Monday, February 11, 2008

सर्दी का एक दिन...




आज बहुत सर्दी है
धूप भी है अलसाई हुई
बादलों के कम्बल में छुपी
ले रही अंगडाई

शायद आज काम पर जाने का
मन नहीं इसका
पर धरती को मंजूर नहीं
आवेदन छुट्टी का
इसलिए युही बंक मार रही है
सुबह से दो चाय पी चुकी
एक और मांग रही है

बीच बीच में बादलों से देखती है झाँककर
नीचे ठिठुरती धरती को
पर क्या करे बेचारी कच्ची धूप
सात साल के बच्चे जैसी
सुबह सुबह कम्बल से निकलना
मुश्किल है ज़रा...

.कोई बात नहीं
बच्ची ही तो है
इसे सोने देते हैं
चलो आज बिना धूप के ही
इस सर्दी का मज़ा लेते हैं......

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