मेरी जिंदगी में ऐसा जादू कोई न जगा पाया जैसा की किताबें जगाती हैं! कल के अखबार में रस्किन बोंड ने किताबों के बारे में कुछ लिखा था!तब से मेरा भी मन कर रहा था कि मैं भी किताबों से अपने रिश्ते के बारे में कुछ लिखूं! पिछले एक हफ्ते से खूब किताबें पढ़ मारी हैं! जिस किताब को पढो लगता है खुद एक दर्शक बनी बैठी हूँ और किताब की कहानी को जीने लगी हूँ! अभी अभी अम्रता प्रीतम के तीन उपन्यास पढ़े! उफ़...क्या लिखती हैं! " आक के पत्ते" उपन्यास के असर से तो निकलने में बड़ा वक्त लगा! एक एक लाइन पढ़ते जैसे दिल बैठा जाता था! अंत तक पहुँचते तो सीने पे साफ़ तौर पर एक बोझ सा महसूस होने लगा था! कई बार पढ़ते पढ़ते मुंह फेर लिया...चाहा कि अधूरा ही छोड़ दूं मगर ऐसे जादुई कहानी को पूरा न पढना नामुमकिन है चाहे जान ही क्यों न निकलती महसूस हो! अगर किसी कहानी को पढने के बाद खुद को भी उदासी घेरने लगे तो इसका आसान तरीका मुझे नज़र आता है कि झट से कोई ऐसी कहानी हाथ में पकड़ लो जो पिछली कहानी से एकदम उलट हो.....जैसे कि परसाई का इंस्पेक्टर मातादीन या नागमती की कहानी जो आप मुस्कुराए बिना पढ़ ही नहीं सकते या फिर " any thing for you mam" टाइप का कोई नोवेल जो आपको कॉलेज की रूमानी दुनिया में वापस ले जाए! हर राइटर अपने आप में अद्भुत हैं! पाओलो कोएल्हो को पढो तो जिंदगी को देखने का एक अलग ही नजरिया मिलता है मन में जिंदगी के एक एक पल को निचोड़ लेने की हूक सी उठती है! अम्रता प्रीतम की " नाग मणि" या धर्म वीर भारती की " गुनाहों का देवता " पढ़ते हुए किसी को टूट के मोहब्बत करने की हुलस उठने लगती है! जब एरिक सेगल की " लव स्टोरी " पढ़ी थी तो लगा था मानो खुद की ही प्रेम कहानी अधूरी रह गयी हो! गुलज़ार की नज्मे आपको भी शायर बनाने जैसा असर रखती हैं! और चिकन सूप फॉर द सोल सीरीज तो मेरे लिए इंसानियत और अच्छाई के टॉनिक का काम करती है! मुझे याद है कई साल पहले मेरी जिंदगी में एक दौर आया था जब थोडा थोडा डिप्रेशन हावी होने लगा था तब कहीं से डेल कार्नेगी की " how to stop worrying and starat living " किताब हाथ में आ गयी थी! यूं ही टाइम पास करने के इरादे से पढना शुरू कर दिया था! और सचमुच किताबें क्या कर सकती हैं....ये किताब पूरी पढने के बाद मैंने जाना! मोटिवेशनल किताबें आज भी उत्साह और आशा को चरम पर रखने में मेरा साथ देती हैं! मुझे याद है जब मैक्सिम गोर्की की " mother" मैंने पढ़ी थी तो अपने औरत होने पर गुरुर हो आया था! मन्नू भंडारी की " आपका बंटी " पढने के बाद बंटी मन में ऐसा बसा कि एक कविता लिख दी थी जो आज भी मेरी फेवरिट है! कई बार तो कोई किताब पढ़ते वक्त लेखक से रश्क हो आया कि भगवान् ने मुझे ऐसा लिखने वाला क्यों न बनाया! सच में...कभी कभी सोचती हूँ किताबें सबसे अच्छे दोस्त का सा साथ देती हैं! ऐसा दोस्त जो बिना शर्त आपके लिए आपके लिए हमेशा उपलब्ध है जब भी हम चाहें!
बचपन से ही चम्पक , नंदन , लोट पोट पढ़ते हुए किताबों का चस्का लगा था! पर सही मायनों में जिस किताब को पढ़ते समय जैसे मैं भी उसका एक किरदार बन गयी थी वो थी शिवाजी सावंत की " मृत्युंजय" ! शुरू में तो इस किताब की मोटाई देखकर ही हाथ लगाने से घबराती थी ...फिर एक दिन पढना शुरू किया तो १००० पेज की किताब दिन रात भिड़ कर दो दिन में ख़तम कर डाली! उन दो दिनों में मैंने शायद टॉयलेट जाते वक्त ही किताब को अपने से अलग किया होगा! जब किताब ख़तम हुई तो लग रहा था काश ये थोड़ी और मोटी होती! आज मैं दुनिया के हर छोटे बड़े राइटर को सलाम करना चाहती हूँ जिन्होंने मुझे वो बनने में मदद की जो मैं आज हूँ! और चाहती हूँ की टिप्पणी में आप अपनी पसंदीदा किताबें लिख दीजिये जिससे मेरी लिस्ट में और भी इजाफा हो जाये!
35 comments:
एक वही शै है जिसे आज तक वही मोहब्बत बरक़रार है.....अलबत्ता कुछ ज्यादा हो गयी है .पुरानी शराब सी.....बचपन में ट्रेड फेयर में ट्रिप होता ....माँ अलग से पैसे देती..ये किताबो के .ओर ये खाने के.......ढेरो किताबे है जिन्हें पढ़कर रात भर नींद नहीं आई....भगत सिंह की जीवनी....उनके भाई द्वारा लिखी गयी..नाथूराम गोडसे की मैंने गांधी को क्यों मारा .....कोलेज में गए तो अंग्रेजी नोवल्स से वास्ता पढ़ा ..सब कुछ पढ़ डाला .वैसे बीच के दिनों में कोमिक्स के अलावा ......जेम हेडली चेज़.,सुरेन्द्र मोहन पाठक भी १५-१६ की उम्र में पढ़े है .....कमलेश्वर ओर शिवानी बहुत पसंद थे .....निर्मला वर्मा समझ नहीं आते थे......फिर गुलज़ार आये ...ओर
I like to recommend books and movies, here is mine :
Great Expectations -- Dickens
Undercover Economist -- Tim Harford (somewhat dull but immensely informative)
Catcher in the rye -- J.D. Salingar
Outliers, Tipping point -- Malcolm Gladwell
(Easy Reads)
Confessions of a park avenue plastic surgeon -- Dr. Cap Lesasne
Passion India -- jeviar moro
Games Indians play -- V raghunathan
Angels and demons, da vinci code --Den Brown
White Tiger -- Arvind adiga
books r my friend, philosopher, guide and many more
aapke liye :
http://kataksh.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed:+kataksh+(%3F%3F%3F%3F%3F%3F+%3F%3F+%3F%3F%3F%3F+%3F%3F%3F%3F%3F)
वैसे तो सैकड़ों हैं, मगर आपने व इस ब्लॉग के पाठकों ने ये किताब न पढ़ी हो तो हाईली रिकमंडेड -
व्हाई मेन लाई एंड वीमन क्राई :
http://www.flipkart.com/sem/book/p/why%20men%20lie%20and%20women%20cry?gclid=CLG2xZ6i-qICFUNB6wodfFEekQ
ek post aur dekhiye yeh sab kaafi hoga :
http://tooteehueebikhreehuee.blogspot.com/2010/02/blog-post_11.html
इसके अलावा आउटलुक हिंदी का पुराना अंक और तहलका (उतर प्रदेश संस्करण) साहित्य विशेषक पढ़ डालिए
कुछ पुस्तकें तो जीवन की दिशा बदलने में सक्षम हैं।
आपका और किताबों का रिश्ता बहुत कुछ अपने जैसा लगा ... कभी "महाभारती लेखिका चित्र चतुर्वेदी " मिले तो पढ़ डालना ,शिवानी की कृष्णकली ,शमशान चंपा .भैरवी सारी की सारी कमाल है
kitabon ka adbhut sansaar ...
kuch bhee,kaheen se bhee..jo dil ke kisi kone ko chukar jaye ...ik nishan chod jaye .
Nice to share !
abhee mathili se hindi main anuvadit ..PAGAL DUNIYA ,..written by sudhanshu ,shekhar, chaudhary....padhee.no doubt interesting !!
laxmibai Tilak kee ,smariti ke chitr,
reading simultaneously...sadharan stree kee asadharan duniya .do visit .
I also like Amrita preetam's books.
Please visit my blog
http://mayurji.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
यह पुस्तके ही हमे इंसन बनाती है, अच्छी पुस्तके अच्छॆ इंसान बनाती है... ओर बहुत सुंदर लगा आज आप को पढना
आपसे सहमत हूँ कि कई बार कोई किताब पढ़ते वक्त लेखक पर रश्क हो आता है कि......
सचमुच किताबें ऐसी दोस्त हैं जो बिना किसी शर्त हमेशा उपलब्ध हैं, जब भी हम चाहें। गद्य के साथ-साथ शायरी भी मुझे बहुत छूती है। ग़ज़लें बेहद खींचती हैं चाहें वो प्रिंट में हों या संगीत में। साहित्यिक पत्रिकाओं में अच्छी रचनाएं पढ़कर रचनाकार तक ईमेल या एस.एम.एस. के ज़रिए फीड बैक ज़रूर देती हूँ। ऐसे में कई बार लोग खुशफ़हमी की शिकार होकर कुछ और ही सोच बैठते हैं।(कितने लोग खुले दिल तथा ईमानदारी से किसी अच्छाई की तारीफ़ में दो शब्द कहना पसंद करते हैं)ख़ैर, जाकी रही भावना जैसी.....
अमृता जी का पिंजर भी पढ़ें। आपका बंटी मुझे भी बहुत पसंद है। इस पर फ़िल्म भी बनी है। नानक सिंह का पवित्र पापी भी पढ़ सकती हैं, उस पर भी फ़िल्म बनी हैं परंतु उपन्यास और फिल्म के समापन में कुछ अंतर है। पिंजर पर भी फ़िल्म बनी है। इसमें दो बेहद खूबसूरत गीत हैं....चरखा चलाती माँ और नी घुग्गिए तू मार उडारी।
- नीलम शर्मा 'अशु'
एक महीने से कम ही हुए और ऑफिस आते-जाते एक किताब पढ़ रहा हूँ. (१६ मिनट लगते हैं)... किताबें जिन्हें अच्छी लगती है वो ही जानते हैं ये मजा.
अच्छी पोस्ट
किताबों से जो रिश्ता आपका है , बिलकुल वही मेरा भी है.. बचपन आपकी ही तरह सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षा लेते और नंदन , चम्पक , गुडिया , चंदामामा ,्पराग ,लोट-पोट पढ़ते हुए गुजरा ... किताबे मेरी हमेशा ही सच्ची साथी रही है ..
मौका मिलने पर "मैली चादर "- (लेखक राजिंदर सिंग बेदी ), "कृष्णकली" -(शिवानी ) जरूर पढना...
हमें याद है मैडम जी आपने मुझे मृत्युंजय के बारे में बताया था.. और रानी नागमती नहीं बॉस रानी नागफनी की कहानी है.. और जनता को ये भी बता दु कि आपने ये किताब मुझे गिफ्ट भी की थी और बाद में पैसे मांग लिए थे.. खैर पुस्तकों से अपनी भी दोस्ती पक्की है.. नीरज जी द्वारा मिली 'मरीचिका' का मुझपर विशेष प्रभाव है और हमेशा रहेगा.. 'एनिथिंग फॉर यू मैम' तुषार राहेजा की बुक है.. पठ्ठे ने जबरदस्त कहानी लिखी है.. हर अगले पेज में हम दांतों तले ऊंगली दबा लेते है कि आगे क्या होगा..
अब किताबो की लिस्ट क्या थमाए एक का नाम लिया तो दूसरी नाराज़ हो जाएगी..
तो मतलब रस्किन बोंड को बोलना पड़ेगा कि रेगुलर लिखे तभी मैडम जी रेगुलर रहेगी..
shivaji samant ki mritunjay.....mujhe yaad hai mein paanchvi kaksha mein thi jab papa-maa ise padh rahe the.padhte aur ek doosre se baatcheet karte rahte maine itna involve unhen kam dekha tha.karn ke charitra mein aisi doobi ki..........fir to original marathi mein bhi ise padh dala.aabhar aapka un dinon mein le jaane ke liye.
किताबो की पोस्ट.. हम भी लिखने ही वाले है कुछ दिन मे जब अपनी सारी किताबे जो ’लोग’ ले गये है वो सब मागकर एक जगह इकट्ठी कर ले..
तुषार रहेजा का नावेल अच्छा है लेकिन बेहतरीन नही जैसे ’द व्हाईट टाईगर’ ’सिर्फ़’ अच्छी है... पढने वाले को खुद अहसास हो जाता है..
’द जापानीज वाईफ़’ पढे। ये कुछ कहानियो का कलेक्शन है जिसकी एक कहानी पर अभी हाल मे मूवी आयी है। ’कपोचीनो डस्क’ पढे.. ’द काईट रनर’ तो जरूर पढे.. और ’स्लो मैन’.. और ’मिडनाईट्स चिल्ड्रेन’ और ’टु किल अ माकिन्गबर्ड’ और...
हिन्दी मे सागर ने जो लिन्क दिये है वो बेहतरीन है..
अभी चन्द रोज पहले मैने कमलेश्वर की विचारो के दर्शन किये है.. अभी उदय प्रकाश जी को पढ रहा हू.. फ़िर कुछ रशियन राईटर्स है जैसे चेखव, टालस्टाय... फ़िर काफ़्का को पढना है, रेणु भी बचे हुए है.. (अब मै खुद से बाते कर रहा हू..)
लिस्ट कितनी लम्बी होती जा रही है और ज़िन्दगी की लम्बाई का कुछ पता नही... :।
इसके लिए तो फुर्सत में पोस्ट लिखनी पड़ेगी...वैसे अगर एक किताब का नाम देना हो तो...to sir, with love...मुझे बेहद पसंद आई थी. इसी नाम से गीत भी है...सुन के देखना, पसंद आएगा. जब किताबों पर पोस्ट लिखूंगी, लिंक भेज दूँगी :)
Hello,
You blog is really nice. Loved reading couple of posts.. I learnt you are IAS or IPS.. Wow! that s impressive.
ria
पुस्तकें तो हर के जीवन में निखार लाती हैं। चिट्ठकारी के साल पूरा होते समय एक अनमोल तोहफ़ा पर अपनी दो प्रिय पुस्तकों के बारे में लिखा था।
अक्सर अपने चिट्ठे पर पुस्तक समीक्षा के अन्दर प्रिय पुस्तकों की चर्चा करता रहता हूं।
स्वाध्याय का आपका कैनवस विस्तृत है - विपुल अध्ययन ब्राड माईन्डेड तो बनता ही है -कई सांसारिक बेड़ियों से मुक्त भी करता है !
ऐसा ही होता है किताब की कहानी को हम जीने लगते है.इक वक़्त लगता है बाहर निकलने में.रस्किन अपने आर्टिकल में कहते है-किताबें पढ़ने वाले लोग बहुत ख़ास किस्म के होते है और वो हमेशा किताबो को ऐसे उलटते पलते है मानो वही जीवन का आनंद है.जो लोग किताबे नहीं पढ़ते वे बड़े दुर्भाग्यशाली लोग है.ऐसा नहीं की किताबे न पढ़ कर वह कुछ गलत कर रहे है,लेकिन जीवन के एक बड़े खज़ाने से वंचित है.अभी हाल ही में lu hsun की शोर्ट stories पढ़ी.अभी तक उसके जादू में हूँ.
आजकल Yes Minister पढ़ रहा हूँ. आपने जो किताबें बताईं उनमें से अधिकतर मुझे काफी पसंद हैं, लेकिन Anything For You Maam से मुझे सख्त नफरत है. मुझे ये बहुत ही घटिया लगी, लिखने के तरीके की वजह से!
इस किताब को पढ़ना भी आपके लिये बहुत ही मुफीद रहेगा, इसका नाम है 'जिन्दगी'
किताबे तो किताबे ही होती है |स्वामी विवेकानंद की जीवन पर नरेन्द्र कोहली द्वारा लिखित "तोरो कारा तोड़ो "के पञ्च भाग है कभी भी अवसर मिले तो जरुर पढ़े |शिवाजी सावंत का ही" युगंधर "भी अमृत है |
किताबें सबसे अच्छे दोस्त का सा साथ देती हैं! ऐसा दोस्त जो बिना शर्त आपके लिए आपके लिए हमेशा उपलब्ध है जब भी हम चाहें!
इस कथन से पूरी तरह सहमत।
एकाएक तो याद नहीं आते नाम। लेकिन रिच डैड पूयर डैड, व्हाई मेन डोंट लिसन एन्ड वीमेन कान्ट रीड मैप्स, मुझे सामने रैक में दिख रहीं
बी एस पाबला
कुछ जिज्ञासा देखिए
Why men focus on one thing at a time?
Why women can speak, listen and write simultaneously?
What men and women need to do to get on in business?
Why men offer solutions but hate advice?
Why women can't reverse park :-)
जहाँ किताबें होती हैं वहाँ कुछ भी कहना अच्छा लगता है...
अमृता प्रीतम एक लेखिका के रूप में मुझे उतनी ज़्यादा प्रभावित नहीं कर पायी जितनी एक समाज सेविका और एक rebellion के रूप में.हाँ मन मिर्ज़ा तन साहिबा को छोड़ के जहाँ पर वे सांध्य लेखन की या abstract लेखन की बात करती हैं. उनमें सूफ़ी और 'ओशो' प्रभाव उम्र के अंतिम दौर में prominent था. पिंजर अच्छी किताब है, पढ़ी लिखी स्त्रियाँ स्त्री सरोकारों की बात तो करती ही हैं. जो की एक हद तक सही भी है लेकिन ये आपके लेखन को monotonous बना देता है. महादेवी वर्मा और शिवानी इससे काफी हद तक बची रहीं...
गोर्की की 'माँ' निर्विवाद रूप से एक क्रांति कथा ना होकर स्त्री एवं स्त्रीत्व की कथा है. तो आप सही ही गर्वानुभूति करतीं हैं. ;)
माँ का बेटे से प्रभावित हो जाने की हद्द तक प्रेम,बड़ा होंट करता है. मुझे ये एक स्क्रिप्ट की तरह लगती है. मस्तिष्क में कई चित्र बनती सी, अंतिम भाग में स्टेशन में, हवा में पर्चे उड़ रहे हैं, ठीक 'खामोश अदालत अभी जारी है' के 'प्रेम पत्र' की तरह. जुलुस में धीरे धीरे कोई पीछे होते जा रहा है. और क्या क्या :)
जहाँ पाओलो कोहेलो की लेवन मिनट्स बोल्ड है वहीँ दी एल्केमिस्ट बाल कथा, प्रेरक प्रसंग जैसी. बड़ी वेरायटी है उनके लेखन में. मेरी प्रिय 'दी जहीर.' जिसमें 'प्रेम कभी भी कहीं भी हो सकता है' वाली बात को बड़े ही लोजिकल ढंग से बताया गया है. अन्दर तक सिहरन पैदा करती है. दी काएत रनर इतने सालो पहले पढ़ी थी फ़िर भी 'For you thousand times and over' भूला नहीं जाता. लेखक ने जिस तरह से (कसाई की तरह) चीज़ों का वर्णन किया है वो कथा को मार्मिक बनाता है. इनकी थाउजेंड इस्प्लेंडिड सन्स भी पढ़ी जाने योग्य है. गुनाहों का देवता आँखों के लिए अच्छी है. अगर खारा पानी अच्छा है आँखों के लिए तो. इसे पढने से ज़्यादा अपनी प्रेयसी से सुनने में आन्नद आएगा मुझे लगता है. ;)
मोटिवेशनल किताबें कभी पसंद नहीं आई. और ज़्यादा फ्र्स्तेस्ट करती हैं मुझे .
@ पंकज: कुछ दिमाग से लिखी नोवेल में से कमलेश्वर की 'कितने पाकिस्तान' भी एक है. जो शायद जानकारियों का कोलाज सा है. पर अगर आप नहीं जानते चीज़ें और सरोकार भी तो भी खालिस पाठक की तरह इसे एन्जॉय कर सकते हैं. स्टेशन में गिरा हुआ रुमाल उठा सकते हैं अगर अमृता की सारा का दर्द ना भी जानना चाहें. :)
अदीब इस कहानी का 'साहित्य अकादमी पुरूस्कार' है.
उदय प्रकाश का भारत फाइव स्टार की विंडो से देखी गयी गरीबी है. और दत्तात्रेय के दुखों से से आप खुद को रिलेट नहीं कर पाते. हाँ उनकी कहानियों में एक सन्देश छिपा होता है. जो कहानियों से इटर होता है, पर कहानी के वजह से होता है. इतना सब कुछ कहने के बावजूद 'पीली छतरी...' मेरी ऑल टाइम फेवरेट है.
ये तो हुई आप लोगों की किताबें. कभी अपनी प्रिय किताबों के बारे में भी विस्तार से लिखूंगा.
Filhal to ham aapko salam karte hain jo aapne ek book ka jikra kiya hai apni post me mai use banaras me khojunga....milgai to aut khusi hogi.
" how to stop worrying and starat living "
agar na mili to aapki madat lunga.
pata nahi aapki nazar bhi ek comment par padegi ya nahi kyo ki ye psot thodi purani hai.
sabsa badi baath ismai hai ki..
manki baat ko kaagaz pae utarnai ki kala ..kitaboh ka bare mai mera man mai asar..zadu jaisa.. eska vivechan bhut hi madhur lekhikha nai kiya hai..ya art of living bahut lubhavani lagi..kitab padnai ka sokh meditation of life..This can some time creat feeling of Ecstacy
कहाँ गए वो दिन के जब इस दुनिया में सब कुछ अच्छा लगता था.
कहाँ जा रहे हैं वो लोग... जो कभी यहाँ जुटते थे.
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क्या बात है कि आज यहाँ लिखा सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा है..मसलन "जिस्म तो अब तक सूखी है, रूह अब तक मगर भीगी हुई है"
अच्छी पोस्ट
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