Monday, May 12, 2008

शुक्रिया माँ....

शुक्रिया माँ
मुझे मुह अँधेरे जगाकर पढाने के लिए
हर परीक्षा में मेरा हौसला बढाने के लिए
मुझे बैंक में ड्राफ्ट बनवाना,
पोस्ट ऑफिस में खाता खुलवाना
सिखाने के लिए

अकेले बसों में सफर करना
दुनिया से अकेले लड़ना सिखाने के लिए
असहायों की मदद करना, दुष्टों से निपटना
और मित्रता निभाना सिखाने के लिए
तुरपाई करना, बटन लगाना, खाना बनाना
और कपडे प्रेस करना सिखाने के लिए

अपनी अच्छाइयां मुझमे डालने के लिए
मुझे इस दुनिया में लाने के लिए
ये खूबसूरत जहाँ दिखाने के लिए
बहुत बहुत शुक्रिया माँ....

11 comments:

Uttam said...

They say,
Home is the first school
and Mother is the first Teacher
Nicely written..
Happy Mother's Day

Regards
Uttam

Prabhakar Pandey said...

शुक्रिया माँ
मुझे मुह अँधेरे जगाकर पढाने के लिए
हर परीक्षा में मेरा हौसला बढाने के लिए।

सुंदरतम। अच्छी रचना।

Anonymous said...

sunder bhavnatmak kavita

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

किस-किस बात का शुक्रिया दे पाएंगे हम माँ को? हमारा सब कुछ तो उसी से निस्सृत है।
अच्छी, दिल को छू लेने वाली कविता…

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर! शुक्रिया।

कुश said...

माँ के लिए लिखी गयी किसी भी रचना पर कमेंट नही किया जा सकता..

Richa Sharma said...

Pall.......... log padte padte kaise rone lagte hain samajh main nahi aatta thaa.........
Lekin aaj jaan liya....
I will not say it is ultimate, but aaj bahut kuchh kah diya tumne........

Udan Tashtari said...

माँ का शुक्रिया-

इतना ही काफी है:

शुक्रिया माँ

मुझे मैं बनाने के लिए.


--बाकि तो सूची लिखने में नेट स्पेस कम पड़ जायेगा. लिखा अच्छा है.

डॉ .अनुराग said...

कहते है ना की एक बेटी अपनी माँ के सबसे नजदीक होती है ...सच कहते है....

Abhishek Ojha said...

माँ पर कुछ भी कहा जाय, लिखा जाय कम है... आपकी पोस्ट पढ़ कर स्कूल में पढी एक लाइन याद आ रही है: "मुझे तो ऐसा लगता है की मेरी माँ यदि जगी नहीं होती, तो में सोया होता... ।"

DUSHYANT said...

waah , subhaan allah..keep on writing...