जब भी देखो किसी चिड़िया को चहकते , फुदकते
बस उसी को देखना एकटक
यूं नहीं कि पढ़ते , लिखते, मोबाईल पे बात करते एक उड़ती निगाह डाली
और मुस्कुरा दिए
सारा काम परे रख ...देखना बस उस चिड़िया को
आँख में भर लेना उसे उसके पूरे चिड़ियापन के साथ
जीना उस पल को सिर्फ उस चिड़िया के साथ
और ऐसे ही करना प्रेम
जब भी करना
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सारे ब्रांड उतार कर देहरी पर छोड़ देना
क्लच को एक झटका देना और सुबह दस बजे से कसे जूड़े को खोल देना
निकाल देना साड़ी के पल्ले की सारी पिनें
आना नीली बद्दी वाली हवाई चप्पल सी बेफिक्री लिए
हमेशा अपने प्रेमी के पास
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आज उसे चाँद की बिंदी न लगाना
आँचल में सितारे भी न टांकना
उसकी देह के लिए नयी उपमाएं तो बिलकुल न खोजना
मार्च एंड के बोझ की मारी वो
जब लौटे ऑफिस से
प्यार से लिटा लेना अपनी गोद में
मलना बालों में जैतून के तेल को अपनी पोरों से
और बच्चों सी गहरी नींद सुला देना
बस्स ...
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जब लड़ना तो आसमान सर पे उठा लेना
कहना उसे
" जल्दी टिकट कटा ले बे ऊपर का "
और जब उसके इंतज़ार का काँटा
दस मिनिट भी ऊपर होने लगे तो
वो दस मिनिट दस युगों की तरह गुजारना
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उसे यूं ही बाहों में मत भर लेना
सुनो ..आज एक काम करना
खाने की मेज़ पर प्लेटें सजा देना
काट कर रखना खीरा और टमाटर
झटपट बना देना सब्ज़ पुलाव और पुदीने कैरी की चटनी
और जब वो नहाकर ऊपर बाल बांधती हुई
जाने लगे रसोईघर में
उसे बाहों में भरकर
बेतहाशा चूम लेना
और उसकी आँखों से सुख बरसा देना
3 comments:
और जब भी लिखना ?
बहुत खूब ... हर लम्हे में कुछ नया नार आ रहा हो जैसे .. अनोखे बिम्ब .. चाँद से भी आगे ...
वाह! थोड़ा और सीख लिए :)
इसे रचनाकार पर पुनर्प्रकाशित किया है, ताकि वहां के पाठक भी कुछ सीखें -
http://www.rachanakar.org/2015/05/yet-another-love-poem.html
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