मई की एक दोपहर
सिर पर सवार सूरज
बेचैन कर देने वाली हवाएं
बोझा ढोते कुछ मजदूर
बैठ गए हैं थककर और
खोल ली है अपनी पोटली
जिसमे से निकली हैं कुछ मोटी रोटियाँ
साथ में प्याज और अचार
उनके बतियाने और हँसने की आवाज़ से
गूँज उठा है आसमान...
उधर ए.सी. कमरों में बंद
कुछ अमीर उद्योगपति
लीन हैं गहन चर्चा में
पेशानी पर बल,हाथों में फाइलें
और...चर्चा का विषय है
'तनाव प्रबंधन'
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
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