एक बार गणपति जी ने भी अपना ब्लॉग बनाया ..वैसे भी उस लोक के सबसे बुद्धिमान देवता ठहरे! उन्हें कहीं से नारद ग्राम के बारे में पता चला....फिर क्या था गणेश जी को ये बुरा लग गया की उनसे पहले कोई और ब्लॉग जगत में सक्रिय हो गया और उन्हें कानो कान खबर तक नहीं...नारद जी को बुलाकर खूब हड़काया!नारद जी एक ही बात कहते रहे :हुजूर..विश्वास करिए कसम से मैंने कोई ब्लॉग नहीं बनाया है"
" मैं नहीं मानता तुम्हारी बात..देखो तुम्हारे नाम से ब्लॉग है या नहीं? गणेश जी बहुत गुस्से में थे
" हुज़ूर सही में..किसी मानव ने मेरे नाम से बनाया होगा" नारद जी गणेश जी की सूंड सहलाते हुए बोले!उन्हें पता थे गणेश जी को सूंड सहलवाना बहुत अच्छा लगता है....
ये तुमने हुज़ूर हुज़ूर क्या लगा रखा है..ठीक से भगवन नहीं कह सकते?" गणपति जी नारद जी का हाथ अपनी सूंड से हटा कर बोले
" माफ़ करिए हुजूर...मेरा मतलब भगवन! वो क्या है की कल ही प्रथ्वी के दौरे से वापस आया हूँ ..वहाँ इस शब्द से साहब लोग खुश होते हैं!
अच्छा...हमें तो ये पता ही नहीं था पर हमें तो भगवन ही पसंद है" गणपति जी अब थोड़े शांत हो गए थे
.अभी अभी एक ब्लॉगर मरकर ऊपर आया है !उसने हमें ब्लॉग के बारे में बताया..हमारा ब्लॉग तो होना ही चाहिए !" गणेश जी बोले
जी भगवन..मैं अभी एक कंप्यूटर लाये देता हूँ..नारद जी कहकर उड़ गए कंप्यूटर लाने के लिए!
लीजिये...भगवन का ब्लॉग तैयार हो गया... गणेश जी ने नाम रखा "गणपति का चिटठा"!
ब्लॉगर की आत्मा ने तुंरत ऐतराज किया "नहीं नहीं ये नाम नहीं चलेगा आप भगवन के नाम से ब्लॉग नहीं खोल ककते!
क्यों भाई चिट्ठाकार ..क्यों नहीं खोल सकता? गणपति जी जी को बात कुछ जमी नहीं!
" देखिये क्या है कि अगर आप ये कहकर अपना ब्लॉग बनायेंगे कि मैं तो भगवान गणेश हूँ तो कोई भी नहीं मानेगा..हँसी उडेगी सो अलग, आप चाहे जो नाम रखें माना तो आपको इंसान ही जायेगा तो इससे अच्छा कुछ ढंग का ही नाम रख लें...गणपति थोडा आउटडेटेड सा नहीं लगता?" ब्लॉगर ने सहमती कि प्रत्याशा में नारद जी की ओर देखा!
"बिलकुल ठीक..अब मेरे ही नाम से कोई ब्लॉग है पर कोई ये थोड़े ही मानेगा कि ये मैंने खोला है " नारद जी ने सहमती जताई!
लेकिन मैं तो रोज़ देखता हूँ ..मंदिरों में भक्तों कि भीड़ लगी रहती है...लोग हर कार्य प्रारंभ करने के पूर्व मेरी आराधना करते हैं..इतना तो मानते हैं और तुम कहते हो कि मेरे नाम से ब्लॉग बनाऊंगा तो कोई यकीन नहीं करेगा" गणेश जी फिर से क्रोध में आ गए!
"देखिये भगवान..बुरा मत मानियेगा! कभी किसी भक्त ने आपको पुकारा, आपसे सहायता की आस लगायी तो आप कभी प्रथ्वी पर पधारे? कभी अपनी किसी जादुई शक्ति से किसी मरते के प्राण बचाए, कभी कोई दंगा फसाद रोका? कभी किसी अनाथ बच्चे को चमत्कार से अच्छे घर में पहुंचा पाए? यानी कि आपने अपने प्रकट होने का कोई प्रमाण कभी नहीं दिया तो अचानक ब्लॉग बना लेने से कोई थोडी मानेगा! रही बात पूजा पाठ की तो आप हमारा मुंह न ही खुलवाएं तो अच्छा है...कैसे कैसे पापी आते हैं आपके दर्शन को! राम राम ...कहते भी लज्जा आती है!
"ठीक है ठीक है..अब ज्यादा चपड़ चपड़ न करो ..और श्री राम को न पुकारो अभी....वरना वो कही हमसे पहले ब्लॉग न बना लें" गणपति जी ने ब्लॉगर को घुड़का!
ब्लॉगर चुप हो गया!
लेकिन प्रभु..आप अपने ब्लॉग पर लिखेंगे क्या? ब्लॉगर ने उत्सुकता वश पूछा!
लिखूंगा श्लोक..और क्या! विविधता के लिए कभी अपने जीवन के किस्से भी डाल दूंगा! गणेश जी ने गर्व से कहा!
"हा हा..." ब्लॉगर नासमझी में जोर से हँस पड़ा!
गणेश जी ने कुपित होकर उसे देखा...और गुस्से में श्राप देने के लिए जल उठाया ही था की तभी नारद जी ने स्थिति को संभालते हुए गणपति जी को शांत किया और ब्लॉगर से माफ़ी मंगवाई!
माफ़ कीजिये..दरअसल मैं कहना चाहता था कि आजकल संस्कृत भाषा कोई नहीं पढता और श्लोक तो कैसे भी नहीं पढ़े कोई! दूसरी बात ये कि आपके जीवन के किस्से मसलन आपका सर हाथी का कैसे हुआ,आपने प्रथ्वी की परिक्रमा कार्तिकेय से पहले कैसे पूरी की वगेरह वगेरह घटनाएं उस लोक में सबको पता है बल्कि कहीं आप भूल जाये तो लोग याद दिला देंगे!" ब्लॉगर ने अपना मत रखा!
अरे ,करके देखने में क्या हर्ज़ है? " कहकर गणेश जी ने अपनी पहली पोस्ट का श्री गणेश एक श्लोक से किया! हर १५ मिनिट में पेज रिफ्रेश करके देखते की कितने कमेंट्स आये! सुबह से शाम हो गयी मगर एक भी टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई!फिर भी हिम्मत रख के गणपति जी ने उस ब्लॉगर को उनके ब्लॉग से हर ब्लॉग पर टिप्पणी करने के काम में लगाया...एक दिन में करीब १०० टिप्पणी कर डाली मगर देर रात तक कोई टिप्पणी नहीं आई!निराश भाव से गणपति सोने चले गए...सुबह तडके ही नींद खुल गयी...उठते ही सबसे पहले कंप्यूटर खोला...मगर अब भी कोई टिप्पणी नहीं थी!खीजकर पुनः ब्लॉगर को बुलवा भेजा...ब्लॉगर ने पूरी बात सुनी..गहरा दुःख व्यक्त किया! बोला" प्रभु आप थोडा सा लेट हो गए...अगर १० दिन पहले ब्लॉग बना लेते तो शायद कुछ टिप्पणी तो ज़रूर आती...कुछ लोग बिना पढ़े ही सुन्दर सुन्दर टिप्पणी करके ब्लॉगर का हौसला बढ़ने का महान कार्य करते थे मगर कुछ दिनों पहले ही "कुश" नाम के एक ब्लॉगर ने इस प्रकार टिप्पणी करने वालों पर एक पोस्ट लिख डाली...इस के बाद अब बिना पढ़े कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है!
आह..फिर क्या फायदा हमारे ब्लॉग बनाने का" गणेश जी दुखी स्वर में बोले!" हमने तो सोचा था कि मतिभ्रष्ट होते इस संसार को थोडा ज्ञान प्रदान करेंगे मगर हमारे श्लोक तो कोई पढना ही नहीं चाहता,हम अभी अपना ब्लॉग नष्ट किये देते हैं" कहकर गणपति जी ने ब्लॉग डिलीट कर दिया!
चूहे को बुलाया और सवार होने लगे....इतने में कुछ याद आया! तुंरत ब्लॉगर को बुलाया और बोले" हे मूर्ख..तूने अट्टहास करके हमारा उपहास उड़ाया था न.. हम तो तभी तुझे श्राप देने वाले थे पर तब तेरी ज़रूरत थी इसलिए मन मसोस कर रह गए..अब नहीं छोडेंगे तुझे" कहकर अपनी अंजुली में जल लेकर थरथर कांपते ब्लॉगर के ऊपर छिड़क कर बोले " जा तू अगले जनम में भी ब्लॉगर बने और तेरे ब्लॉग पर एक भी टिप्पणी न आये"क्षमा प्रभु...मुझे क्षमा कर दो..मुझसे भूल हुई" ब्लॉगर गणेश जी के चरणों में गिर पड़ा!
गणेश जी पसीजे और बोले " पुत्र...मेरा श्राप तो खाली नहीं जायेगा मगर जिस दिन तू दूसरों के ब्लॉग पर दस लाख टिप्पणी कर देगा उस दिन तू मेरे श्राप से मुक्त हो जायेगा" कहकर गणेश जी अपना चूहा दौड़ाते हुआ चले गए...और ब्लॉगर ..उसको उसके दूसरा जन्म लेने की डेट बता दी गयी है...अपनी बारी के इंतज़ार में खाली बैठे बैठे समय का सदुपयोग करते हुए उसने उँगलियों की कुछ एक्सरसाइज़ शुरू कर दी है और विविध टिप्पणियों का एक संग्रह भी तैयार कर लिया है...साथ ही हवा में उँगलियाँ चला चलाकर एक मिनिट में १० टिप्पणी की स्पीड भी प्राप्त कर ली है....भगवन उसकी दस लाख टिप्पणियाँ जल्दी पूर्ण करे!
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अच्छा...हमें तो ये पता ही नहीं था पर हमें तो भगवन ही पसंद है" गणपति जी अब थोड़े शांत हो गए थे
.अभी अभी एक ब्लॉगर मरकर ऊपर आया है !उसने हमें ब्लॉग के बारे में बताया..हमारा ब्लॉग तो होना ही चाहिए !" गणेश जी बोले
जी भगवन..मैं अभी एक कंप्यूटर लाये देता हूँ..नारद जी कहकर उड़ गए कंप्यूटर लाने के लिए!
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ब्लॉगर की आत्मा ने तुंरत ऐतराज किया "नहीं नहीं ये नाम नहीं चलेगा आप भगवन के नाम से ब्लॉग नहीं खोल ककते!
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" देखिये क्या है कि अगर आप ये कहकर अपना ब्लॉग बनायेंगे कि मैं तो भगवान गणेश हूँ तो कोई भी नहीं मानेगा..हँसी उडेगी सो अलग, आप चाहे जो नाम रखें माना तो आपको इंसान ही जायेगा तो इससे अच्छा कुछ ढंग का ही नाम रख लें...गणपति थोडा आउटडेटेड सा नहीं लगता?" ब्लॉगर ने सहमती कि प्रत्याशा में नारद जी की ओर देखा!
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लेकिन मैं तो रोज़ देखता हूँ ..मंदिरों में भक्तों कि भीड़ लगी रहती है...लोग हर कार्य प्रारंभ करने के पूर्व मेरी आराधना करते हैं..इतना तो मानते हैं और तुम कहते हो कि मेरे नाम से ब्लॉग बनाऊंगा तो कोई यकीन नहीं करेगा" गणेश जी फिर से क्रोध में आ गए!
"देखिये भगवान..बुरा मत मानियेगा! कभी किसी भक्त ने आपको पुकारा, आपसे सहायता की आस लगायी तो आप कभी प्रथ्वी पर पधारे? कभी अपनी किसी जादुई शक्ति से किसी मरते के प्राण बचाए, कभी कोई दंगा फसाद रोका? कभी किसी अनाथ बच्चे को चमत्कार से अच्छे घर में पहुंचा पाए? यानी कि आपने अपने प्रकट होने का कोई प्रमाण कभी नहीं दिया तो अचानक ब्लॉग बना लेने से कोई थोडी मानेगा! रही बात पूजा पाठ की तो आप हमारा मुंह न ही खुलवाएं तो अच्छा है...कैसे कैसे पापी आते हैं आपके दर्शन को! राम राम ...कहते भी लज्जा आती है!
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ब्लॉगर चुप हो गया!
लेकिन प्रभु..आप अपने ब्लॉग पर लिखेंगे क्या? ब्लॉगर ने उत्सुकता वश पूछा!
लिखूंगा श्लोक..और क्या! विविधता के लिए कभी अपने जीवन के किस्से भी डाल दूंगा! गणेश जी ने गर्व से कहा!
"हा हा..." ब्लॉगर नासमझी में जोर से हँस पड़ा!
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आह..फिर क्या फायदा हमारे ब्लॉग बनाने का" गणेश जी दुखी स्वर में बोले!" हमने तो सोचा था कि मतिभ्रष्ट होते इस संसार को थोडा ज्ञान प्रदान करेंगे मगर हमारे श्लोक तो कोई पढना ही नहीं चाहता,हम अभी अपना ब्लॉग नष्ट किये देते हैं" कहकर गणपति जी ने ब्लॉग डिलीट कर दिया!
चूहे को बुलाया और सवार होने लगे....इतने में कुछ याद आया! तुंरत ब्लॉगर को बुलाया और बोले" हे मूर्ख..तूने अट्टहास करके हमारा उपहास उड़ाया था न.. हम तो तभी तुझे श्राप देने वाले थे पर तब तेरी ज़रूरत थी इसलिए मन मसोस कर रह गए..अब नहीं छोडेंगे तुझे" कहकर अपनी अंजुली में जल लेकर थरथर कांपते ब्लॉगर के ऊपर छिड़क कर बोले " जा तू अगले जनम में भी ब्लॉगर बने और तेरे ब्लॉग पर एक भी टिप्पणी न आये"क्षमा प्रभु...मुझे क्षमा कर दो..मुझसे भूल हुई" ब्लॉगर गणेश जी के चरणों में गिर पड़ा!
गणेश जी पसीजे और बोले " पुत्र...मेरा श्राप तो खाली नहीं जायेगा मगर जिस दिन तू दूसरों के ब्लॉग पर दस लाख टिप्पणी कर देगा उस दिन तू मेरे श्राप से मुक्त हो जायेगा" कहकर गणेश जी अपना चूहा दौड़ाते हुआ चले गए...और ब्लॉगर ..उसको उसके दूसरा जन्म लेने की डेट बता दी गयी है...अपनी बारी के इंतज़ार में खाली बैठे बैठे समय का सदुपयोग करते हुए उसने उँगलियों की कुछ एक्सरसाइज़ शुरू कर दी है और विविध टिप्पणियों का एक संग्रह भी तैयार कर लिया है...साथ ही हवा में उँगलियाँ चला चलाकर एक मिनिट में १० टिप्पणी की स्पीड भी प्राप्त कर ली है....भगवन उसकी दस लाख टिप्पणियाँ जल्दी पूर्ण करे!
25 comments:
अदभुत सोच.. गणेश जी का ब्लॉग, वाकई नयी सोच है.. आपका विषय बहुत शानदार है और आपकी लिखावट भी लाजवाब है.. गणेश जी का श्राप बहुत ही उम्दा लगा.. ग़ज़ब की सोच लिए हुए था आपका व्यंग्य.. बहुत बधाई.. और हा शुक्रिया मेरी पोस्ट के बारे में लिखने के लिए.
प्रभु ऐसा शाप किसी को न दे...... दे तो अमिताभ जैसे को ,जो सुना है ब्लॉग्गिंग से भी खूब पैसा कमा रहे है..शुक्र है शाहरुख़ ब्लॉग्गिंग में नही आए वरना वे कुछ ऐसा जुगाड़ बिठाएँगे की उनके यहाँ टिपियाने के भी पैसे देने पड़ेगे या फ़िर उनकी फ़िल्म का टिकट खरीदना पड़ेगा .........आजकल टिपण्णी पर बहुत बात चल रही है कल पांडे जी व्यथित थे...आज कोई ओर सज्जन ..फ़िर गणेश जी भी परेशां हो गये.....वैसे भी आजकल "आज तक" टी आर पी के चक्कर में साईं बाबा का प्रमोशन कर रहा है..... सोचिये गर सब भगवान् अपना अपना ब्लॉग बना ले तो कित्ती मुश्किल होगी .......बेचारे उनके पुराने सेकेटरी या तो कोम्पुटर की क्लास लेंगे ...या नए रखे जायेंगे.....या फ़िर कोई पुराना महान ब्लोग्गर्स कोचिंग की क्लास देगा ....
टिप्पणी पुराण :) बहुत सही व्यंग किया है .. भगवान का ब्लॉग ..आईडिया गुड है ..
beautiful imagination...agar bhagwaano ne blogs khole to :D
shraap bhi badhiya shraap..
shraap na var..ham to shubhkaamna kar sakte hai..aap aise hi badhiya likhte rahe..ganpati ji ka aap par vardaan rahe!
tathastu!
excellent work ..congratulations
बच गये कि हम गणेश भगवान को सुझाव देने नहीं पहुँचे।
आप ने श्राप की बात बताकर अच्छा नहीं किया...अब कोई मृतात्मा ब्लॉगर किसी भगवान का ब्लॉग बनवाने का दुस्साहस नहीं कर पाएगा..
ha ha ha.ganesh ji ko bhi lapete mai le liya.gud.mai bhi kuch acche acche comment soch leti hu taki us blogger ko kisi marne wale ke haath pahuncha saku.
रोचक। गणपति देवत्व की कार्टूनीय परिकल्पना के चरित्र हैं।
उस आधार पर यह पोस्ट सच भी हो सकती है!
चित्ताकर्षक चित्र
और
शब्द चित्र दोनों.
================
बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
:);) ek dam sahi,satik,mast mast laga ganesh ji ka blog banana bahut badhai
बढिया है ह्जूर। ये स्वर्ग के देवता अभी तक ब्लागिंग न सीख पाये! कमाल है।
वाह पल्लवी, बड़ी अच्छी लंतरानी है,
निःसंदेह ही अच्छा लगा ।
बहुत अच्छी कल्पनाशक्ति से परिचय हुआ पल्लवी जी :)
-लावण्या
क्या बात है,
कल्पना शक्ति आपकी इतनी अच्छी होगी ये नही सोचा था अपन ने!
बहुत बढ़िया!
arrey ganeshji ke blog ka address to pata laga lena tha... mujhe aise blogs mein bahut ruchi hai :-)
बहुत खूब। बेहद रोचक लगा। गणपति जी ने अपना ब्लाग डिलीट कर दिया। अच्छा हुआ वरना लोग दूध पिलाना शुरू कर देते।
बहुत बढ़िया.. टिप्पणियां मिली कि नहीं, इसे देखने के लिए गणपति का सुबह चार बजे उठा जाना बहुत खूब रहा..मनुष्य हो या देवता, एक बार ब्लॉग बना लिया तो फिर ब्लॉगर ही रह जाता है, और कुछ नहीं..
बहुत शानदार पोस्ट है.
रोचक लिखा आपने। पढ़कर अच्छा लगा।
shankar bhagwan is shristi ke pehle cartoonist aur ganesh ji pehla cartoon charachter apka vyang aur fantasy jordar lagi BADHAI
हास्य-व्यंग में एक धार होती है जिसे उभार पाना हर किसी के लिए आसन नहीं होता
आपने इस में भी कमाल दिखाया
आपकी सोच, कल्पनाशीलता और संवेदनशीलता कि दाद देनी पड़ेगी
bhut achhe. lage rho.
गणपति के ब्लाग का पता तो बताओ! टिप्पणी कहाँ की जाए?
आपके ब्लॉग की पोस्ट "गणपति जी ने ब्लॉग बनाया" की चर्चा "हमारीवाणी ई-पत्रिका" के कॉलम 'ब्लॉग-राग में की गई है.
http://news.hamarivani.com/archives/1341
बहुत सुंदर पल्लवी. मज़ा आ गया. रिफ्रेशिंग.
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