आहा...एक और बेहद खूबसूरत सुबह! चेहरे पे मुस्कराहट वही बरसों पुरानी पर वजह हर रोज़ नयी! रोज़ की तरह आज भी निकली हूँ सुबह सैर करने.....पार्क की एक बैंच पर बैठती हूँ योगा करने पर....मन नहीं लगता! आज मन कहीं और अटका हुआ है.....एक क्रिकेट बॉल में ! पार्क में दो जगह क्रिकेट मैच चल रहा है! एक जगह १४ -१५ साल की उम्र के बच्चे खेल रहे हैं , दूसरी जगह ९-१० साल के बच्चे खेल रहे हैं! आँखें कभी इस तरफ जाती हैं तो कभी दूसरी तरफ! क्या करूँ...बहुत मन हो रहा है बैटिंग करने का! सोचती हूँ...काहे को इत्ती बड़ी हो गयी! क्या बिगड़ जाता इस भगवान का अगर इस दुनिया में एक लड़की बड़ी नहीं होती?
सिक्सर........अचानक जोर का शोर उठा है छोटे बच्चों वाले ग्रुप से! भाड़ में गया योगा....थोड़ी देर खेल ही देखती हूँ इनका! उठकर चल देती हूँ.....सामने एक सबसे छोटा बच्चा दिखाई दे रहा है....अपना सर झटक कर बौलिंग करने दौड़ पड़ा है.....छुटका तेज़ बॉल डालता है!
सामने वाला आउट हो गया है....अपना बैट लेकर जा रहा है! यही सही मौका है....कूद पड़ो बेटा मैदान में!मैं बीच में ही उसे रोकती हूँ.." मुझे खिलाओगे थोड़ी देर?" वो सबकी तरफ देखता है फिर कहता है " हाँ हाँ...आ जाओ , क्या करोगी?" मैं तडाक से कहती हूँ " बैटिंग..."
ठीक है कर लो.....अब उसका छोटा सा बैट मेरे हाथों में आ गया है! एक लड़का थोडा नाखुश है...शायद उसी का टर्न था बैटिंग का! मैं बैटिंग करने खड़ी होती हूँ.....बैट को ज़मीन पर ठोकती हूँ! "बॉल ज़रा धीरे डालना....." मैं पहली बॉल पर आउट नहीं होना चाहती हूँ! बौलर बहुत क्यूट है....धीरे से टप्पे वाली बॉल डाली है उसने. मैं खुश हूँ....पक्का baundry पार करा दूंगी ! बॉल करीब आती है...बैट टकराता है और बॉल ऊपर उठ जाती है! पर वो छुटका बड़ी आसानी से कैच ले लेता है....उसने फिर अपना सर झटका है! अरे यार....आउट हो गयी! छुटका हंस रहा है! ठीक है बैट एक लड़के को थमाकर जाने लगती हूँ....तभी एक आवाज़ आती है " दीदी...फील्डिंग भी करनी पड़ती है!" देखती हूँ...वही छुटका था! " छोकरा चालू है.....मैं सोचती हूँ ! हाँ हाँ ...क्यों नहीं! मैं फील्डिंग करने खड़ी हो गयी हूँ....फिर बौलिंग का भी नंबर आया ! आधे घंटे बाद मेरी सबसे दोस्ती हो गयी है! और मुझे लग रहा है....जैसे मैं ही उनकी लीडर हूँ! बच्चे मेरी बात मान रहे हैं! उन्हें लग रहा है...मुझे क्रिकेट अच्छे से आता है...!
खेल ख़तम होता है....मैं घर वापस आती हूँ! धोबन आकर पूछती है " क्या बात है दीदी....अकेले अकेले हंस रही हो"?
" बस ऐसे ही ...सब कुछ अच्छा अच्छा लग रहा है" मैं जवाब देती हूँ और फिर मुस्कुराने लगती हूँ! मैंने ऊपर आसमान में ठेंगा दिखाया है " तुम बुड्ढा किये बिना नहीं मानोगे , कर लो पर मेरा क्या बिगाड़ लोगे"
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
36 comments:
लिखने की खूब सूरत शैली ठीक वैसे ही जैसे एहसासों को महसूस करने की है!
कुंवर जी,
बहुत शानदार लिखा आपने जैसे सामने ही सब कुछ हो रहा हो............"
cute
very very cute :)
भगवान आपका बचपन सलामत रखे :)
सही ठेंगा दिखाया..ऐसे ही दिखाती रहो सदा..कोई तुम्हारा क्या बिगाड़ लेगा. अच्छी सुबह बीती..कल फिर जाना..छोटू इन्तजार करेगा कि दीदी आ रही होंगी. :)
वैसे ये खबर तो आपको है ही कि आपने तो इस पोस्ट में हमेशा जवान रहने का खूबसूरत नुस्खा लिख मारा है।
हा हा हा.... बहुत सुन्दर.. :)
भगवान भी मुस्कुरा रहे होगे आपके ठेगा देखकर.. वैसे कुल मिलाकर आप फ़ील्डिग करके आ गयी, बैटिग मे तो जीरो :)
रोज़ जाया करिये, बच्चो को एक और बच्चा मिल जायेगा.. :) थक गया था रोनी पोस्ट्स पढ पढकर.. मूड बना दिया जी आपने ...
धन्यवाद..
पल्लवी जी, अपना बचपना बचा पाने से बड़ा योगा कुछ भी नहीं है, इससे तन ही नहीं, मन भी स्वस्थ रहता है।
इस आई पी एल का भी अपना ही सुख है।
हे भगवान! मासूम बच्चो की रक्षा करना..
वाह एक लड़की क्रिकेट खेलती है...बहुत बढियां..जिन्दगी से अलग हाट के कुछ है ये मुफ्त की चीज मगर खुश करने की सारी चीजें फ्री में ही मिलती हैं...
" तुम बुड्ढा किये बिना नहीं मानोगे , कर लो पर मेरा क्या बिगाड़ लोगे"
बहुत सुंदर जी, दिल कभी कभी करता है बचपने मै लोटने को, लेकिन आप को बुड्डा नही, बुड्डी बनायेगा ६० साल के बाद:)
पाकिस्तान की शायरा परवीन शाकिर का एक शेर पेश है-
खिलोने पा लिये हैं मैंने लेकिन
मेरे अन्दर का बच्चा मर रहा है
अच्छा है कि आपने उस बच्चे को ज़िन्दा रखा है
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
पोलिस वाली जो ठहरी ...इसलिए फील्डिंग करे बगैर भाग रही थी ......सुधर जायो
वे बेचारे बच्चे..
पल्लवी जी, याद होगा आपको वो टूटे दांत वाला बच्चा, आज आपने कई बच्चों का दिल चुराकर हिसाब बराबर कर लिया। हमारे अंदर का बच्चा हमेशा जिंदा रहना चाहिये। बहुत अच्छी पोस्ट लगी।
आभार।
इस हौसले के आगे तो कुछ भी बिगड़ने की आशंका नहीं होनी चाहिए.
ऐसे लम्हे रिचार्ज करते हैं और पाठक भी नयी उर्जा का अनुभव करता है.
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जिन्हें बच्चे अच्छे लगते हैं और वे उनसे सहज संवाद कर लेते हैं सरल ह्रदय के होते हैं -
तुलसी की कवितावली में बाल गोपालों (राम सहित चारो भाई ) के कलरव किलोलों से तुलसी इतने मंत्रमुग्ध होते हैं की कह पड़ते हैं -
सारी तपस्या साधना व्यर्थ है अगर बाल सुलभ लीला का आनंद नहीं उठाया गया -आपका अकस्मात हँसना मुझे कवितावली के उस सवैये की याद दिला गया !
पल्लवी जी बूढ़े तो सिर्फ जिस्म होते हैं ....भावनाएं या दिल नहीं ....है न ....??
पल्लवी जी, आपके प्रोफाइल से पता चला कि आप तो भोपाल में ही रहती हैं। आपका नंबर दीजिए। आपसे बात करके अच्छा लगेगा। अपना नंबर आप मुझे इस मेल आईडी पर भेज सकती हैं - manishafm@gmail.com.
:)
इन समेटी हुई खूबसूरत सुबहों को हम सब के संग साझा करने का शुक्रिया कि आपके साथ हमें भी मौका मिल गया ऊपर वाले को ठेंगा दिखाने का...
it reminded of good old days. thnx
बढ़िया लेखन शैली . बाँध कर रखती हैं आप ! शुभकामनायें !!
bhut sunder bhav aur usse bhi badhiya xpression... sahajta bhasha me ghuli mili hai... mera bhi man kiya ki ek ball aapko daalo aur out kar do... sunder expression.. mere blog par aane ki shukriya ke saath baar baar aane ka nimantran
कभी कभी छोटी छोटी सी बातें दिल को बहुत सकून पहुंचाती हैं।
क्रिकेट का हमें भी बड़ा शौक है , लेकिन खेलने की हसरत ही रही ।
मेरे ब्लॉग पर आने का आभार, पल्लवी जी ।
अच्छा है क्रिकेट्योगासन!
बहुत ...बेहतरीन वर्णन किया आपने .....सारा वाकया आँखों के सामने घूमने लगा .
पढ़ कर ही मुस्कान आ गयी. कितना अच्छा लिखा आपने.
सुबह खुश हो गयी.
बहुत खूबसूरती से लिखा है मन का एहसास....अच्छा लगा पढ़ना ..
बढ़िया लेखन शैली
very nice.. Have to agree that you have guts to play like a child.. Many adults will wish like you but will fear ridicule..
Aap hat ke hain.
वास्तव में बहुत प्यारी सुबह है।
किसी के पन्ने पर आपके ब्लॉग का लिंक देखा और चला आया. खाली हाथ नहीं लौट रहा हूँ. चेहरे पर एक मुस्कराहट और मन में उल्लास लेकर जा रहा हूँ. कल फिर आऊंगा.. बाकि पोस्ट्स पढ़ने.
बहुत आनन्द आया पढकर.
आभार
मनोज खत्री
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