Friday, August 1, 2008

खुशियाँ हमसे बचके जायेंगी कहाँ


कल की बारिश में खुशियों को भीगते ,मचलते,नाचते और तैरते देखा और छोटी बहन सिन्नी ने घर के अन्दर से कैमरा लाकर इन अनमोल पलों को कैद कर लिया!तेज़ बारिश में वो ३० मिनिट! वाकई ऐसा लग रहा था जैसे मुस्कराहट बरस रही हो आसमान से!कचरा बीनने वाले बच्चों को बारिश का उत्सव मनाते देखना एक यादगार अनुभव था!
आप भी देखिये इन खूबसूरत तस्वीरों को...घर के सामने सड़क पर नाली में खुशियाँ
मनाते बच्चे॥

हमसे जीना सीखो....

खुशियाँ कैसे चारों और बिखरी पड़ी हैं!हाथ बढाओ और समेट लो

यहाँ के हम सिकंदर

खुशियाँ हमसे बचके जायेंगी कहाँ

26 comments:

नीरज गोस्वामी said...

सच कहती हैं आप खुशियाँ हमारे चारों और बिखरी पड़ी हैं...बस हाथ बढाओ और छू लो...बहुत अच्छी तस्वीरें खींची हैं आपने...एक दम जीवंत. हाँ...आप के घर के आगे बहुत हरियाली है...अच्छा लगा देख कर.
नीरज

कुश said...

हरियाली देखकर नीरज जी को लगता है खोपोली याद आ गयी..
वैसे बहुत अच्छा लगा.. ऐसी बारिशे भगवान सबको दे..

admin said...

बचपन इसी का नाम है। वह हर हाल में खुश रहता है हर चीज में मस्ती खोज लेता है।

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर फोटो हैं। हम खुशियों को ढूँढते रहते हैं परन्तु खुशियों के कुछ पल जीना कोई इन बच्चों से सीखे !
घुघूती बासूती

राज भाटिय़ा said...

आप ने सच मे सिद्ध कर दिया जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम हे,ओर आप की हर पोस्ट मे यही अहसास होता हे, आप की हर पोस्ट जिन्दगी से भर पुर होती हे,धन्यवाद, एक ओर अच्छी पोस्ट के लिये

अमिताभ मीत said...

क्या बात है.... बहुत सुंदर. हम भी अगर बच्चे होते ....................
वैसे मैं भी आज तक, जब भी मौक़ा मिलता है इस तरह भीगने का ..... चूकता नहीं कभी.

Manjit Thakur said...

पल्लवी बढिया लिखती हैं आप, आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया.. अच्छा लगा। स्वभाव से आप कवयित्री लग रही है, साधुवाद

Rajesh Roshan said...

ऐसी खुशियां हमारे चारों तरफ फैली हैं, उन्हें पहचानने और उसके साथ हिलने मिलने से खुशियां हम आपके दामन में भी होंगी। बहुत ही सुंदर।

रंजू भाटिया said...

जीने के लिए कोई भी बीता हुआ पल खुशी दे जाता है बस उसको कैसे लेना है वह हमारे ऊपर है :) आपने उस को यहाँ क़ैद कर लिया आपके साथ हमने भी इस खुशी को महसूस किया ...:)

बालकिशन said...

जितने सुंदर चित्र उतना सुंदर वर्णन.
खुशी हुई देख-पढ़ कर.
आपका आभार.

शोभा said...

वाह क्या बात है। चित्र बहुत सुन्दर हैं।

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत अच्छी पोस्ट!

डॉ .अनुराग said...

ये लम्हा अनमोल है पल्लवी....अपनी छुटकी को मेरा सलाम बोलना.....

डॉ .अनुराग said...

ये लम्हा अनमोल है पल्लवी....अपनी छुटकी को मेरा सलाम बोलना.....

दिनेशराय द्विवेदी said...

मुझे राजेश खन्ना और अमिताभ की फिल्म 'आनन्द' आ गई।

شہروز said...

so jate hain phutpath par bas yun hi dubak-kar/
bachche hamare dhoodh ki botal nahin peete

manower rana ke ik mashhoor she'r ki zameen mein kabhi ye likha tha.
aaj in tasveeron ko dekh apna hi she'r yaad aagaya.

रश्मि प्रभा... said...

khushiyaan waakai bachkar kahan jayengi.......aapne hum sabke saath baant liya,sundar.......

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ऐसी भीतर से उमडती खुशी एअर
कन्डीशन कमरोँ या कालीनोँ से लैस भवन की मोहताज नहीँ ...
- लावण्या

vipinkizindagi said...

बहुत अच्छी तस्वीरें

Sanjeet Tripathi said...

दिल खुश कर दिया आपने। कल ही सारा काम-धाम भूल कर मैं निकल पड़ा था पैदल ही सावन की झड़ी का आनंद उठाने, दो घंटे भीगकर लौटा घर!
मस्त मजा आ गया।

Vinay said...

सचमुच आपने अनमोल पल संजोये हैं!

अंगूठा छाप said...

kya baat hai...



bahut khoobsurat!


sinni ko meri or se bheegi-bheegi si badhai!!

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

बशीर बद्र साहब याद आ रहे हैं:

खुश रहे या बहुत उदास रहे,
ज़िन्दगी तेरे आस-पास रहे,
आज सब के साथ हम खूब हँसे
और फिर देर तक उदास रहे।

जरा सोचिए, अपने बच्चों को बरसाती नाली में लोटते देखकर हम कितना खुश हो पाएंगे?

Abhijit said...

middle east ke registano me baithkar baarish ki tasveer dekhkar ghar ki yaad aa gayi.

aapne sach kaha...khushi bas haath badhane bhar door hai.

Manish Kumar said...

वाह! पैनी निगाह है आपकी बहुत सुंदर...

Abhishek Ojha said...

Waah ! Aisa anand aur kahin nahin.