आज कुछ और ख्वाब आँखों में छलकने लगे
दिल की दहलीज पे हसरत के दीप जलने लगे
ठहरो कुछ देर मेरी नज्मों में ढूंढो खुद को
ये क्या, आये अभी और अभी अभी चलने लगे
कर के बैठा था मोहब्बत की राह से तौबा
जो मिले आप कदम खुद ब खुद फिसलने लगे
मेरे भी चर्चे हर चौराहे पर आम हुए
मेरी गलियों से होके आप जो गुजरने लगे
मैंने पूछा जो सबब आपके तबस्सुम का
आप क्यों बेवजह ही बात को बदलने लगे
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
9 comments:
aap ashaaar karate rahen. khushee kee bat hai ki aap bebahar hote=hote bacheen. ek sher kabile gaur hai-
bahut achchha likha hai, kamaal hai!
simply beautidul poetry,bahut bahut sundar
बहुत बढ़िया..बधाई.
ठहरो कुछ देर मेरी नज्मों में ढूंढो खुद को
ये क्या, आये अभी और अभी अभी चलने लगे
बहुत बढ़िया ख्याल.. बधाई
पल्लवी जी , बहुत सुन्दर गीत रचा है आपने !
har word se aapka talent shines through..magical..beautiful..shabd kam padh rahe hain ..in admiration
ठहरो कुछ देर मेरी नज्मों में ढूंढो खुद को
ये क्या, आये अभी और अभी अभी चलने लगे
bahut khoob...
कर के बैठा था मोहब्बत की राह से तौबा
जो मिले आप कदम खुद ब खुद फिसलने लगे
मेरे भी चर्चे हर चौराहे पर आम हुए
मेरी गलियों से होके आप जो गुजरने लगे
Sundar likha hai aapne
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