कितना संगदिल हूँ मैं
आज बेटे ने तोड़ दिया
एक कीमती वास और...
मैं डांट बैठा उसे
ये भी न कह पाया की
बेटा...कोई बात नहीं...
अब सोचता हूँ
कितना आसमान सा दिल था तुम्हारा
मैं तुमसे वफ़ा न कर सका
और याद है मुझे आज भी
जब सुनाया था मैंने तुन्हे
अपना फैसला...
कुछ पल खामोश रही तुम
और कितनी आसानी से कह गयी
कोई बात नहीं......
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
3 comments:
आपका धन्यवाद! मेरा ई-मेल मेरे ब्लोग पेज पर ही 'सम्पर्क सूत्र: ई-मेल' पर क्लिक करने से मिल जाता है, आशा है आपको आगे से यह दिक्क्त नहीं होगी... आपका यह रचना भी बहुत अच्छी है!
Bahut khoob pallavi
Koi baat nahi ...
Bahot satik likha aapne ...
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