही है! खाना पकाते पकाते लड़की बहार का मौसम बन गयी है! पहाड़ फूलों से भर गया है! पंछी चहक चहक कर पेड़ पेड़ मंडरा रहे हैं!हवा मुस्कुरा कर तितलियों से जाने क्या कह रही है!! और लालटेन वाला बूढा अपना घर छोड़कर बाग़ में जा बैठा है....मसालों की खुशबू से घर महक गया है! ! और लड़का बाहर बैठा किसी से फोन पर बात कर रहा है! खुदा ऊपर से देखकर बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
बहुत बहुत ज्यादा
हम्मेशा करोगे?
हाँ...
सच्ची...जिन्दगी भर?
और नहीं तो क्या
हम शादी के बाद एक गाय पालेंगे...उसके बछड़े का नाम ...
अरे तू भी क्या सोचने लग जाती है ..पगली! मैं तुझसे शादी न कर पाऊंगा!
लड़की सूखे पत्ते की तरह कांप उठती है...क्यों भला?
मेरे घरवाले तुझसे शादी के लिए नहीं मानेंगे...तेरी मेरी जात अलग है न!
तो क्या हुआ...
ब्याह तो मैं घरवालो की मर्जी से करूँगा...
और मैं?
तू भी अपने माँ बापू की मर्जी से कर लेना!
लड़की के साथ मंदिर..तालाब ..सीढियां सभी हैरत से एक दूसरे को देख रहे हैं!
तू तो मेरी राधा है न...बता राधा किशन का ब्याह हुआ था क्या?
लड़की चुप हो गयी है... धीरे से न में सर हिलाती है!
तो फिर...अब बोल तू भी मुझसे जिन्दगी भर प्यार करेगी न..?
हाँ...लड़की का सर फिर से हिला है!लड़की के साथ पेड़ पर बैठी गौरैया भी खामोश हो गयी है...उसके बच्चे भूख से चिल्ला रहे हैं पर वो उनकी ओर नहीं देखती है! लड़की उठकर घर की तरफ चल दी है!लड़का चिल्लाता है...कल आएगी न? लड़की हाँ में सर हिलाती है!लड़का पीछे से उसे जाते हुए देखता है और बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
लड़की घर जाते जाते बारिश का मौसम बन गयी है....पूरा पहाड़ इतना गीला हो गया है कि बरसों तक न सूखेगा!गाँव कि एक झोपडी में लालटेन के तले बूढा बाबा कहता है... " इतनी बारिश तो सालों में नहीं हुई है!"
लड़के का ब्याह हुए दो साल हो गए हैं!लड़की अपनी सहेली से बातें कर रही है!
" तुझे कुछ खबर है उसकी?"
हाँ...शहर में रहने लगा है...
अच्छा
वो अब भी मुझे प्यार करता है
अच्छा...तुझसे कहा उसने
नहीं...मगर उसने एक बार मुझसे वादा किया था ..शराब को कभी हाथ नहीं लगाएगा! जब तक वो शराब नहीं पीता है....मुझसे प्यार करता है
सहेली जोर से हंस पड़ी है...हँसते हँसते पेट पकड़ लेती है!
क्या हुआ...?
तू कितनी भोली है...वो रोज़ शराब पीता है...उसने एक दिन भी नहीं छोड़ी! कहते कहते सहेली के चेहरे पर भी दर्द उभर आया है!
लड़की का चेहरा ज़र्द पड़ गया है.... अब लड़की बारिश नहीं बनती है! अब वह जाड़े के मौसम में तब्दील होती है... पहाड़ों पर बर्फ की मोटी चादर जम गयी है....पत्ते सिकुड़ कर बेरंग हो गए हैं! लालटेन वाला बूढा जी भर कर जाड़े को कोसता है!लड़की उठकर घर को चल दी है...सहेली पीछे से बुदबुदाती है " बेवकूफ लड़की "
साल बीतते हैं! एक दिन लड़का गाँव आकर लड़की का दरवाजा खटखटाता है! लड़की दरवाजा खोलती है....बिन पलक झपकाए हैरानी से लड़के को देखती है!
" ऐसे क्या देख रही है? तेरे घर आया हूँ! खाना बनाकर नहीं खिलाएगी?
हाँ हाँ...क्यों नहीं! लड़की का दिल उछल उछल कर छत छू रहा है! घबराहट में मेज से टकराते..मिटटी का घड़ा फोड़ते बावली सी रसोई में जाकर खाना पकाती है! ....लड़की मसाला पीस रही है...आज वह अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा खाना बना रही है! खाना पकाते पकाते लड़की बहार का मौसम बन गयी है! पहाड़ फूलों से भर गया है! पंछी चहक चहक कर पेड़ पेड़ मंडरा रहे हैं!हवा मुस्कुरा कर तितलियों से जाने क्या कह रही है!! और लालटेन वाला बूढा अपना घर छोड़कर बाग़ में जा बैठा है....मसालों की खुशबू से घर महक गया है! ! और लड़का बाहर बैठा किसी से फोन पर बात कर रहा है! खुदा ऊपर से देखकर बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
33 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
subah subah sari bevaquf ladkiyo ko kyo pareshan kar rahi hain ??
aur mujhe bhi.............
इतनी गहरी खाई से गहराई प्रतीत होती है इस लेख से !
मौसम और भावना दोनों का समानांतर वर्णन खूबसूरत है ...
शायद कोई लड़का लेखक होता तो वह इस कहानी का पुरूष पक्ष को रखता .. जो भी हो कहानी काहीं दूर कि नहीं है आसपास की ही से लगती है !!
उफ्फ्फ...ये चार मौसमों का रंग!
कितनी मासूम है इस बेवक़ूफ़ लड़की की कहानी.
पल्लवी जी
कहानी अपने साथ बहा ले गयी और अंत मे आकर रौंगटे खडे हो गये……………लडकी का भोलापन ही उसकी बेवकूफ़ी बन गया या कहिये उसका प्रेम कितना निश्छल था जो जानते हुये भी अन्जान बन रहा था……………इतनी सुन्दर और ह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति है कि दिल कहीं खो सा गया है………और शायद अब कुछ कहने को शब्द भी नही मिल रहे।
बेवकूफ लड़की...स्मार्ट लड़का
बोल्ड किये हुये सारे रंग गज़ब के हैं!
ohhhhh my god,
i can,t belive ki wardi ki kalam bhi itani gahari aur hriday sparshi scrip likh sakti hai!
sach me dil ko to chhuwa hi, end ate-ate ankho me anshu bhi agaye.
Par pallavi ji kuchh ladke bhi is ladki ki tarah bewakuf hoten hain.
shayad uname se ek mai bhi ho sakta hun. :) :)
sunder lekh ke liye bahut-2 badhai.
yeh bebkoof si ladki ki bebkoofi pad k mujhe apni bhi saari bebkoofiyan yaad aa gyi. ladkiya kitni bhi smart or intelligent kyun na ho emotionally BEBKOOF hi hoti hai..............
ek bar phir se loha manwa diya aapne
nishabd kar dene wali rachna....
पल्लवी - (बहुत संभव) एक स्क्रिप्ट राइटर
बोल्ड की हुई लाईन्स बड़ी अच्छी है.. वैसे लड़किया जानते हुए बेवकूफ बनी रहना चाहती है.. वो जब प्रेम करती है तो सिर्फ प्रेम करती है.. पर लड़के जब प्रेम करते है तो सिर्फ प्रेम ही नहीं करते है..
कहानी बहुत भोली है पर दर्द बढाती है..
दिनों बाद आपको पढ़ रहा हूँ , और उसमे ये गज़ब कर दिया आपने ... दिल उछल उछल कर छत छू रहा है! ऐसी कल्पनाशीलता पहली बार पढ़ रहा था ! वेसे बोल्ड किये गए तीनों ही बार आप सफल रही हैं ! बधाई
अर्श
मुझे नहीं ज्ञात था कि इन मौसमों में इतनी मासूमियत और इतनी पीड़ा छिपी है।
नही यह बेवक़ूफ़ लड़की नही हो सकती, यही जानती हे प्यार किसे कहते हे, बहुत सुंदर रचना धन्यवाद
उस बेवकूफ़ लड़की की बेबसी देख कर मन दुःखी हुआ... संवेदनशील हृदयस्पर्शी लेख।
bewakoof ladki.....oh my my, kya khoob likha hai, its just awesome....
sach, kuch ladkiyaan itni bewakoof hoti hain ;)
pleasure reading u
साल बीतते हैं! एक दिन लड़का गाँव आकर लड़की का दरवाजा खटखटाता है! लड़की दरवाजा खोलती है....बिन पलक झपकाए हैरानी से लड़के को देखती है!
" ऐसे क्या देख रही है? तेरे घर आया हूँ! खाना बनाकर नहीं खिलाएगी?
हाँ हाँ...क्यों नहीं! लड़की का दिल उछल उछल कर छत छू रहा है! घबराहट में मेज से टकराते..मिटटी का घड़ा फोड़ते बावली सी रसोई में जाकर खाना पकाती है! ....लड़की मसाला पीस रही है...आज वह अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा खाना बना रही है! खाना पकाते पकाते लड़की बहार का मौसम बन गयी है! पहाड़ फूलों से भर गया है! पंछी चहक चहक कर पेड़ पेड़ मंडरा रहे हैं!हवा मुस्कुरा कर तितलियों से जाने क्या कह रही है!! और लालटेन वाला बूढा अपना घर छोड़कर बाग़ में जा बैठा है....मसालों की खुशबू से घर महक गया है! ! और लड़का बाहर बैठा किसी से फोन पर बात कर रहा है! खुदा ऊपर से देखकर बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
बड़ी जोर की बारिस होती है अह्स्सों की पढ़ते हूँ...शानदार....
मुझे तो 'बेचारी' बेवकूफ लड़की कहने का मन हो रहा है. अंत थोडा अच्छा लगा, बाकी के मौसम तो बहुत मारक हैं.
क्लासिकल म्यूजिक वाले लोग कविता और कहानियां ज्यादा कोमल बुनते हैं. पारुल पुखराज जी कविताओं और प्रतिभा कटियार जी की कहानियों में कोमल सुर बरसते हैं. आपकी इस कहानी में भी वे सब खूबियाँ हैं. कुछ कवित्त सी पंक्तियाँ चुनी थी फिर दूसरे पाठ में लगा कि सब सुंदर... बहुत बधाई !
जानती हो बचपन में जब शिवानी के नोवेल पढ़ते थे तो सोचते थे ....इतनी पढ़ी लिखी लड़की एक आवारा से प्रेम कैसे कर सकती है भला ?...बड़े हुए तो समझ आया ..हाँ लड़की ऐसा कर सकती है .क्यूंकि वो प्यार को प्यार की तरह करती है ..
कुश का कहना ठीक है .......ओर गौतम का भी बोल्ड वाले सब..किसी नदी की माफिक है ...
लड़की का प्रेम उसके मन में बगरद के पेड़ की तरह जड़े जमाये हुए है..एक ठहराव,एक भरोसा है उसमें...सुना है बरगद के पेड़ खूब जगह घेरते है और जगह की आजकल किल्लत है..
उसको दर्द जरा नहीं होता.. रंजो गम फ़ज़ा नहीं होता..
तुम हमारे किसी तरह से ना हुए.. वरना होने को इस दुनिया में क्या- क्या नहीं होता..
वो लड़की बेवक़ूफ़ नहीं है.. पर शायद समझदार होना नहीं चाहती.
वो जो उसका कभी था ही नहीं... पर फिर भी वो उसे खोना ही नहीं चाहती..
सुन्दर अति सुन्दर...
क्या खूब ,बिम्बों के सहारे एक अद्भुत कहानी
बहुत सुन्दर. लगा, जैसे अन्तोन चेख़ोब को पढ रही हूं.
बेबकूफी के बिना प्यार संभव ही नहीं...जहाँ चतुराई हो ,उस जगह प्यार नहीं ठहरता .
संवेदनशील रचना के लिए बधाई.
प्यारी लड़की :)
सादगी, निश्चलता, मासूमियत अगर बेवकूफी है.....तो हाँ! मंजूर है हमें एक नहीं...ऐसी अनगिनत लड़कियां
Man ko chu deni waali..so so well written..poetry in your words
sach main bahut hi kamaal.
ishq ki pakizgi kabhi bhi masoomiyat marne nahi deti. basharte ishq ko ishq rahne do.
सच्ची लड़की, दिल की आवाज सुनने वाली...
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