मोहब्बत में जब चोट खाते हैं लोग
बज्मों में ग़म गुनगुनाते हैं लोग
किस्मत हुई बेवफा गर, तो क्या
जुनूं से भी तो जीत जाते हैं लोग
मतलब परस्ती के इस दौर में
ज़हर दोस्तों को पिलाते हैं लोग
सरायों से किसको मोहब्बत हुई
आते हैं,रुकते हैं,जाते हैं लोग
खुदा भी कहाँ बच सका दोस्तों
मंदिर से जेवर चुराते हैं लोग
बज्मों में ग़म गुनगुनाते हैं लोग
किस्मत हुई बेवफा गर, तो क्या
जुनूं से भी तो जीत जाते हैं लोग
मतलब परस्ती के इस दौर में
ज़हर दोस्तों को पिलाते हैं लोग
सरायों से किसको मोहब्बत हुई
आते हैं,रुकते हैं,जाते हैं लोग
खुदा भी कहाँ बच सका दोस्तों
मंदिर से जेवर चुराते हैं लोग
गैरों पे कब बस किसी का चला
अपनों का ही दिल दुखाते हैं लोग
हमारी तुम्हारी तो हस्ती ही क्या
माँ बाप को भूल जाते हैं लोग
8 comments:
tay nahi kar pa raha hu.. ki kaunsa sher jyada achha tha.. bahut badhiya gazal kahi aapne.. badhai..
किस्मत हुई बेवफा गर, तो क्या
जुनूं से भी तो जीत जाते हैं लोग
-अच्छे हैं ये शेर
सरायों से किसको मोहब्बत हुई
आते हैं,रुकते हैं,जाते हैं लोग
Kya khoob likhti hain aap !
Har she'r saadgi ke saath chott karta hai. Aapko bahut badhaayee and ...
Thanks for visiting my blog and liking my ghazal..
-- P K Kush 'tanha'
सरायों से किसको मोहब्बत हुई
आते हैं,रुकते हैं,जाते हैं लोग
अच्छा लगा...आखिरी शेर को थोड़ा तवज्जो दो......
यथार्थ !
हमारी तुम्हारी तो औकात क्या
माँ बाप को भूल जाते हैं लोग
sahi kaha
nice one , like it
Bahut Behtar, Bahut Sahi
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