Sunday, March 30, 2008

my dream date...

काश कभी ऐसा हो
तुम और मैं डेट पर चलें...

दो रंगीन पतंगों पर बैठकर
आसमान पे चलें
किसी बादल से लिफ्ट ले लें
और पैर लटकाकर उस पर बैठें
फलक की सैर करें

उसके बाद
चाँद की चटाई पर
थोडा सुस्ताएं
और मुट्ठी भर भर कर
तारों के चने खाएं...

सर्दी लगने लगे तो
सोते हुए सूरज से
चुपचाप कुछ अंगारे उठा लायें
अपने हाथ सेक लें...

रात भर हवाओं का
मीठा गीत हम सुनें
और जब सुबह की ओस से
चाँद गीला होने लगे तो
हम भी सूरज की किरणे पकड़कर
वापस अपनी छत पर उतर जाएं..

काश कभी हम डेट पर जाएं...



3 comments:

डॉ.ब्रजेश शर्मा said...

marmsparshi kavitaon ka ye jharna
isi aaveg se bahta rahe.
AAMEEN !

शैलेश भारतवासी said...

सुंदर ख्याल हैं। बिम्ब नये हैं, साथ ही साथ भावनाओं का सुखद प्रवाह है। मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी अच्छी लेखनी पर अभी तक पाठकों की नज़र नहीं पड़ी।

http://www.hindyugm.com

ललितमोहन त्रिवेदी said...

Paramparik bimbvidhan aur navgeet ke shilp ne kavita men mohakata bhar di hai.Well done.




Lalit Mohan Trivedi