कितने रिश्ते खोये मैंने एक खता के बदले
कितने लम्हे भिगोए मैंने एक खता के बदले
आरजू नहीं,जुस्तजू नहीं,हसरतें भी अब कहाँ
सपने लुटाये मैंने बस एक खता के बदले
पछताया,रोया मगर पिघला नहीं वो संग
दर्द का दरिया दे गया बस एक खता के बदले
हँस के हर एक सजा मैं करता गया कुबूल
जीने की सजा सुना गया बस एक खता के बदले
बस झूठ का पुलिंदा सा बन के रह गया
कितनी खतायें कर गया बस एक खता के बदले
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
कितना रुलाएगा मुझे बस एक खता के बदले
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
2 comments:
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
इस लाइन मैं बड़प्पन की जगह अगर आप कुछ और शब्द लिखती शायद और ज्यादा सुन्दर लगता
जैसे दिलदारी
या खुदा अब तू ही कुछ बड़प्पन दिखा
इस लाइन मैं बड़प्पन की जगह अगर आप कुछ और शब्द लिखती शायद और ज्यादा सुन्दर लगता
जैसे दिलदारी
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