Thursday, May 15, 2008

ए छुटकी...


ए छुटकी...
पता है..जब तू आई थी अपने घर पर
बावला हो गया था तुझे छूने को
पर मैं भी बच्चा ही तो था
माँ ने धीरे से मेरा हाथ तुझसे छुल्वाया था
लेकिन मौका पाकर तुझे भर लेता था
मैं अपनी नन्ही गोद में
टुकुर टुकुर मुझे देखती तू
धीरे से हस पड़ती थी....

और तेरे स्कूल का पहला दिन
रोई ,सहमी सी तू
मेरे एक हाथ में तेरा बस्ता
और दूसरे हाथ में तेरी ऊँगली
एक बात बताऊ तुझे....
भले ही मैं तुझसे लड़ता था
लेकिन
तेरा बस्ता उठाना मुझे
बहुत अच्छा लगता था...

राखी बंध्वाता था जब भी
तुझे बहुत सताता था
तब कहीं जाकर पैसे देता था...
लेकिन
मन करता था काश
दुनिया की सारी दौलत
तुझे उपहार में दे पाता...

कैसे भूल जाऊ पगली कि
मेरी कितनी गलतियों को
छुपाया है तूने
जाने कितनी बार डांट पड़ने से
बचाया है तूने
अपनी सहेली से अगर न मिलवाती
तो कैसे होती वो आज तेरी भाभी...

एक बात और कहूं....
मुझे छेड़ना मत
मैंने कहा था तुझसे कि
नहीं रोऊंगा तेरी विदाई में
सब झूठ था छुटकी..
देख आंसू ख़तम ही नहीं होते मेरे
तीन दिन से हर रात बस रो ही रहा हूँ
न माने तो पूछ ले अपनी भाभी से...


भले ही कितना भी झगडा हूं तुझसे
पर याद रखना छुटकी की बच्ची
कि बहुत प्यार करता है तुझे
तेरा ये बड़ा भाई....
और चाहता है हरदम
बस तेरी खुशियाँ और भलाई...

14 comments:

Anonymous said...

bahut bahut bahut sunder
gajab
behtarin
aur bhi kuchh shabd hote to kah deta :-)
ek dum se dil ko chhuyi he nahin balki dil me utar gayi ye sari lines

कुश said...

अपनी सहेली से अगर न मिलवाती
तो कैसे होती वो आज तेरी भाभी...

chhutki bahut shararti lagti hai..
ek sath itne sare emotions bandh diye aapne is rachna mein.. badhai

Rajesh Roshan said...

शब्द नही हैं मेरे पास इस भाव को बताने के लिए जो आपने इस कविता के जरिये मेरे दिल में उठाये हैं

Abhishek Ojha said...

नम आंखें... नो मोर कमेंट... !

सुशील छौक्कर said...

क्या कँहू शब्द ही नही मिल रहे। सुन्दर अति सुन्दर।

राकेश जैन said...

bahut pyari bahvnayen, bachpan me bhej dia apne to....smritiyan jawan ho gai..

Udan Tashtari said...

बड़े भाई के स्नेह की भावपूर्ण अभिव्यक्ति, बढ़िया है.

डॉ .अनुराग said...

प्यारी सी मासूम सी कविता.....कई दिनों तक याद रहेगी....

Manish Kumar said...

sundar...

Unknown said...

beatiful poem

samagam rangmandal said...

शाबास छुटकी..!

Nitin Johari said...

IS KO PADKE AISA LAGA JAISE KI YE KAVITA AAP NE MERE LIYE HE LIKHI HAI ...... SACH MAIN YAAR SAB KUCH WO HE HAI JO MERI ZINDAGI MAIN HUAA HAI .........KYA MAIN IS KAVITA KO APNI SISTER KO POST KAR SAKTA HOOON????

AAP K ANSWER KO INTZAAR RAHEEGA....

Nitin Johair main aap ko Orkut se jaanta hoon

http://www.orkut.co.in/Main#Profile.aspx?rl=ls&uid=5918327016407868145

purnima said...

bhut acha...........really..........its great

Ravi Rajbhar said...

sach me mai ek bada bhai hun...
aapne bilkul sahi kaha
aisa hi hota hai bada bhai
aapko bhi badhai.