Monday, February 11, 2008

याद उसकी आई फिर बरसों के बाद
हमने फिर छल्काया जाम बरसों के बाद

आँगन में खेलते हैं मेरे बच्चों के बच्चे
लौटा है बचपन मेरा बरसों के बाद

सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद

ग़म का मारा था,कजां को देखकर
मुस्कुराया आज वो बरसों के बाद

मुफलिसी के दिन गए,ओहदा मिला
पहचाना उसने मुझे बरसों के बाद

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