तुझसे उल्फत की बात कर बैठे
हाय ये क्या गुनाह कर बैठे
पी के लिख बैठे वसीयत अपनी
अपना दिल तेरे नाम कर बैठे
यादों को तेरी रुख्सती देकर
दिल के घर को मकान कर बैठे
डाल के इक नज़र मोहब्बत की
हमको अपना गुलाम कर बैठे
मुझ दीवाने का हाल पूछते हो
तुम ये कैसा सवाल कर बैठे
बारी आई खुदा के सजदे की
हम तुम्हारा ख़याल कर बैठे
ओढ़ कर वो हया की चिलमन को
चेहरा अपना गुलाल कर बैठे
दर्दे दिल का सबब सुनो हमसे
इश्क हम बेपनाह कर बैठे
हाय ये क्या गुनाह कर बैठे
पी के लिख बैठे वसीयत अपनी
अपना दिल तेरे नाम कर बैठे
यादों को तेरी रुख्सती देकर
दिल के घर को मकान कर बैठे
डाल के इक नज़र मोहब्बत की
हमको अपना गुलाम कर बैठे
मुझ दीवाने का हाल पूछते हो
तुम ये कैसा सवाल कर बैठे
बारी आई खुदा के सजदे की
हम तुम्हारा ख़याल कर बैठे
ओढ़ कर वो हया की चिलमन को
चेहरा अपना गुलाल कर बैठे
दर्दे दिल का सबब सुनो हमसे
इश्क हम बेपनाह कर बैठे
1 comments:
why dont you write some halka fulka.
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