Friday, May 23, 2008

जय भोलास्वामी की ...


कल भोला प्रसाद को उसके माँ बाप ने फिर से जी भर के कोसा! " निकम्मा कही का....काम का न काज का ढाई मन अनाज का ,दिन भर पड़े पड़े चरता रहता है..कब कोई काम करना शुरू करेगा" भोला ने अपने दोनों कानों को आपस में जोड़ते हुए किसी विधि से एक पाइप फिट किया था जिससे ये सारे प्रवचन आसानी से दुसरे कान से बाहर निकलने में सक्षम थे! भोला कल भी पाइप की मदद से प्रवचनों को गतिमान कर रहा था..मगर बात ज्यादा बिगड़ गयी! बाप को भोला की बेशर्मी पर ज्यादा गुस्सा आ गया और लात मारकर घर से बाहर निकाल दिया ,भोला ने अन्दर घुसने की कोशिश की तो दो लातें और टिकायीं ,साथ में चेतावनी भी दी की अब अगर कुछ कमाना शुरू नहीं किया तो घर में न घुसे! भोला ने माँ की ओर बेचारगी से देखा मगर माँ भी इस बार बापू की साइड थी! भोला को गुस्सा आ गया! उसने भी दरवाजे के बाहर से ही बाप को धिक्कारा कि वे एक पिता का फ़र्ज़ निभाने में नाकाम रहे हैं...और उसी पल उसका आत्म सम्मान जाग गया! भोला का आत्मसम्मान के रूप में कुम्भकर्ण ने पुनर्जन्म लिया था वो भी थोड़े और एडवांस वर्ज़न के रूप में! कुछ मिनिटों को ही जागता था !इन्ही कुछ मिनिटों में भोला ने निश्चय किया कि अब वो गाँव में नहीं रहेगा और तभी लौटेगा जब कुछ कमाने लगेगा! भोला चल दिया शहर कि ओर!

भोला शहर पहुंचा!जैसे ही भूख लगी वैसे ही आत्मसम्मान के सोने का वक्त हो गया! भोला का मन किया कि वापस गाँव लौट जाए मगर इतना चलने कि ताकत नहीं थी! कमबख्त आत्मसम्मान गलत टाइम पे जगा...घर से चलते समय कोई सामान भी न रख सका! कोई काम करने की ताकत भी न थी बदन में और न ही आदत थी! एक मंदिर के सामने बैठे बच्चे को भीख मांगते देखा तो चेहरा खिल गया! भोला भी झट से अपना रूमाल निकाल भीख मांगने बैठ गया! आत्मसम्मान खर्राटे भर रहा था! दो घंटे बैठा रहा पर हट्टे कट्टे मुस्टंडे भोला को एक चवन्नी तक नहीं मिली ऊपर से चार बातें और सुनने को मिल गयीं! भोला सोच रहा था" भले ही चार लातें और मार लेते मगर घर से तो न निकालते" ऐसे ही बैठे बैठे शाम हो गयी...तभी एक उचक्का सा दिखने वाला आदमी भोला के पास आया और बोला" भाई..मैं तुझे सुबह से यहाँ बैठे देख रहा हूँ,क्या समस्या है तुझे?"
भोला ने आपबीती कह सुनाई! उचक्का उचक कर भोला के पास आया और कंधे पर हाथ रखकर बोला" मेरे पास एक जबरदस्त आइडिया है...अगर मेरा कहा मानोगे तो पैसों की बारिश में नहाओगे"
भोला ने संशय से उचक्के को देखा और मुंह बिचका कर बोला " तुम्हे पैसों की बारिश में नहाने से फोड़े निकलते हैं क्या? खुद क्यों नहीं नहा लेते?
उचक्का निराश भाव से बोला" मैं तो खुद ही नहाता लेकिन बरसों से चोरी चकारी कर कर के अब साली शकल ही उचक्की सी हो गयी है!मेरे काम के लिए शरीफ दिखने वाला आदमी चाहिए"
भोला भी राज़ी हो गया" बताओ क्या करना है? बस कहीं फसवा मत देना !
उचक्का बस्ती के बीचों बीच एक पीपल के पेड़ के नीचे भोला को ले गया और एक बेढंगा सा पत्थर पेड़ के नीचे रख दिया! भोला को कुछ समझ नहीं आया" ये क्या कर रहे हो"?
बस तुम देखते जाओ,अच्छा ये बताओ कुछ पैसे हैं तुम्हारे पास ?
अगर पैसे होते तो कुछ खा नहीं लेता" भोला चिढ़कर बोला!
ठीक है ठीक है...मैं ही कुछ इंतजाम करता हूँ! उचक्का फर्राटे भरता गया और चंद मिनटों में ही केसरिया रंग और एक लाल कपडा खरीद कर ले आया! भोला हैरत से मुंह फाड़े उसे देख रहा था!उचक्के ने केसरिया रंग से पत्थर को पोत दिया! अब पत्थर भगवान बन गया था! और लाल कपडे को तिकोना काटकर एक डंडे से बांधकर झंडे की तरह पेड़ पर टांग दिया! बचा लाल कपडा भोला को दिया और बोला "चल...अपना कुरता उतार कर ये कपडा लपेट ले! भोला इतना भी भोला नहीं था ,अब तक उसके दिमाग की बत्ती जल चुकी थी! चुपचाप कुरता उतार कर कपडा लपेट लिया! उचक्के ने भोला के माथे पर एक केसरिया तिलक भी लगा दिया! अब भोला पक्का पंडित बन गया था!उचक्के ने भोला को आदेश दिया कि भगवान के पास बैठकर पूजा करना शुरू कर दे! भोला बोला" मुझे तो एक मन्त्र भी नहीं आता, पूजा क्या ख़ाक करूंगा!
वहाँ बैठ कर आँख बंद करके हाथ तो जोड़ सकता है?
हाँ...ये कर लूंगा!
भोला आँख बंद करके चाट पकोड़ी के सपने देखने लगा! बीच बीच में आँख खोलकर देख लेता..कही उचक्का उसका कुरता लेकर तो नहीं भाग गया! आँखें बंद किये किये ऊंघनी सी आ गयी ,तभी उसकी नींद खुली अपने पैरों पर किसी के स्पर्श से!
ये भोला स्वामी हैं...इन्हें स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिए और यहाँ अपनी प्रतिष्ठा कराने का आदेश दिया!" उसके कानो में उचक्के की खिरखिरी सी आवाज़ पड़ी! भोला स्वामी...उसकी हंसी छूटने को हुई,पर मौके की नजाकत को देखते हुए कंट्रोल कर गया! लोग उसके पैर छू रहे थे...थोडी देर में ५-६ नारियल, २-३ प्रकार की मिठाई और पचास-साठ रुपये इकट्ठे हो गए! भीड़ छांटते ही भोला ने उचक्के के चरण पकड़ लिए! "अबे..फोकट में नहीं कर रहा हूँ...आधी कमाई लूंगा और कपडे और रंग के पैसे भी काट लूंगा!
सब मंजूर है भाई!"
अगले कुछ दिनों में भोला स्वामी के चर्चे पूरी बस्ती में हो गए! भोला की अज्ञानता पर पर्दा डालने के लिए उचक्के ने भोला को मौनी बाबा के नाम से फेमस कर दिया! भोला को ड्यूटी अवर्स में चुप रहने में बड़ी तकलीफ होती मगर बोलने का खतरा वह मोल नहीं लेना चाहता था...अकेले में खूब अल्ल गल्ल बोलता! सपने में भी बड़बड़ाने लग गया था!

कुछ ही दिनों में भोला स्वामी प्रसिद्ध हो गए और उचक्का उनका असिस्टैंट और मंदिर का मैनेजर बन गया!एक व्यापारी ने मंदिर के आसपास चबूतरा बनवा दिया,दूसरे ने बोर्ड लगवा दिया "इछापूरण हनुमान" ,तीसरे ने एक टेप रिकॉर्डर और हनुमान चालीसा की कैसेट लाकर दे दीं और चौथे ने वहाँ एक दान पेटी रखवा दी!

भोला और उचक्के का व्यापार अच्छा चल निकला....एक बार एक रईस अपनी मनोकामना लेकर दर्शन को आया और भोला की किस्मत अच्छी थी की उस रईस की मनोकामना पूर्ण हो गयी...खुश होकर उसने पक्का मंदिर बनवा दिया, संगमरमर के फर्श वाला! भोला और उचक्के के लिए मंदिर के पीछे ही एक पक्का कमरा बन गया! अब हर सुबह मंदिर में हनुमान चालीसा चलता और मौनी बाबा भोलास्वामी आँख बंद करके भगवान् के सामने बैठ जाते...बीच बीच में आँख खोलकर सुन्दर कन्याओं और चढाये गए प्रसाद को भी देखते रहते!

मंदिर के आसपास फूलवाले, प्रसाद वाले और बाकी मंदिर का सामान बेचने वाले भी ठेला लगा कर बैठ गए! आधी रोड पर मंदिर का कब्जा हो गया ,बाकी की आधी रोड जनता के लिए छोड़ दी गयी! उन्ही दिनों शहर में नया नगर निगम कमिश्नर आया...आते ही अतिक्रमण हटाओ मुहिम चलाई! सबसे पहला टार्गेट हनुमान जी ही बने..जैसे ही भोलास्वामी के पास नोटिस आया ,नोटिस को मंदिर के बाहर दीवार पर चस्पा कर दिया उचक्के ने..भक्तों ने देखा तो बवाल मचाया..समस्त हिन्दू संगठन इकट्ठे हो गए...कमिश्नर के पुतले फूंके गए! मंत्री जी ने देखा तो कमिश्नर को बुलाकर डांट पिलाई और लगे हाथों ट्रांसफर भी कर दिया!

नया कमिश्नर आ गया, मंत्री जी की गुड बुक वाला ! आते ही सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन कर भोला स्वामी का आशीर्वाद लिया और मनोकामना की कि यहाँ रहकर तिजोरी फले फूले! सब खुश...जनता, भोला,उचक्का..मंत्री जी और नया कमिश्नर! अतिक्रमण का क्या है....उसके लिए तो गरीबों की बस्तियां और झुग्गियां हैं ही!

भोला का पेट चुप रह रह के अफरा गया था और उसे इतने दिनों में हनुमान चालीसा भी रट गयी थी अब मौन तोड़ने का समय आ गया था ...उसने उचक्के को अपनी व्यथा बताई...भगवान् उचक्के जैसा दोस्त सबको दे! उचक्के ने अगले ही दिन जनता को बता दिया कि हनुमान जी ने स्वप्न में स्वामी जी को मौन समाप्त करने का आदेश दिया है ,बड़े धूमधाम से भोला का मौन समाप्ति उत्सव मनाया गया! मौन टूटते ही भोला ने सबसे पहले अपनी कौए जैसी आवाज़ में हनुमान चालीसा का पाठ किया !

और हाँ चलते चलते एक बात और....अभी पता चला है कि भोला के माता पिता ने उसे माफ़ कर दिया है और भोला के पास रहने आ रहे हैं !भोला ने उन्हें लेने के लिए अपनी कार भेज दी है..

.जय बजरंग बली की..........

19 comments:

Rajesh Roshan said...

मजेदार. माया के आते ही पराये भी अपने हो जाते हैं फ़िर वो सगे माँ और पिता थे
Rajesh Roshan

Udan Tashtari said...

जय बजरंग बली की-

काश, कोई उच्चक्का हमें भी मिल जाये. हनुमान चालीसा तो अभी से याद करना शुरु कर दी है. :)

कितने ही ढोंगी साधु ऐसे ही बन गये.

कुश said...

जय बजरंग बली की... एक बात समझ नही आ रही की अपना भोला, भोला था या जनता भोली थी..

Sanjeet Tripathi said...

सटीक उतारा है एक हकीकत को आपने!

कुमार मुकुल said...

आपका यह व्‍यंग्‍य भी अच्‍छा लगा, थोड़ा संपादन पर ध्‍यान दीजिए अब, लिख तो अच्‍छा रही हैं आप, व्‍यंग्‍य के साथ के कार्टून क्‍या आप बनाती हैं खुद , वे अच्‍छे हैं...क्‍या पढ रही हैं आजकल आप

डॉ .अनुराग said...

जय बजरंग बली की...जरा भोला का पता मिल जाता तो....एक ठू मन्दिर हम भी देखे है.......

rush said...

too tooo cute n funnny..n sometimes tooo true too...laughed n laughed

Gyan Dutt Pandey said...

साधू और खल में बहुत ज्यादा अन्तर नहीं होता। :)

काकेश said...

आज पहली बार नजर पड़ी आपके लेखन पर. मजा आ गया.एक ही सांस में पूरी कहानी पढ़ गया.

Arun Arora said...

वाह वाह क्या बात है, ये सत्य कथा तो हर शहर गाव की है :)

Neeraj Rohilla said...

वाह बहुत खूब रही, खैर हमारा पी.एच.डी. बाबा का आईडिया तो अभी भी सुरक्षित है :-)

"भोला ने अपने दोनों कानों को आपस में जोड़ते हुए किसी विधि से एक पाइप फिट किया था जिससे ये सारे प्रवचन आसानी से दुसरे कान से बाहर निकलने में सक्षम थे"

मेरी कक्षा १२ तक की पूरी जिन्दगी को आपने २ पंक्तियों में लिख डाला :-)

आभा said...

अच्छा किया भोला ने जो घर से बाहर निकला ....
मै भी कह रही हूँ -जय भोलास्वामी की...
अच्छा व्यंग......

samagam rangmandal said...

सत्य है,धर्म और आध्यात्म का धंधा फलदायी है। परसाई कहते है,विदेशो में इतनी माँग नही होती तो,भारत में इतने महात्मा पैदा नही होते। बढिया है।

Abhishek Ojha said...

:-) जय हो भोला स्वामी की !
r k नारायण, के Astrologer की याद हो आई.

समय चक्र said...

मजा आ गया जय बजरंग बली

Unknown said...

lekh padh kar gwl-chambal ke dhongi pandokhar/rawatpura aadi sarkar yaad aaye.well done.

Abhijit said...

Bolo Pavansut Hanuman ki Jay....dhanyawaad Pallavi ji...ye achcha buisness bataya aapne. Ab kal ko naukri se bezaar ho gaye to apne ko bhi swapna me Prabhu darshan ho jayenge aur baki step to aapne batlaa hi diye ....:)

priya said...

Hi,ur writing skill is good n d story of bholaswami may b true in 90% cases but i do not agree with d comments from rashmi in case of pandokhar sarkar.Bcoz of his devine miracles many people r getting relief from their sorrows.myself was not able 2 walk even a single step but in his darbar he touched my feet n surprisingly,i started running n walking.rashmi, come 2 pandokhar sarkars darbar n veify d facts urself.

priya said...

want 2 share some of my experiences with u all abt pandokhar sarkar.......one n half yr ago i was in deep distress , one of my senior suggested me 2 go 2 pandokhar sarkar 2 find out d solution of my prob...............although i use 2 b a child of modern era but simultaneouslly i m very adventerous also.............i thought, d soln of my prob is only in gods hand...........if guruji pandokhar sarkar is antaryami, he will solve it ........then i came 2 d address of guruji pandokhar sarkar n sat in his darbar......i didnt talked 2 anyone not reaveled my identity n prob 2 anyone.....when my turn came 2 meet 2 guruji, i reached near him n b4 my reach there he wrote something on a paper n hide it.Then he asked my prob i told him my story in brief.........then he showed me that paper on which he had written abt my prob n soln...........i was very much surprised..............again he told me since u r a mod girl n dont believe in all these......so experience one new thing which will make u ensure abt aadhyatmik shakti....................main to pahle hi unki kayal ho chuki thi kyonki science chahe kuchh bhi kare wo aapke man ki baat nahi bata sakta,aaapke aise atit ke bare me nahi bata sakta jise aapne kisi ke sath share nahi kiya hai, guruji ne paper pe sab likh diya tha shak ki koi gunjaish nahi thi...............phir bhi unhone jo aage kiya wah aur bhi pleasant surprise tha.............unhone kaha ki yahan baithi janta me se kisi ka mob le lo,maine ek unknown ladke ka mob le liya,phir kaha koi ek ank dabao maine 9 press kiya,phir kaha ki duniya ke kisi bhi kone me apne kisi bhi parichit se baat karna chahti ho to batao maine kaha husband se baat karna chahti hu(my hus was not with me,he was in kanpur) ....mere hath me jo mob tha uska loudspeaker apneaap on ho gaya aur bell mere husband ke mob pe jaane lagi,he picked up n talked 2 me,main husband ki awaz sunkar hairan thi,maine hus se puchha ki tumhare cell pe kiska no display ho raha hai usne kaha ofcourse tumhara.....main dang thi...............isi din se main guruji ki shishya ho gayi.............iske baad mujhe kai bar guruji ke daarbar me baithne ka mauka mila...........maine apni aankhon se aise kai dampattiyo ko dekha jo bachha paida karne ke liye medically unfit the par guruji ke aashirwad se unhe bachha prapt hua guruji ke bataye saal,mahine,date ur time par...ek cancer pidit ko thik hote dekha,berojgaro ke rozgar ki bhavishyawani ko sach hote dekha,kai prakar ki pretbadhao ko khatm hote dekha jispar mera kabhi vishwas nahi tha..........aur hazaro logo ki samashyayon ka nidan hote dekha....kya-kya likhu,baki phir kabhi.....................aur han meri tamam samsyao ka nidan guruji ne hi kiya hai........main apne experience aapke sath isliye share kar rahi hun taki agar aap kisi personal,social,official,supernatural ya kaisi bhi prob me ho to guruji ki sharan me chale aaiye..........certainly u will b benefited...........bcoz jo kaam duniya me koi nahi kar sakta wo guruji pandokhaar sarkar kar sakte hain aur unhone apna jeevan manavta ki sewa ke liye arpit kar diya hai...................jo aapka atit bata sakte hain aur bhavishya ki 100% sahi bhavishyawani kar sakte hain wo sirf pandokhar sarkar hain........media ne inki bakhiya udhedne ki koshish to ki parantu saanch ko aanch kya, sabhi ko muh ki khani padi......n lastly sabhi channels sarkar ji ki mahima ka gungan karte nahi thak rahe e.g. aajtak, india tv, etv n many more....................mera hi nahi guruji pandokhar sarkar ke darbar me ek bar bhi chale jane wale har vyakti ka yahi manna hai ki jahan se vigyan khatm hota hai adhyatm wahan se suru hota hai aur adhyatm ka charam hain..........GURUJI PANDOKHAR SARKAR............SO, friends all of u r coordially invited in sarkars darbar 4 soln of any kind of ur problems........JAI PANDOKHAR SARKAR