Thursday, April 3, 2008

एक बच्चे की जुबानी....

आज मुझे अदालत में फैसला करना है
मम्मी या पापा, साथ किसके रहना है

पापा के खिलोने या मम्मी की लोरी
दोनों में से मुझे किसी एक को चुनना है

मुझ पर क्या बीत रही कोई न सोचे
मेरी तकलीफों से किसी को क्या करना है

मम्मी पापा दोनों ने ही वादा ले लिया है
अब मुझको किसी एक के वादे से मुकरना है

दोनों के बिना ही मैं जी नहीं सकता
कैसे कहूं,किसकी उंगली को पकड़ना है

ना जाने क्यों ऐसा मेरे साथ ही हुआ
घर पे जाके आज तो भगवान् से लड़ना है

चाहे कोई जीते या चाहे कोई हारे
सज़ा तो हर हाल में बस मुझको भुगतना है

कोई भी मुझ से ये क्यों पूछता नहीं
मेरी क्या मर्जी है,मेरी क्या तमन्ना है

चाहे कुछ बोलू या खामोश रहूँ मैं
हर हाल में मुझको दो हिस्सों में बँटना है


2 comments:

अमिताभ मीत said...

ह्म्म. सोच रहा हूँ.
बहरहाल, अच्छी है.

राज भाटिय़ा said...

मीत जी से सहमत हे,