सुबह मेहँदी महक रही थी बिस्तर पर
मैं तो रातरानी सिरहाने रखकर सोया था
होंठों पर गर्म साँसें अभी भी दहक रही थीं
और पलकों पर आज फिर एक मोती झिलमिलाया था
खुली खिड़की से जब झाँका था मैंने तो
आसमा के आखिरी कोने पर लहराता दिखा था
तुम्हारा रेशमी आँचल ,
जिसका एहसास रात भर मदहोश किये था
या खुदा...मुझे इल्म है
तुझे भी वो प्यारी थी मेरी तरह
और बुला बैठा तू उसे अपने पास
मगर....एक काम कर मेरा
उड़ा दे मेरी रातों की नींद
तड़पने दे मुझे तमाम उम्र
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
43 comments:
उड़ा दे मेरी रातों की नींद
तड़पने दे मुझे तमाम उम्र
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
uff es ada ke bhi kya kehne,dil mein tadap hai ankhonmein intazaar,pallavi ji ,aaj to gazab jadu chala diya kalam se,waah.mehbooba ka chndani odhakar aana bhaa gaya.
क्या यही प्यार है ...हाँ यही प्यार है
उफ्फ्फ...कितना खूबसूरत लिखा है...नशा सा है हर शब्द में. दिल खुश हो गया.
वाह क्या खूबसूरत रचना है
वाह वाह
जब भी कोई रचना हिन्दुस्तानी ( उर्दू और हिंदी का मिश्रित रूप ) में देखता हूँ भाषा विज्ञानियों के बारे में कुछ ख्याल आ जाते हैं कि आप अपने सौन्दर्य शास्त्र को इन रचनाओं की सुन्दरता से कैसे बचा पाएंगे?
आशा है मेरी वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियां अनदेखी कर दी जाएँगी यथा "ख़याल"
ओह, यह अहसास हुये दशकों बीत गये।
बेहद खूबसूरत एहसास और ख्याल ..जिसको सोचते हुए ही कई रंग जहन में खिल जाते हैं .बहुत पसंद आई यह कविता
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
Aur jab koi Police-Adhikari-n kavita likhti hai to kaisa lagta hai.
Ans.: Achchha lagta hai.
kya kahun sab pahale vale kah gaye...!
आह!
यह दीवानापन
मुझे न मिला!
बेहद खूबसूरत रचना है आप की...बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढने को मिला लेकिन इस खूबसूरत नज़्म को पढने के बाद सारे गिले शिकवे जाते रहे...वाह..वा..करते मन नहीं भर रहा...
नीरज
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
--आह!! वाह!! एक साथ निकल पड़ी.
-बहुत अद्भुत अभिव्यक्ति है. यह रुप भी देखा तुम्हारा-बहुत उम्दा!!
खूबसूरत रचना ...बधाई
सुभानाल्ल्लाह ..लिखती रहीये यूँ ही ..
- लावण्या
गोया के ये आमद भी सुखद है.....एक नज़्म के साथ .....खुदा कसम जरा रवानगी रखिये......ऐसे गुम हो जाना ठीक बात नहीं है....वो भी पुलिस वालो का .
खूबसूरत रचना ...बधाई!
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
-बहुत अद्भुत अभिव्यक्ति है. यह रुप भी देखा तुम्हारा-बहुत उम्दा!!
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
सुंदर अभिव्यक्ति हुई है ।
बहुत खूब !
खूबसूरत
क्या कहने! क्या बात है!
बेहद खूबसूरत एहसास और ख्याल ..जिसको सोचते हुए ही कई रंग जहन में खिल जाते हैं......दिल खुश हो गया.
मेरे पास शब्द नहीं इस नज़्म की तारीफ के लिए...
बेहद पसंद आयी बहुत खुबसूरत...
मीत
बड़े दिनों बाद आपकी आमद अच्छी लगी... ऑर अगर ये शायराना हो तो क्या कहने..
वाह से आह तक की एक सुन्दर अभिव्यक्ति !
सुबह मेहँदी महक रही थी बिस्तर पर
मैं तो रातरानी सिरहाने रखकर सोया था
bhot sundar....!!
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
lajwaab....!!
या खुदा...मुझे इल्म है
तुझे भी वो प्यारी थी मेरी तरह
और बुला बैठा तू उसे अपने पास
मगर....एक काम कर मेरा
उड़ा दे मेरी रातों की नींद
तड़पने दे मुझे तमाम उम्र
कम से कम एक बार तो देख सकू
जब कोई महबूबा चांदनी ओढ़कर उतरती है
तो कैसी लगती है....
bahut dard hai is rachna me
Fantastic.
या खुदा...मुझे इल्म है
तुझे भी वो प्यारी थी मेरी तरह
और बुला बैठा तू उसे अपने पास
मगर....एक काम कर मेरा
उड़ा दे मेरी रातों की नींद
तड़पने दे मुझे तमाम उम्र
बहुत उम्दा और भावपूर्ण...
बहुत बहुत खूबसूरत
wah wah ji
idhar udhar ghoomate hue aapake blog par chali aayi. afasos hua itani der se kyon aai! arse baad itani khoobasurat rachana padhi.
खूबसूरत लिखा है...
वाह बहुत खूबसूरत रचना है।
पल्लवी जी आपने बहुत सुन्दर रचनाएँ की हैं..
मेरी शुभकामनाओं सहित...
khoobsurat hai.
agar main sahi samajh raha hoon to aapko orkut pe kaafi padha hai maine..blog ki duniya me kavitao ko padhke bahut achha lag raha hai :)
www.pyasasajal.blogspot.com
सुन्दर मोहक अभिव्यक्ति
शानदार एहसास, बेहतरीन शब्दों मे।
vaah vaah
Nih-shabd kar diya aapne.
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