Saturday, February 25, 2012

दूल्हे राजा.. कहो तो अभी जान दे दें

भारत वर्ष के समस्त दूल्हे राजाओं के चरणों में हमारा सादर प्रणाम... आज की हमारी ये पोस्ट आप सभी को सादर समर्पित है! हम आपके आभारी हैं कि आप विवाह कर रहे हैं.. और इसी महान कार्य को अंजाम देने के कारण आपको आज ये राजा की पदवी प्राप्त हुई है! इस लोकतंत्र के जमाने में केवल आप ही सच्चे राजा बच गए हैं...भले ही एक दिन के लिए सही मगर एक दिन के राजा तो आप ही हैं महाराज! हम सब आपकी प्रजा.. अब देखिये न आप कैसी शान से घोड़े पर सवार होकर सारे कसबे की ख़ाक छाना करते हैं! आपको आधे किलोमीटर की दूरी चार घंटे में तय करने में महारत हासिल है! कभी कभी आप प्रसन्नता के मारे रथ पर भी सवार हो जाया करते हैं तब आपकी छटा देखते ही बनती है! उस वक्त हम सब आपके आगे कीड़े मकोडों की भाँती कुलबुलाया करते हैं! आपकी शान से निकलती बरात जब पूरी सड़क पर छा जाती है तो हम सब राह देखा करते हैं कि आपकी सवारी आगे खिसके तो हम भी थोडा रेंग लें! यूं रेंग रेंग कर आपकी कृपा से हम भी अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाते हैं! आपकी ये निकृष्ट प्रजा सड़क जाम होने पर यूं ही आपको कोसा करती है! ये नहीं जानती आप हम पर कितना बड़ा एहसान कर रहे हैं...शादी कर रहे हैं! इस एहसान के बदले हम कितने भी कष्ट झेल सकते हैं महाराज... ये गधे बच्चे आपके डी.जे. के शोर से नाहक ही परेशान होते हैं! ये मूरख नहीं जानते इनकी परीक्षाएं तो हर साल आएँगी..पर आपका विवाह बार बार थोड़े ही होगा! अगर आपकी खातिर एक साल लुढक भी गए तो कौन सी आफत टूट पड़ेगी! आप चिंता न करें.. रात भर हमारे कान फोड़ते रहिये , हम चूं तक नहीं करेंगे!

अहा.. क्या गज़ब ढाते हैं आप घोड़े पर सवार होकर! आपका वो निरपेक्ष सा, सुख दुख के परे दार्शनिक सा चेहरा हम देखते नहीं अघाते! आपके सामने आपके मित्रगण नाच नाचकर आपकी निरपेक्षता को भंग करने की कोशिश करते हैं... मगर मजाल है आपके तकुए से मुंह पर मुस्कान आ जाए! आपका एक मित्र स्थायी
रूप से नागिन बन कर सड़कों पर लोटता है... एक मित्र पतंग की डोर खींचते नहीं अघाता! एक मित्र पांव पटक पटक कर सड़क को बेदम कर देता है.... दूसरा मदिरा के नशे में इस कदर नृत्य करता है कि कई बार लगता है जैसे उसके पैंट में बिच्छू घुस गए हों! मगर मजाल है कि राजा साब के चेहरे की मनहूसियत भंग हो जाए! आपके चाचा जी ने तो नृत्य की वो मुद्रा बनायीं कि लाईट का गमला पकडे चल रही बालिका के पैर पर दचक गए...बालिका दर्द के मारे बिलबिलाई मगर मजाल है आपके चहरे पर एक शिकन भी आई हो! आप वाकई धन्य हैं! आप अपने साथ अपने एक कृपापात्र बच्चे को भी घोड़े पर बैठाते हैं.. मगर न जाने क्या बात है कि आपके सानिध्य प्राप्त होते ही बच्चा भी मनहूसियत ओढ़ लेता है! आप , बच्चा और घोडा तीनों दैवीय नज़र आते हैं!

आपने भी इस दिन के लिए न जाने कितने कष्ट उठाये हैं! जिंदगी भर आपके पिता आपको लतियाते रहे...माता गालियों से आपको नवाजती रही! आप स्कूटर पर टेढ़े बैठकर लड़कियों को लाइन मारते रहे और जूते खाते रहे! मास्टरों ने पानी पी पीकर आपको कोसा! बड़े कष्ट सहने के बाद आपके जीवन ये सौभाग्य शाली दिन आया है जब सबको आप पर फक्र है! आखिर आप विवाह कर रहे हैं! आगे चलकर आप हमारे देश को आबादी के मामले में दूसरे नंबर से पहले नंबर पर पहुंचाने में अपना योगदान देंगे! आप वीर हैं...बल्कि वीरों के वीर हैं! आपकी खातिर हम जितने कष्ट सहें ,
कम हैं! आप बेफिक्र होकर हमारी छाती पर मूंग डालिए महाराज... हम उफ़ तक नहीं करेंगे!

15 comments:

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा ! मज़ेदार !
फोटो भी क्लासिकल लगाया है पल्लवी जी ।
सबसे बड़ी बात यह है कि आजकल दूल्हा बारात में सबसे पीछे रह जाता है ।
बाकि सब उसके आगे डांस कर रहे होते हैं ।
ऐसे में घोड़ी दुल्हे को भगा भी ले जाए तो किसी को कानो कान खबर भी ना हो ।

अनूप शुक्ल said...

वाह! दूल्हे महाराज की छ्टा के क्या कहने! महिमा वरनि न जाये! :)

Manish Kumar said...
This comment has been removed by the author.
Manish Kumar said...

पल्लवी, अपने विवाह में आवेदन करने वाले संभावित दूल्हों को इस लेख की प्रति अवश्य संलग्न कीजिएगा। :)

सागर said...

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Recent Dulha : Mr. Kush Vaishnav

vidya said...

:-)

वाह पल्लवी जी...
मज़ा आ गया...लाजवाब लेखन...
लगता है विदिशा की गलियों में कही किसी बारात के पीछे ट्रेफिक जाम में फंस गयीं थी!!!
jokes apart..
very nice writting...
loved it!!!

समीर यादव said...

करारी चपत ...! लेकिन इस पूरे प्रहसन में कई बार दुल्हे राजा मात्र प्रतीक होते है असल में उनके राजसत्ता पर तांडव तो उनके चर-अनुचर ही करते हैं.

प्रवीण पाण्डेय said...

हा हा हा, बहुत ही दमदार।

मदमस्त नचाये सूटन से,
कोउ कह दो रे,
हट जायें भी...

Waterfox said...

Super awesome!

दिगम्बर नासवा said...

मजेदार ... पर सच कहूँ तो जब किसी खास की शादी में जाता हूँ तो मैं भी ऐसे ही डांस करने लगता हूँ उस वक्त पता नहीं कौन सा एहसास होता है पर जब किसी अनजानी शादी को देखता हूँ तो ऐसे ही भाव आते हैं जैसे आपने लिखे हैं ...

रवि रतलामी said...

गनीमत ये है कि ऐसा मौका 'दूल्हे राजा' के जीवन में एक ही बार आता है. कल्पना करें कि यदि ऐसी प्रथा हर वैवाहिक वर्षगांठ पर होती तो... :)

kanu..... said...

pallavi maza aa gaya .bada mn hai ki ye post mere pati bhi padhe par un tak shayad na pahuncha pau par ise share karungi jarur...:)

दीपिका रानी said...

बहुत ही मज़ेदार पोस्ट थी ये। बरबस मुस्कुराहट आ गई होठों पर। शब्दों का सफर होते हुए यहां तक पहुंची.. अच्छा लगा कि एक अच्छा ब्लॉग हाथ लगा पढ़ने के लिए

Om Sapra said...

dulhe ka kafi achha chitra banaya hai, aapke aalekh mein ek khoobsuarat painting jaisa bhav chipa hua hai,
badhai,
regds
om sapra, delhi-9

Unknown said...

mujhe aap fb pe add kar sakti hen?