चारदीवारी एक आज़ाद कैद की माफिक है
या यूं कहिये दस बाय दस का तोते का पिंजरा
तोते खुश हैं , सेहतमंद हैं और वफादार भी
तोतों के पंख सलामत भी हैं
और जानदार भी
तोते अपनी किस्मत सराहते हैं
दूसरे तोतों के दो बालिश्त बराबर पिंजरे देख
बस ..उनकी उड़ने की इच्छा का हरण किया गया है
बेहद चतुराई से
उड़ने वाले तोतों को देख जो कभी लालच आये
पिंजरे के तोतों में तो ,
वे तमाम कहानियां सुनाते हैं कि
कैसे शिकारी बाज़ नोच डालते हैं उन्हें
और यह भी कि तोते सिर्फ दहलीज के भीतर महफूज़ हैं
चारदीवारी आज़ादी के मानी नहीं समझाती
तोतों को सिखाये जाने वाले तमाम लफ़्ज़ों में गायब है
" आसमान " और "उड़ान"
उन्हें यकीन है
तोतों की अगली पीढियों से नहीं छुपाना पड़ेगा "आसमान " को
ये शब्द खुद ब खुद गायब हो जाएगा उनके दिमागों से
इंसानी पूंछ की तरह
तब उन्हें रटाया जाएगा "आसमान "
और इसका उच्चारण करते हुए वे देखेंगे
एक बड़ी खाली जगह
जैसे हम देखते हैं अन्तरिक्ष
जहां जाने की ज़रुरत नहीं
सिर्फ ज्ञान ही काफी है
हर " रिओ " को नहीं मिलते ये बताने वाले कि
" रिओ " तुम उड़ सकते हो
5 comments:
गहरा अर्थ लिए भाव ... लाजवाब रचना ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4-12-2014 को चर्चा मंच पर गैरजिम्मेदार मीडिया { चर्चा - 1817 } में दिया गया है
धन्यवाद
gahare bhaaw liye umdaa rachna
अपने अंतर को मार कर ही जिन्दा रहा जाता है।
गहन भाव सुंदर प्रस्तुति .....
Post a Comment