Friday, March 28, 2008

कोई बात नहीं...

कितना संगदिल हूँ मैं
आज बेटे ने तोड़ दिया
एक कीमती वास और...
मैं डांट बैठा उसे
ये भी न कह पाया की
बेटा...कोई बात नहीं...

अब सोचता हूँ
कितना आसमान सा दिल था तुम्हारा
मैं तुमसे वफ़ा न कर सका
और याद है मुझे आज भी
जब सुनाया था मैंने तुन्हे
अपना फैसला...
कुछ पल खामोश रही तुम
और कितनी आसानी से कह गयी
कोई बात नहीं......


3 comments:

Anonymous said...

आपका धन्यवाद! मेरा ई-मेल मेरे ब्लोग पेज पर ही 'सम्पर्क सूत्र: ई-मेल' पर क्लिक करने से मिल जाता है, आशा है आपको आगे से यह दिक्क्त नहीं होगी... आपका यह रचना भी बहुत अच्छी है!

दिपाली "आब" said...

Bahut khoob pallavi

ρяєєтii said...

Koi baat nahi ...

Bahot satik likha aapne ...