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" क्या दिल टूटने से चोट नहीं लगती? क्या किसी की भावनाओं के साथ खेलने की कानून में कोई सजा नहीं है? क्या दिल पर लगी खरोंच शरीर पर आई खरोंच से कम दुःख देती है?" उसकी आंसुओं से भीगे प्रश्न लगातार मेरे जेहन पर हथौडे की तरह पड़ रहे हैं! वो आज आई थी मेरे ऑफिस में.....दुखी, परेशान....बात बात पर आंसू छलक उठते थे! भर्राए गले से वो बोलती जा रही थी!मैं चुपचाप सुनती जा रही थी! उसे धोखा मिला था! तीन साल तक साथ जीने मरने की कसमे खाने वाले उसके बॉय फ्रेंड ने अचानक कहीं और सगाई कर ली थी! किसी तीसरे से उसे उसकी सगाई के बारे में पता चला ....और पूछने पर बॉय फ्रेंड का जवाब था- " बी प्रैक्टिकल यार...ये सब तो चलता है!अब मेरे मन में तुम्हारे लिए पहले जैसी फीलिंग नहीं हैं...हम बस अच्छे दोस्त हैं!" इतना कहकर लापरवाही से सर झटक कर वो चल दिया अपने रास्ते!शायद इसके बाद लड़की का फोन उठाने की ज़हमत भी नहीं की उसने!और लड़की उसी दिन से डिप्रेशन में है.....कभी वो पुरानी बातें याद करती है...कभी जानने की कोशिश करती है की आखिर उसके प्यार में कहाँ कमी रह गयी...कभी किसी तांत्रिक के पास जाती है की शायद कोई वशीकरण मन्त्र हो जो उसे प्यार को वापस उसकी और ला सके! पिछले दो महीने में पांच किलो वज़न कम कर चुकी है अपना! रात को नींद की गोली खाए बिना सो नहीं पा रही है!और आंसुओं का तो कोई हिसाब ही नहीं है! ये सब मुझे उसके साथ आई उसकी मां ने बताया!
सलाह देना कितना आसान होता है....मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की! जो जो भी बातें उसे जिंदगी की राह पर आगे बढ़ने के लिए मैं कह सकती थी..मैं कह रही थी! वो हाँ में सर हिलती....फिर कुछ ही पल में उसकी सिसकियों के साथ मेरे सारे उपदेश बह जाते! अचानक हिचकी भरी आवाज़ से उसने मुझसे पूछा " अगर कोई किसी को डंडे से मारे तो क्या अपराध बनेगा?" मैंने हाँ में सर हिलाया! उसका अगला प्रश्न था " डंडे की चोट कितने दिन में ठीक हो जायेगी?" मैंने कहा ...कुछ दिनों में!
उसने अपनी सूजी हुई आँखों से मेरी तरफ देखा और बोली " क्या मेरे दिल पर जो चोट लगी है...उससे ज्यादा चोट डंडे से मारने से लगती है? डंडे का घाव तो कुछ दिन में भर जायेगा...मेरे दिल पर लगे ज़ख्म जो पता नहीं कब भरेंगे...उसका कुछ भी नहीं? " क्या जो मेरे साथ हुआ वो शारीरिक प्रताड़ना से कम कष्टदायी है? फिर किसी का दिल तोड़ना अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं आता?" मैंने उससे कहा ...अगर उस लड़के ने तुम्हारे साथ कोई ज्यादती की है या तुम्हारा शारीरिक शोषण किया है तो ये अपराध है! लड़की बीच में मुझे टोकती हुई बोली...." यानी की अपराध तभी होगा जब शरीर को चोट पहुंचे...वैसे उसने मेरे साथ कोई ज्यादती नहीं की है" इस बार उसकी आवाज़ में शिकायत और तल्खी दोनों ही थे!
थोडी देर सब खामोश रहे....फिर वो उठी और बोली " अब मैं चलती हूँ!" मैंने धीरे से सर हिला दिया! जाते जाते वो पलटी और बोली " शायद मैं धीरे धीरे इस स्थिति से उबर जाऊं पर अब किसी पर विश्वास नहीं कर पाउंगी....और शायद शादी भी न करून! काश आपके कानून में बेवफाई भी जुर्म होती ! "
मैं फिर अपने कमरे में अकेली बैठी थी....कागजों पर साइन भी करती जा रही थी पर उसका आंसू भरा चेहरा न तो हटता था आँखों के सामने से और न ही उसकी सिसकियों की आवाज़ कानो से अब तक अलग हो पायी है! सोचती हूँ वाकई उसके प्रश्न कितने जायज़ हैं! बेवफाई न तो कोई जुर्म है और न ही उसकी कोई सजा!
32 comments:
लड़की की उम्र क्या होगी?
क्योंकि ऐसे कई केस में लड़के या लड़कियो की उम्र बहुत कम होती है.. और बढ़ती उम्र में किसी के भी साथ एक भावनात्मक संबंध बन जाता है.. और समय के साथ टूट भी सकता है.. ऐसा ही दोस्तो के साथ भी होता है.. हमारे दोस्त भी ज़िंदगी बीतने के साथ साथ उस तरह से नही रहते जैसे हमेशा से रहते आए है.. बहुत कम ऐसे लोग होते है जिनके बचपन के दोस्त बाद में भी उनके साथ उसी तरह से रहते है जैसे बचपन में..
मगर दोस्तो के बारे में हम इतना नही सोचते और किसी करीबी के हमसे डोर जाने पर खुद को कष्ट देते है.. इन सबसे उबर कर वापस आना ही जीवन है.. चाहे वो लड़की हो या लड़का..
फिर भी आपका आलेख बहुत कुछ कहता है...
वैसे घाव तो दोनो ही भर जाते है.. चाहे जिस्म पर लगे या दिल पर.. पर्सनल एक्सपीरियंस है :)
यदि एक भी पक्ष में किसी संबंध में घुटन महसूस कर रहा था तो उसे निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए..बेवफाई काव्यात्मक अभिव्यक्ति अधिक लगती है।
जबकि दूसरी ओर
क्या वाकई ये अपराध नहीं है ?... मुझे नहीं पता कि भावनात्मक स्तर पर क्या है पर क्या 'ब्रीच आफ ट्रस्ट' IPC 406 को खींचतान कर भी इस दायरे में नहीं लाया जा सकता। जैसे विवाह का भरोसा दिया फिर विवाह नहंी किया।
प्यार होता ही ऐसा अजीब है...कई बार infatuation को प्यार समझ लेते हैं...और वो तो कुछ समय बाद ख़त्म हो जाता है. पर इस बात को एक्सेप्ट करना कि अब सामने वाला अब हमसे प्यार नहीं करता बहुत मुश्किल हो जाता है. इससे ही दुःख होता है...पर किसी को बताये बिना इस तरह कसमें तोड़ना, बेवफाई तो है है...पर अफ़सोस इसकी कोई सज़ा नही होती.
जब किसी से दिल से जुडाव हो जाए तो बहुत मुश्किल होता है इस तरह के हालात से निकलना ..यह ठीक कहा उसने कि वह अब किसी पर आसानी से विश्वास नही कर पाएगी और करेगी भी नही वह ...पर यह तो अच्छा हुआ उसने अभी कह दिया कुछ वक्त बाद शादी कर लेता उस से और उसके बाद कहता तो "'बी प्रैक्टिकल यार...ये सब तो चलता है!अब मेरे मन में तुम्हारे लिए पहले जैसी फीलिंग नहीं हैं...हम बस अच्छे दोस्त हैं!" "'...और भी कठिन था ..
अगर भावनात्मक आधार पर किसी का दिल दुखाना अपराध हो तो इस देश की ९० प्रतिशत जनता जेलों में अपनी आधी जिंदगी गुजार देगी...इस देश के आधे से अधिक लोग अपनी पूरी उम्र बिना ये जाने गुजार देते है की वे कितने कड़वे ओर असवेदनशील है...ओर आधे इस सच को स्वीकारना नही चाहते ...खैर आपके मुद्दे पर आते है...इन्सान जब ऐसे भावनात्मक दौर से गुजर रहा होता है तब उसे लगता है की जीवन में शायद यही सबसे बड़ा दुःख है .पर जिंदगी की यही सबसे बड़ी खूबसूरती है की को सभी जख्म आहिस्ता - आहिस्ता भर देती है ... वैसे भी जिस रिश्ते पे प्यार ना हो उसे खीचना बेकार है.....
अब कानूनी बात ..विवाह का वादा करके शोषण पर वैसे कानून है.....
achछ्a sawaal hai.
आपके सामने एक किस्सा आया. आप संवेदनशील हैं, विचलित हो गईं. न जाने कितने लोगों का भावनात्मक शोषण विश्व भर में रोज हो रहा है. कितने बिना बताये आत्महत्या कर लेते हैं और कितने पागल हो जाते हैं. न जाने कितने लोकलाज और समाज के दबाव में सब ज़ज्ब कर जाते हैं.
प्रश्न तो फिर भी रह जाता है कि क्या यह कानून की दृष्टि में अपराध है?
पल्लवी ,
मसिजीवि की बात गौर करने लायक है।
hum bas itana kehenge waqt ke saath sab badal jaata hai,bhawanaye hona achhi baat,magar un mein beh jaana thik nahi,shayad.....kehna aasan.....
असल में जब भी ये रिश्ते जुड़ते हैं तो चाहे जितने दिनो के लिये जुड़ें पर शाश्वत सत्य लगते हैं....! दुनिया में इसके अलावा भी कुछ है ये पता नही होता, फिर अचानक ही इन रिश्तों का टूट जाना, बहुत बड़ा खालीपन ले आती है। यहाँ तो लड़के ने कहा भी कि अब वो फीलिंग नही रही, हमने तो देखा है कि लड़के एक तरफ ये रिलेशन कैरी करते हैं, दूसरी तरफ इंगेजमेंट कर लेते है और भावुक प्रेमिका को कहते रहते हैं कि मन मे तो तुम ही हो...!
ऐसा लगता है कि अब कभी हम दूसरे किसी रिश्ते में जल्दी नही बँध नही पाएंगे....! ऐसा गैप आने के बाद मन कहीं न कहीं भावनात्मक आश्रय ढूँढ़ता तो बहुत जल्दी है मगर कहीं न कहीं ये फ्रस्टेशन पीछा जिंदगी भर करती है....!
बेवफाई जुर्म क्यों नहीं? इस सवाल का जबाव तो आप ही बेहतर ढंग से दे सकती हैं लेकिन पूरा प्रकरण पढ़ने के बाद एक बात तो तय है कि लड़की संवेदनशील है और दिल से मजबूर वरना झूठ/सच का सहारा लेकर उसे कठघरे में तो खड़ा कर ही सकती थी। ऐसे मामले हमारे आस-पास रोजाना घटित होते हैं लेकिन ऐसा सवाल किसी लड़की ने इतनी व्यथा के साथ शायद कभी नहीं पूछा हो।
बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है आपने।
शायद दोनो घाव भर जाऐगे। पर जो विश्वास टूटा है वो शायद ही दुबारा बन पाए।
ये इश्क नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजै
एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है
प्यार मनुष्य की सबसे आदिम भावना है जो सृष्टि के प्रारम्भ से ही हमारे व्यवहार का स्वरूप निर्धारित करती रहती है। लेकिन फिर भी इसे कानून के दायरे में पकड़ना मुश्किल है। बस अपना होश सम्हाल के रखने के आलावा कोई रास्ता नहीं है।
उस लड़की को समझाइए कि वो भगवान का शुक्र मनाए जो इस लड़के की असलियत बात बिगड़ने के पहले पता चल गयी। कहीं शादी के झाँसे में कुछ ऐसा-वैसा कर चुकने के बाद ‘वैसी फीलिंग नही’ रह जाती तब तो जिन्दगी पहाड़ बन जाती।
क्या पता यह एक तरफ़ प्यार हो ? वो लडका इसे मात्र एक दोस्त ही समझता हो, फ़िर प्यार करने वाले किसी तांत्रिक के पास नही जाते , जिस से प्यार करते हो उस की खुशी चाह्ते है, इस लडकी को प्यार नही, क्योकि प्यार करने वाले तो इस बात का चर्चा भी नही होने देते.
इसे तो अपनी हार दिख रही है, जलन हो रही है कि इसे छोड कर वो किसी दुसरी लडकी से केसे शादी कर सकता है, ओर यह स्तिथि थोडी खतरनाक भी होती है, वेसे यह प्यार व्यार का सही ममाला नही.उस लडकी को समझाओ की प्यार एक तरफ़ नही होता,ओर प्यार कोई मण्त्रो से बस मै नही हो सकता, अपनी बेवकुफ़ई को भूल जाये ओर फ़िर से जिन्दगी की डगर पर चले
धन्यवाद
आपकी सहेली के साथ हुई दुर्घटना अपनी जगह। सारे जमाने की सहानुभूति उसके साथ। किन्तु जब आप न्याय की बात करती हैं तो शायद जान बूझ कर भूल जाना चाहती हैं कि 'न्याय दान' एक भौतिक प्रक्रिया है जो तथ्यों, साक्ष्यों, प्रमाणों पर आधारित होती है। इससे मिलने वाला 'दण्ड' भी 'भौतिक' होता है।
आप 'भावनाओं' को तथ्यों की तरह प्रस्तुत कर, दण्डित करने की इच्छा प्रकट कर रही हैं। आप स्वयम् जानती है कि यह न तो उचित है और न ही सम्भव।
जब एक कुशल पुलिस प्रशासक के पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है तो कानून के गलियारों में भटकने को अभिशप्त लोगों से पूछ कर आप अन्तत: अपने आप से ही बचना चाह रही हैं।
कृपया इस प्रकरण में प्रश्न न पूछें। समाधान बताएं।
अच्छा हुआ जो लड़के ने शादी के पहले ही किनारा कर लिया यदि ये ही बात वो शादी के बाद करता तो क्या होता...??? बहुत से किस्से आपको ऐसे अपने आस पास मिल जायेंगे जिसमें शादी के बाद पति अपनी पत्नी से विमुख हो कर किसी और के पास चला जाता है...मानसिक प्रताड़ना के लिए अगर सज़ा हो जाए तो शायद अधिकतर लोग जेल में बंद होते नजर आयेंगे...हम जीवन में याद कीजिये कैसे और कब किसी को भी मानसिक रूप से प्रताडित करते रहते हैं...चाहे वो अपने हों या पराये...
नीरज
इस घटना को लिखने का उद्देश्य यह स्थापित करना नहीं है की हमारे कानून पर्याप्त नहीं है या इस तरह के प्रकरणों के लिए कानून बनना चाहिए! इस तरह की दुखद स्थिति का सामना करने वाली वो लड़की अकेली नहीं है और ये भी तय है की धीरे धीरे समय के साथ हर कोई इस स्थिति से उबर जाता है! मैं सिर्फ एक २५ साल की लड़की की दिल टूटने के बाद की मानसिक स्थिति को बताना चाहती थी!और इसके बाद उसके मन में जो सवाल उठे उन्हें सबके सामने रखना चाहती थी! क्योंकि भावनात्मक स्तर पर कहीं मैं खुद को उसकी जगह रखकर सोच रही थी तो वाकई सब कुछ कष्ट प्रद लग रहा था!
आपका चिठ्ठा पढ़कर दुःख हुआ। किंतु एक सड़ते हुए रिश्ते को लेकर जीने की घुटन से टूटे दिल की वेदना अच्छी
vaise "dil ke khush rakhne ko" to ye khyaal bhi bura nahiN ki der se hi sahi ek Ghatiya (jaisaki ab us ladki ko lagta hai) aadmi se pind to chhuta. Fir bhi ladki ko lagta ki uske sath kuchh aisa galat huya hai ki sabak sikhana aur sikha kar samaj ko koi sandesh dena zaruri hai aur vo ye kar sakti hai, to yeh koshish karne meN bhi koi harz nahiN hai.
यह सही है कि भावनात्मक शोषण को कानून अपराध नहीं मानता। उसे अपराध बनाया जाना संभव भी नहीं।
फिर भी जब कोई दिल तोड़ता है तो मानसिक यंत्रणा तो होती है।
The beauty of the relations based on love and friendship, is based on the free choice, and individual commitment, unlike all other relations, where, one can not escape and tied for life long. Therefore, these relations have hype of emotions, and freedom can not be curtailed. With happiness also comes sorrow and brings enrichment, makes human life worthwhile to live.
If this choice is governed by law, the very spirit of this human relations and experiences will be killed. Typically people who are more attractive by their mental, physical, or intellectual milieu, attract more people, and people who are boring and monotonous, gets dropped off in the dynamics of our present day social life.
All of us decide for priorities for our self, and also tailor concept of morality, freedom and humanity in the process
इसका शुक्ल पक्ष भी तो है- यदि वो बेवफा शादी करने के बाद, दैहिक शोषण करने के बाद छोड जाता तो ........ अच्छा है कि कहानी यहां ख्त्म हो गई।
प्यार करना ...प्यार पाना ....प्यार निभाना .....सभी जिंदगी के अलग अलग पहलू हैं .....किसी को ना चाहते हुए भी प्यार मिल जाता है और किसी की दिली तमन्ना होते हुए भी उसे उसका प्यार नही मिल पाता .... बेवफाई किसी का भी नसीब हो सकती है ....क्या पता चलता है की किसके दिल में क्या चल रहा है ....और ऊपर से बी प्रैक्टिकल नया सेंटेंस इजाद किया है आज की जेनरेशन ने
मुझे आश्चर्य है क्या अब भी ऐसे लोग है ? जिन्हे दिल टूटने का इतना गम है ? ऐसे लोग आज के सामाजिक बाने मे कही फ़िट नही होते .ऐसे लोग जो दिल की आवाज उसके दर्द उसकी चोट को महसूस करते है निरे पागल कहलाते है . आज का उसूल यही है
तू नही और सही और नही और सही
जहा मे सितारे और भी है
तेरा जहा ना सही
सितारो के आगे जहा और भी है
समाज मे प्यार भी सारे जोड गुणा भाग कर पनपता है या फ़िर कुछ दिन मौज लेने के लिये जिसके टूटने का कोई असर कुछ घंटो या कुछ दिनो से ज्यादा नही होता
इस दुनिया में सबसे बड़ा जुर्म है किसी का दिल दुखाना...
और बेवफाई उसी की श्रेणी में आती है.. जिसका हिसाब ऊपर वाला बड़ी तरतीब से करता है...
उम्दा लेख...सच से सराबोर
मीत
very emotional post... ab kya kahu mere khyal se aisa kanoon hona chahiye
रहिमन धागा प्रेम का ---
चिठ्ठा पढ़कर दुःख हुआ है.बात गौर करने लायक है....
मैंने उसे देखा तो नहीं है परन्तु तुम्हारे शब्दों ने उसे मेरे मनमें साकार कर दिया है !दर्द की जिस गीली ज़मीन पर वो खड़ी थी ,वहीँ पर उतरकर आपने उसे महसूस किया है और उसी एहसास को पाठक तक पहुँचाने में आपकी कलम सक्षम रही है !पल्लवी !तुम्हारे लेखन की प्रशंशा के लिए अबतो मुझे शब्द कम पड़ने लगे हैं ,लग रहा है मालती जोशी को पढ़ रहा हूँ ! नरेन्द्र जी से भी चर्चा की थी आश्चर्य है उन्हें आपकी इस प्रतिभा का पता ही नहीं था !
संवेदनशील पोस्ट!
लाइफ इस बिगर दैन एवेरिथिंग. इफ हर हर्ट इज़ ब्रोकन , मेक अ फ्रेंड स्टार्ट अगेन
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