Sunday, December 13, 2015

हर पहर प्रेम

(श्रवण )
आज सवेरे जब तुम्हे देख रही थी अपलक ,
परिंदों को दाना डालते हुए ,
छत पर दो गौरैया , तीन कबूतर और चार गिलहरियों से घिरे ,
उन्हें प्यार से टेर लगाकर बुलाते हुए तुम,

अचानक एक गहरी और शांत आवाज़ में तब्दील हो गए थे 
और मैं लगभग ध्यान मग्न

संसार के सारे स्वर मौन हुए और
तुम गूंजने लगे मेरे देह और मन के ब्रम्हांड में एक नाद की तरह 
काटते रहे चक्कर मेरी नाभि के इर्द गिर्द

मैं उस पल में एक योगिनी थी और तुम 
ओम... ओम...ओम

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( स्वाद)
आज दोपहर मौसम की पहली बारिश और बस ...
तुमने देखा मुझे ऐसी तलब भरी निगाहों से 
मानो मैं चाय की एक प्याली हूँ

ओह ...उत्तेजना से थरथरायी प्याली और 
टूट कर बिखर गयी एक गर्म आगोश में

और ठीक उस वक्त जब तुम ले रहे थे बागान की सबसे कोमल पत्तियों की चुस्कियां
मैं तलबगार हुई एक अनचीन्हे नशे की और
तुम उस क्षण बने मेरे लिए अंगूर का महकता बाग़

ढेर से रसीले अंगूर मैंने कुचले , चखे और
डूबकर बनायी दुनिया की सबसे बेहतरीन शराब

अब आँखें बंद कर घूँट घूँट चखती हूँ तुम्हे 
नशा -ए -मुहब्बत बढ़ता जाता हर बूँद के साथ

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(स्पर्श)
पूरी ढल चुकी शाम के बाद बुझ चुके सूरज की राख 
जब उदासी बनकर जमा हो रही थी चेहरे और निगाहों पर

तुम बन गए थे एक रेशमी रूमाल
मेरी छलछलाई आँख को समेटते , उदासी की राख पोंछते

तुम उस पल एक मुलायम छुअन थे , 
हंस का एक उजला मुलायम पंख थे , किसी नवजात की नर्म हथेली थे

तुम स्वाति की पहली बूँद थे, बेचैन पपीहे पर बरस रहे थे ....
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(दृश्य)

आधी रात नींद खुली और देखा 
तुम टेबल पर झुके कोई कविता बुन रहे थे 
लैम्प की उस पीली रौशनी में तुम बन गए
प्रकृति की एक विराट पेंटिंग

सोचते हुए ललाट पर चार गहरी सिलवटें
जैसे सूरज से निकलती पहली किरणें
जिसकी गुनगुनी गर्माहट में 
गेंहूं की बाली की तरह पकती थी कविता ,

प्रेमिल आँखों में देर से टिकी एक बूँद 
जो बाद में कविता की किसी पंक्ति में ही गुम हो गयी थी 
मद्धम लयबद्ध साँसों में महकती थी वो सुनहरी गेंहू की बाली

मैं देखती रही अडोल उस अलौकिक चित्र को 
फिर मैं उस चित्र पर झुकी और अपना नाम लिख दिया 
एक पीले चुम्बन से ....

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मैं मेरी चार इन्द्रियों से चार पहर तुम्हे महसूसती हूँ
और पांचवी ?
(गंध)
जब जब सांस लेती हूँ 
तुम बन जाते हो तुम्हारी ही तुर्श महक 
जो फूटती है तुम्हारी देह से और 
समाती है मेरी रूह में......

3 comments:

Mithilesh dubey said...

SNAKE BOY: खतरनाक सांपों से खेलना है इनका शौक
http://mp.patrika.com/landing_preview.php?catslug=chhindwara&newslug=his-hobby-is-playing-with-dangerous-snakes-saved-the-lives-of-more-than-500-snakes-18599

Manyu Aatreya said...

aap gazab hain !!

SANDEEP KUMAR SHARMA said...

बहुत अच्छी रचनाएं हैं आपकी...।