Wednesday, March 19, 2008

आओ तुम्हे अपना बना लूं
चांदनी से चुरा कर थोडा सा उजाला
तुम्हारी सूरत को निहारूं
धरती से मांगकर थोडी सी हरियाली
तुम्हे चुनरी पहना दूं

इन्द्रधनुष से कुछ रंग उधार ले
गुलाल बनाऊं
तुम्हारे साथ होली मना लूं
बारिश के छींटे मिटटी पर गिराकर
तुम्हारे लिए इत्र बना दूं
गुलमोहर से इसरार कर
उसके फूलों में अपनी मोहब्बत मिलाऊँ
तुम्हारे रास्ते में बिछा दूं

बादलों तक जाऊ
अपने अश्कों को उन पर रख आऊं
तुम पर बरसाऊँ
कुछ तारे तोड़ लाऊँ
तुम्हारे दामन में डाल दूं
तुम्हारी सारी ख्वाहिशों कों
अपने ख़्वाबों में घोल दूं
एक नयी दुनिया बनाऊं

अगर तुम हाँ कर दो तो
तुम्हारे सारे ग़म अपने नाम कर लूं
अपने हिस्से की खुशियों से
तुम्हारे जीवन कों संवार दूं
पाकीजा तावीज़ बना के
तुम्हे अपने सीने से लगा लूं

आओ तुम्हे अपना बना लूं..

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