पप्पू आज सुबह से भयंकर वाला उदास है ! वो होता यूं है कि पप्पू नित्य की तरह मुंह में सीटी चाल में उछाल वाले भाव के साथ जागते हैं ! उठके बालों को झटका वटका देते हैं ...आईने में बाल संवारते हैं, तभी मकानमालिक चले आते हैं किराया मांगने ! जाने क्या हुआ मकानमालिक के जाने के बाद कि पप्पू उखड जाते हैं ! वैसे पप्पू की जगह कोई भी होता तो उखड़कर न जाने कहाँ जा पड़ता , पप्पू तो फिर भी उखड़कर घर में ही डले हैं ! कोई तरीका है कि सुबह सुबह चले आये किराया मांगने ! तकाजा करने का भी एक वक्त होता है ...ये थोड़े कि हर कभी मुंह उठाये चले आओ! अगर सात महीने का भी किराया है तो भी हम तो कहते हैं कि उसका भी एक वक्त है, कायदा है बल्कि बाकायदा संहिता है !
पप्पू का मूड इस कदर खराब हुआ कि उन्होंने मुट्ठियाँ भींच लीं ...दांत पीसे , भुजाएं फड़कायीं और गुर्र गुर्र किट किट की आवाजें निकालीं ! बगावती तेवरों का ये आलम था कि उन्होंने उस दिन मंजन कुल्ला भी नहीं किया , पहला विद्रोह था ये नियम कायदों से ! पप्पू हुंकार भरते कमरे के इस छोर से उस छोर तक घूमे , पप्पू ने ज़मीन पर इस कदर लोट लगाईं कि सामने नाली में मौज मानते, खेलते कूदते सूअर भी डिप्रेशन में आ गये ! ! उन्होंने तय किया कि पप्पू से लोट लगाने की नयी तकनीक सीखेंगे ! पप्पू फर्श पर इस धमक के साथ कूदे कि चूहों ने डर के मारे हाय एलर्ट ज़ारी कर दिया ! एक घंटे तक पप्पू कमरे भर में तांडव करते रहे .. ..शंकर जी जिस चट्टान पर बैठे धूनी रमाये थे , अचानक वो चट्टान कांपने लगी ! थोड़ी देर में लस्त पस्त होकर पप्पू ज़मीन पर बैठ गए ! तब शंकर जी ने राहत की सांस ली !
पप्पू एंग्री यंग मैन बनकर एक घंटे में बोर हो गए ...उन्होंने मन ही मन बिग बी को सलाम ठोका फिर चुपचाप बिस्तर पर जाकर चित्त लेट गए ! गुस्सा धीरे धीरे उदासी में परिवर्तित होने लगा ! गुस्सा ज्यादा देर टिकाने लायक ऊर्जा का अभाव था पप्पू की देह में , इसलिए देह के लिए भी उदासी का वरण करना ज्यादा सुविधाजनक था !
उदास होकर पप्पू पहले धीमे धीमे क़दमों से ठोड़ी पर हाथ धरे हुए कमरे में मंडराते रहे फिर खिड़की से टेका लगाकर खड़े हो गए ! शून्य में घूरने की कोशिश की मगर शून्य कहीं नज़र नहीं आया ...पप्पू और उदास हो गए कि जीवन में पहली बार शून्य में देखने की ज़रुरत पड़ी और साला पूरे मोहल्ले में कहीं शून्य नहीं है ! पप्पू ने कागज़ पर एक शून्य बनाया और एक मिनिट तक उसे घूरा ! फिर पप्पू ने सोचा " पता नहीं लोग शून्य में क्यों घूरते हैं ?"
पप्पू फिर बिस्तर पर लेट गए ... पप्पू ने मोबाइल पर दर्द भरे नगमे का एल्बम खोला और एक दर्द से सना गाना सिलेक्ट किया " मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये . बड़ी चोट खायी जवानी पे रोये " पप्पू ने गाने को अपने साथ जोड़कर जस्टिफाय किया " मुहब्बत केवल लड़की से ही थोड़े होती है , मैंने भी जिंदगी से मुहब्बत की है , मैं जवान हूँ और चोट खाया हुआ हूँ ! हाँ हाँ ये गाना मेरे लिए ही बना है " पप्पू से दो बार से ज्यादा गाना नहीं झिल सका ! अगला गाना आया "हा बेवफा हरगिज़ न थे पर हम वफ़ा कर न सके " साला ये भी मुहब्बत का गाना ! पप्पू ने फिर जस्टिफाय किया " ठीक तो है ... मैं तो मकानमालिक का किराया चुकाना चाहता हूँ पर कंगाली आड़े आ रही है , मैं भी मजबूरी में वफादार नहीं हो पा रहा हूँ ! हाँ हाँ , ये गाना बिलकुल मेरे लिए ही है ! पप्पू को अब हर गाने में खुद को ढूँढने में आनंद आने लगा ! अब के गाना आया " दम मारो दम , मिट जाए ग़म " पप्पू उछल पड़ा " ये हुई न बात ..उदासी सम्प्रदाय के लिए प्रेरक गीत तो यही है " पप्पू ने गुटका पाउच उठाया और फांक लिया ! अगला गाना था " पप्पू कांट डांस साला .... " पप्पू उदासी के मारे गदगद हो गए ! क्या बात है ... ऐसे दुखी मन से कोई कैसे नाच सकता है ? पप्पू ने फिर तो डिस्को से लेकर आयटम सौंग्स तक कई गाने सुने और दर्द को जीते चले गए !
दो घंटे लगातार गीत सुनने के बाद पप्पू फिर एक बार बोर हुए ! उदासी के बादल थे कि छांटने का नाम नहीं ले रहे थे ! पप्पू की भूख भी मर गयी थी ...फिर भी पप्पू ने सोचा शायद अच्छे भोजन से फील गुड हारमोन सीक्रेट होता हो ..तो चलो बिना मन के ही कुछ खा लिया जाए ! पप्पू झट अपनी फटफटिया उठाकर चटोरी गली पहुँच गए ! दो प्लेट आलू टिक्की , बीस पानी पूरी और एक प्लेट रबड़ी खाने के बाद पप्पू ने दबाकर एक कलकतिया पान खाया ! घर आकर फील गुड हारमोन का लेटकर इंतज़ार करने लगे पर हारमोन का " हा" भी नहीं निकला ! पप्पू कचकचाये ... " बिना मन और भूख के खाकर आया पर ये कम्बखत फील गुड हारमोन भी जाने कहाँ मर गया है !"
अभी तो पूरी शाम बाकी थी ! पप्पू के दिमाग में एक बार आया कि कहीं चलकर पैसों का इंतजाम कर लिया जाए फिर पप्पू ने सोचा इस ग़म की बेला में कहीं जाना उचित नहीं है ! पप्पू फिर बिस्तर पे पसर गए !फिर पप्पू को ध्यान आया कि कुछ हंसी ठठ्ठा हो ले तो शायद बेचैन रूह को कुछ करार आये !पप्पू ने तीन घंटे मिस्टर बीन देखा .. बिना मन के पेट पकड़ पकड़ कर हँसे ! पर तीन घंटे बाद फिर वही उदासी का आलम ! हाय पप्पू ...अब क्या करे?
पप्पू ने सोचा ..अब सो लिया जाये , नींद तो आने से रही पर कोशिश तो की जा सकती है ! पप्पू चादर तानकर बिस्तर पर लमलेट हो गए ! फिर पप्पू ने भारी मन से खर्राटे मारे , भारी मन से कैटरीना के सपने देखे , रात में दो बार सू सू करने उठे और आकर फिर छूटा हुआ सपना कंटिन्यु किया ! अगले दिन पप्पू जब उठे तो मन हल्का हो चूका था ! एक पहाड़ सा दिन पप्पू ने घोर उदासी में काटा था ! सुबह देवदास ने पप्पू की बालकनी पर बीयर वर्षा की !
पप्पू ने एक फुल दिन उदास रहकर उन लोगों के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया है जो कहते रहते हैं " ये पप्पू साला कभी उदास नहीं होता "
पप्पू का मूड इस कदर खराब हुआ कि उन्होंने मुट्ठियाँ भींच लीं ...दांत पीसे , भुजाएं फड़कायीं और गुर्र गुर्र किट किट की आवाजें निकालीं ! बगावती तेवरों का ये आलम था कि उन्होंने उस दिन मंजन कुल्ला भी नहीं किया , पहला विद्रोह था ये नियम कायदों से ! पप्पू हुंकार भरते कमरे के इस छोर से उस छोर तक घूमे , पप्पू ने ज़मीन पर इस कदर लोट लगाईं कि सामने नाली में मौज मानते, खेलते कूदते सूअर भी डिप्रेशन में आ गये ! ! उन्होंने तय किया कि पप्पू से लोट लगाने की नयी तकनीक सीखेंगे ! पप्पू फर्श पर इस धमक के साथ कूदे कि चूहों ने डर के मारे हाय एलर्ट ज़ारी कर दिया ! एक घंटे तक पप्पू कमरे भर में तांडव करते रहे .. ..शंकर जी जिस चट्टान पर बैठे धूनी रमाये थे , अचानक वो चट्टान कांपने लगी ! थोड़ी देर में लस्त पस्त होकर पप्पू ज़मीन पर बैठ गए ! तब शंकर जी ने राहत की सांस ली !
पप्पू एंग्री यंग मैन बनकर एक घंटे में बोर हो गए ...उन्होंने मन ही मन बिग बी को सलाम ठोका फिर चुपचाप बिस्तर पर जाकर चित्त लेट गए ! गुस्सा धीरे धीरे उदासी में परिवर्तित होने लगा ! गुस्सा ज्यादा देर टिकाने लायक ऊर्जा का अभाव था पप्पू की देह में , इसलिए देह के लिए भी उदासी का वरण करना ज्यादा सुविधाजनक था !
उदास होकर पप्पू पहले धीमे धीमे क़दमों से ठोड़ी पर हाथ धरे हुए कमरे में मंडराते रहे फिर खिड़की से टेका लगाकर खड़े हो गए ! शून्य में घूरने की कोशिश की मगर शून्य कहीं नज़र नहीं आया ...पप्पू और उदास हो गए कि जीवन में पहली बार शून्य में देखने की ज़रुरत पड़ी और साला पूरे मोहल्ले में कहीं शून्य नहीं है ! पप्पू ने कागज़ पर एक शून्य बनाया और एक मिनिट तक उसे घूरा ! फिर पप्पू ने सोचा " पता नहीं लोग शून्य में क्यों घूरते हैं ?"
पप्पू फिर बिस्तर पर लेट गए ... पप्पू ने मोबाइल पर दर्द भरे नगमे का एल्बम खोला और एक दर्द से सना गाना सिलेक्ट किया " मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये . बड़ी चोट खायी जवानी पे रोये " पप्पू ने गाने को अपने साथ जोड़कर जस्टिफाय किया " मुहब्बत केवल लड़की से ही थोड़े होती है , मैंने भी जिंदगी से मुहब्बत की है , मैं जवान हूँ और चोट खाया हुआ हूँ ! हाँ हाँ ये गाना मेरे लिए ही बना है " पप्पू से दो बार से ज्यादा गाना नहीं झिल सका ! अगला गाना आया "हा बेवफा हरगिज़ न थे पर हम वफ़ा कर न सके " साला ये भी मुहब्बत का गाना ! पप्पू ने फिर जस्टिफाय किया " ठीक तो है ... मैं तो मकानमालिक का किराया चुकाना चाहता हूँ पर कंगाली आड़े आ रही है , मैं भी मजबूरी में वफादार नहीं हो पा रहा हूँ ! हाँ हाँ , ये गाना बिलकुल मेरे लिए ही है ! पप्पू को अब हर गाने में खुद को ढूँढने में आनंद आने लगा ! अब के गाना आया " दम मारो दम , मिट जाए ग़म " पप्पू उछल पड़ा " ये हुई न बात ..उदासी सम्प्रदाय के लिए प्रेरक गीत तो यही है " पप्पू ने गुटका पाउच उठाया और फांक लिया ! अगला गाना था " पप्पू कांट डांस साला .... " पप्पू उदासी के मारे गदगद हो गए ! क्या बात है ... ऐसे दुखी मन से कोई कैसे नाच सकता है ? पप्पू ने फिर तो डिस्को से लेकर आयटम सौंग्स तक कई गाने सुने और दर्द को जीते चले गए !
दो घंटे लगातार गीत सुनने के बाद पप्पू फिर एक बार बोर हुए ! उदासी के बादल थे कि छांटने का नाम नहीं ले रहे थे ! पप्पू की भूख भी मर गयी थी ...फिर भी पप्पू ने सोचा शायद अच्छे भोजन से फील गुड हारमोन सीक्रेट होता हो ..तो चलो बिना मन के ही कुछ खा लिया जाए ! पप्पू झट अपनी फटफटिया उठाकर चटोरी गली पहुँच गए ! दो प्लेट आलू टिक्की , बीस पानी पूरी और एक प्लेट रबड़ी खाने के बाद पप्पू ने दबाकर एक कलकतिया पान खाया ! घर आकर फील गुड हारमोन का लेटकर इंतज़ार करने लगे पर हारमोन का " हा" भी नहीं निकला ! पप्पू कचकचाये ... " बिना मन और भूख के खाकर आया पर ये कम्बखत फील गुड हारमोन भी जाने कहाँ मर गया है !"
अभी तो पूरी शाम बाकी थी ! पप्पू के दिमाग में एक बार आया कि कहीं चलकर पैसों का इंतजाम कर लिया जाए फिर पप्पू ने सोचा इस ग़म की बेला में कहीं जाना उचित नहीं है ! पप्पू फिर बिस्तर पे पसर गए !फिर पप्पू को ध्यान आया कि कुछ हंसी ठठ्ठा हो ले तो शायद बेचैन रूह को कुछ करार आये !पप्पू ने तीन घंटे मिस्टर बीन देखा .. बिना मन के पेट पकड़ पकड़ कर हँसे ! पर तीन घंटे बाद फिर वही उदासी का आलम ! हाय पप्पू ...अब क्या करे?
पप्पू ने सोचा ..अब सो लिया जाये , नींद तो आने से रही पर कोशिश तो की जा सकती है ! पप्पू चादर तानकर बिस्तर पर लमलेट हो गए ! फिर पप्पू ने भारी मन से खर्राटे मारे , भारी मन से कैटरीना के सपने देखे , रात में दो बार सू सू करने उठे और आकर फिर छूटा हुआ सपना कंटिन्यु किया ! अगले दिन पप्पू जब उठे तो मन हल्का हो चूका था ! एक पहाड़ सा दिन पप्पू ने घोर उदासी में काटा था ! सुबह देवदास ने पप्पू की बालकनी पर बीयर वर्षा की !
पप्पू ने एक फुल दिन उदास रहकर उन लोगों के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया है जो कहते रहते हैं " ये पप्पू साला कभी उदास नहीं होता "
8 comments:
पप्पू बीच बीच में अण्डरग्राउण्ड क्यों होता है?
kash desh ka har pappu aise hi pass hota....gum mitnae ke liye apna hi sath hota , iss matlabi sansaar mein logo ka parda faas hota...har maa ki dua hoti aisa pappu uske bhi pass hota!!
जबरदस्त पप्पू कथा।
हा हा हा, हार्मोन का हा भी नहीं निकला।
zabardast.. ek se ek jumle hain... bharpoor haasya... :)
आज ही आपके ब्लॉग के बारे में पता चला, इस पोस्ट के अलावा 'मनसुख कैसे कवि बना' भी काफी पसंद आया, एक दो और पढ़ा था दिन में लेकिन अभी याद नहीं .... loved reading you
bahut hi accha likhti hain aap jisme udasi me bhi hansi ka sur hai
ब्लॉग बड़ा रंगीन है .....
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