याद उसकी आई फिर बरसों के बाद
हमने फिर छल्काया जाम बरसों के बाद
आँगन में खेलते हैं मेरे बच्चों के बच्चे
लौटा है बचपन मेरा बरसों के बाद
सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद
ग़म का मारा था,कजां को देखकर
मुस्कुराया आज वो बरसों के बाद
मुफलिसी के दिन गए,ओहदा मिला
पहचाना उसने मुझे बरसों के बाद
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
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