शब की नर्म गोद में
पलकों के महफूज़ साए में
सोये हुए कुछ नन्हें ख्वाब
लेते हैं एक अंगडाई और
फैलाकर अपनी बाहें
ले लेते हैं मुझे अपने आगोश में
रात भर थपकी देते हैं
अपनी नन्ही हथेलियों से
बुनते हैं रेशमी ख्यालों के धागे
दिन भर की उलझनों से थकी मैं
खो जाती हूँ इन ख्यालों में
और जीती हूँ
कुछ बेहद रूमानी लम्हे
कुछ अनकही ख्वाहिशें
कुछ भीगी भीगी यादें
कुछ खुशबू में लिपटे एहसास
पता नहीं कब ,थककर
ये ख्वाब भी अलसाने लगते हैं
और धीरे से सो जाते हैं
एक के ऊपर एक गिरकर
तब,सुबह की पहली ओस के साथ
मैं जागती हूँ और
मीठी सी खुमार भरी आवाज़ में
कहती हूँ...
शुक्रिया मेरे ख्वाबो
हकीकत हर दिन मुझे क़त्ल करती है
और तुम....
हर शब मुझे जिंदा कर देते हो..
पलकों के महफूज़ साए में
सोये हुए कुछ नन्हें ख्वाब
लेते हैं एक अंगडाई और
फैलाकर अपनी बाहें
ले लेते हैं मुझे अपने आगोश में
रात भर थपकी देते हैं
अपनी नन्ही हथेलियों से
बुनते हैं रेशमी ख्यालों के धागे
दिन भर की उलझनों से थकी मैं
खो जाती हूँ इन ख्यालों में
और जीती हूँ
कुछ बेहद रूमानी लम्हे
कुछ अनकही ख्वाहिशें
कुछ भीगी भीगी यादें
कुछ खुशबू में लिपटे एहसास
पता नहीं कब ,थककर
ये ख्वाब भी अलसाने लगते हैं
और धीरे से सो जाते हैं
एक के ऊपर एक गिरकर
तब,सुबह की पहली ओस के साथ
मैं जागती हूँ और
मीठी सी खुमार भरी आवाज़ में
कहती हूँ...
शुक्रिया मेरे ख्वाबो
हकीकत हर दिन मुझे क़त्ल करती है
और तुम....
हर शब मुझे जिंदा कर देते हो..
2 comments:
excellent expression of honest feelimgs.
This is poetry.
Badhaiyaan !
Brijesh Sharma
palakon par jhilmilate swapna aur
yatharth ka khoobsoorat aaina hai-kuch ehsaas.bahut achchha,achchhi tarah se likh rahi ho.kahin kahin Dharmveer Bharti ki 'Kanupriya'yaad aati hai..BADHAI.
L.M.TRIVEDI(MAMAJI)
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